शिमला।शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट चलाने वाले व पीलिया फैलाने के लिए जिम्मेदार ठेकेदार अजय डोगर को शिमला के अतिरिक्त सेशन जज की अदालत में पेश करने के आदेश पुलिस को हुए तो उसने अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली।कानूनी दांव पेच के चलते अब अदालत के आदेश की वैधता खत्म हो गई है। लेकिन इस मसले पर ठेकेदार को अरेस्ट न करने पर शिमला पुलिस व एसआईटी का जमकर मखौल उड़ाया जा रहा है। अब कहा जा रहा है पुलिस पर ठेकेदार को न पकड़ने का दबाब है।बताते है कि जेई ने यहां पर छह महीने पहले ही कार्यभार संभाला था,उसे पुलिस ने अरेस्ट कर लिया। ठेकेदार के एक कारिंदे को भी अरेस्ट कर लिया जबकि ठेकेदार जो असली आरोपी है उसे खुलेआम घूमने दिया जा रहा है।
जिसकी वजह से इस रसूखदार ठेकेदार को एएसपी संदीप धवल की कमान में बनाई गई एसआईटी अभी तक पकड़ नहीं पाई है ।उधर,अदालत ने इस मामले में पुलिस रिमांड पर भेजे आईपीएच के जूनियर जेई परनीत ठाकुर व ठेकेदार के कर्मचारी मनोज कुमार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।इन दोनों की जमानत अर्जी पर कल ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा शर्मा कीअदालत में सुनवाई होनी है।
आज बुधवार दोपहर को ठेकेदार अजय डोगर की जमानत याचिका की सुनवाई अतिरिक्त सेशन जज वीरेंद्र सिंह की अदालत में हुई।अदालत ने पुलिस ने को आदेश दिए ृृृृृकि ठेकेदार को वीरवार को अदालत में पेश किया जाए और अर्जी पर सुनवाई वीरवार को निर्धारित कर दी। इस पर ठेकेदार ने अपनी जमानत अर्जी वापस ले ली।
पुलिस ने जिन दो लोगों को इस मामले में अरेस्ट कर रखा है,उन्होंने अपनी जमानत अर्जी की सुनवाई के दिन कहा था कि उन्हें वेबजह फंसाया जा रहा है।असली मुजरिम (ठेकेदार) को पुलिस ने पकड़ा नहीं है।इनकी अर्जी की सुनवाई वाले दिन वो अदालत परिसर में ही घूम रहा था।
यहीं नहीं इन दोनों के वकीलों ने रविंद्र मखैक व तरसेम भारती की याचिकाओें पर हाईकोर्ट की ओर से दिए गए आदेशों पर आइ्रपीएच विभाग व सरकार के कारनामों को भी रिकार्ड पर लाया।पता चला कि आईपीएच विभाग के अफसरों ने अदालत में गलत शपथपत्र दिए हैं। इसके अलावा पानी के सेंपल की रिपोर्टों को लेकर भी सवाल उठाए गए है।
उधर, सूत्रों के मुताबिक पुलिस निराले ही कारनामें दिखा रही है।वो अब तक ठेकेदार को नहीं पकड़ पाई। सवाल ये उठाया जा रहा है अगर पुलिस के ये हाल है तो वो कुख्यात अपराधियों को कैसे पकड़ेंगी।
इस मामले में पुलिस व सरकार की नीयत शुरू से ही संदेह में हैं। उधर, माकपा ने सरकार पर फिर से हमला बोल दिया है।माकपा सचिवालय के सदस्य ने सभी 6सीवरेज ट्रीट प्लांटों को सरकारी नियंत्रण में लेने की मांग करते हुए एलान किया है कि माकपा प्लांट के छोटे कर्मचारियों का उत्पीड़न नहीं होंने देंगे।
उन्होंने कहा कि पुलिस के डर से एसटीपी में काम कर रहे कर्मी काम छोड़कर जाने की तैयारी में हैं। शहर के सबसे बड़े एसटीपी, लालपानी (बड़ागांव) से कैमिस्ट इस्तीफा देकर काम छोड़ गया। जिस ठेकेदार के पास शहर के 5 एसटीपी हैं वह कई दिनों से भूमिगत है। वाटर ट्रीटमेंट के लिए न तो ज़रूरी सामाग्री उपलब्ध हो पा रही है और न ही किसी तरह की विशेषज्ञ मदद
. तंवर ने माकपा की ओर से एसटीपी में काम कर रहे कर्मियों को भरोसा दिया कि उनका उत्पीड़न नहीं होने दिया जाएगा और न ही उनकी रोज़ी-रोटी पर आंच आने दी जाएगी।
तंवर ने कहा कि उनकी टीम ने हर ट्रीटमेंट प्लांट का दौरा किया है, हर जगह यही स्थिति है। मशीनरी ठीक ढंग से काम नहीं कर रही है। सरकार के साथ अनुबन्ध में दिखाए गए कर्मियों की अपेक्षा ठेकेदार ने कम कर्मियों को काम पर रखा है। लालपानी एसटीपी में जहां पहले 65 कर्मी थे अब ठेकेदार ने 23 ही कर्मी काम पर रखे थे जिनमें से एक केमिस्ट 23 जनवरी को काम छोड़ कर चला गया।
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