शिमला।नगर निगम पर राजधानी में होटल कारोबार को तबाह करने का इल्जाम लगाते हुए राजधानी के होटलियरों ने जयराम ठाकुर सरकार से दखल देने की मांग की है। राजधानी के होटलियरों ने कहा है कि 2015 से लेकर अब नगर निगम ने पानी, कूडे व संपति करों की दरों में बेतहाशा बढ़ोतरी करते हुए होटल कारोबारियों की कमर तोड़ दी है। यह सिलसिला अभी भी नहीं थम नहीं रहा है।
टूरिज्म इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स एसोसिएशन ने कहा है कि निगम ने अप्रैल 2015 में होटलियरों के पानी को दरों को लेकर अलग स्लेब बना दिया व होटलियरों से कमर्शियल दरों से भी ज्यादा दरें वसूली जा रही हैं।नगर निगम की ओर से 2015 में तीस हजार लीटर प्रति महीना तक कमर्शियल दरें 46रुपए 90 पैसे प्रति हजार लीटर थी। जबकि 75 हजार लीटर तक यह दरें 62 रुपए 10 पैसे और 75 हजार से ज्यादा के स्लेब के लिए यह 85 रुपए 50 पैसे प्रति हजार लीटर थी जो 2018 तक बढ़कर यह क्रमश: 63रुपए,83 रुपए 60 पेसे और114रुपए 95 पैसे हो गई।
लेकिन होटलियरों के लिए यह दरें स्लेब के हिसाब से अलग कर दी गई। 2015 में होटलियरों से तीस हजार लीटर के स्लेब तक 60 रुपए प्रति हजार लीटर ,75 हजार लीटर तक 80 रुपए और इससे ऊपर के स्लेब के 110 रुपए प्रति हजार लीटर वसूले ला रहें थे लेकिन 2018 में ये दरें क्रमश:80रुपए,106 रुपए और 146 रुपए प्रति हजार लीटर प्रति महीना कर दी गई है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष मोहिंदर सेठ ने यहां जारी विज्ञप्ति में कहा कि पूरे प्रदेश में सिंचाई व जनस्वास्थ्य विभाग कमर्शियल दरों पर ही होटलों से वसूली करता है। जो 2013 में 17रुपए 20 पैसे थी और 2018 से यह 27 रुपए 70 पैसे प्रति हजार लीटर हैं। राजधानी के 253 होटलियरों पर यह मार बेवजह पड़ रही है। होटलों के लिए पानी की दरें कमर्शियल दरों से 28 फीसद अधिक है। इसके अलावा 50 फीसद सीवरेज सेस अलग से है।
इसके अलावा गारबेज कलेक्शन की दरें भी बढ़ा दी गई है। इसे दस या दस से कम कमरों के होटलों को अप्रैल से पांच सौ से बढ़ाकर एक हजार रुपए कर दिया है और अब तीन महीनों में इसे एक जुलाई से 13 सौ रुपए किया जा रहा है। राज्य में बाकी जगह ऐसा कहीं भी नहीं हो रहा है।
इसके अलावा संपति करों को लेकर भी होटलियरों से ज्यादा कर वसूला जा रहा है। मोहिंदर सेठ ने कहा कि अलग अलग स्लेब बनाकर होटलियरों से 43 से 72 फीसद तक ज्यादा संपति कर वसूला जा रहा है। उन्होंने कहा कि इन दरों को जल्द नहीं तार्किक पूर्ण नहीं किया गया तो राजधानी का होटल उद्योग तबाह हो जाएगा।
याद रहे है कि राजधानी में इस साल के भीषण जलसंकट से होटलियरों का कारोबार पूरी तरह से तबाह हो गया था। सेठ ने कहा कि पिछल्ले पांच सालों में शहर में 21 होटल बंद हो चुके हैं व 50 से 60 फीसद होटलियरों ने अपने होटल पटटे पर दे दिए हैं। उनके लिए इन्हें चलाना नुकसानदायक हो गया है।
(0)