जिला अदालत से रोशन लाल ठाकुर की रिपोर्ट
शिमला। राजधानी के रामबाजार के चार साल के मासूम युग की तीन पड़ोसी युवकों की ओर से फिरौती के लिए अपहरण करने व बर्बरतापूर्ण तरीके से हत्या कर देने के मामले में जिला अदालत ने तीनों हत्यारों को फांसी की सजा सुनाई है। जिला सेशन जज वीरेंद्र सिंह ठाकुर ने आज दोपहर बाद दो बजे के करीब आरोपियों व उनके माता -पिता की मौजूदगी में सजा का एलान किया। जिला सिंह वीरेंद्र सिंह ने कहा कि यह बर्ब रता विरल है व अदालत दोषियों के लिए अभियोजन की ओर से मांगी गई मौत की सजा को स्वीकार करती है।
इस मामले ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया था। जिला अदालत ने इन तीनों को ही छह अगसत को इस मामले में दोषाी करार दे दिया था। आज सजा सुनाई गई। अदालत ने चंद्र प्रकाश, विक्रांत बख्शी और तेजेंद्र पाल सिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 302,364 ए व 34 के तहत मौत की सजा सुनाई जबकि धारा 347,201 व 34 के तहत तीनों को बामशक्त दस -दस साल की कैद की सजा भी सुनाई गई है। इसके अलावा तीनों पर 50 -50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है। पुलिस की ओर से तीनों दोषियों को आज सुबह अदालत में पेश किया गया।
गौरतलब हो कि इन तीनों ने राजधानी के रामबाजार से कारोबारी विनोद कुमार गुप्ताा के चार साल के मासूम बच्चे युग का 14 जून 2014 को फिरोती के लिए अपहरण कर लिया था। ये तीनों इसे शाम को ही रामचंद्र चौक्क पर स्थित गोदाम में ले गए व वहां पर इन्होंने इस बच्चे को शराब पिलाई और यातनाएं दी। इसे रामबाजार से गते की पेटी में बांध कर ले जाया गया और रामचंद्र चौक में बक्से में रखा गया । इसके बाद ये तीनों घर लौट आएं व रात को फिर गोदाम में चले गए।
21 जून 2014 को इन तीनों ने चौड़ा मैदान से एक बड़ा पत्थर अपनी कार में डाला और रामचंद्र चौक गोदाम में ले गए । वहां नशे की हालात में फर्श पर पड़े नन्हें युग ने इन्हें उठाया व इसके मुंह पर टेप लगा दी। इसके बाद ये तीनों युग को क्लिस्टन ले गए। वहां पर इन्होंने युग को इस पत्थर से बांधा और रात के करीब एक बजे लाखो गेलन पानी से भरे भंडारण टैंक में इसे जिंदा डूबो दिया।
इसके बाद ये तीनों अपने घर आ गए और बाद में बच्चे के परिजनों संग मिलकर बच्चे को ढूंढने का ढोंग करते रहे। यह सिलसिला गिरफतारी के दिन तक चलता रहा। पहले यह मामला पुलिस के अधीन रहा लेकिन कोई सुराग न मिलने पर मामले को सीआइडी को सौंप दिया गया ।
अगस्त 2016 में सीआइडी ने इस मामले को एक दोषी विक्रांत बख्शी के मोबाइल से मिली वीडियो के आधार पर पर्दाफाश कर दिया। सीआइडी ने तीनों को गिरफ तार कर टैंक से बच्चे के कंकाल को बरामद किया और फारेसिंक रिपोर्ट आने के बाद अपहरण और हत्या के आरोप में इनके खिलाफ अदलात में चालान पेश कर दिया।
मोबाइल में एक वीडियों यह भी था जिसमें यह नन्हा बचा फर्श पर नग्न पड़ा है और अर्धबेहोशी की हालात में कह रहा है कि ’पापा मुझे बचा लो’।
फिरौती की चिटठी व मोबाइल में मिली रिकार्डिंग बनी गले का फंदा
इन दोषियों के लिए फिरौती के लिए लिखी चिटठी व मोबाइल में मिली वीडियो गले का फंदा बन गया। 14 तारीख की शाम को युग के अपहरण के बाद दूसरे दिन दोषियों में से एक चंद्र शर्मा ने हाथ से फिरौती की चिटठी लिखी और युग के पिता की दुकान के भीतर शटर के नीचे से डाल दी। इन्होंने युग का कत्ल कर देने के बाद भी चिटठी लिखी। ये चिटिठयां पुलिस को दी गई। लेकिन पुलिस कोई सुराग नहीं लगा पाई।
इन दोषियों को पुलिस ने चोरी के एक मामले में भी पकड़ा था। इनके मोबाइल इसी मामले में पुलिस के पास बतौर केस प्रापर्टी थे। जब एसपी मुख्यालय विनोद धवन को डीआइजी सीआइडी लगाया गया तो उन्होंने मामले की प्रगति को लेकर जब समीक्षा बैठक की तो पता चला कि इनका मोबाइल चोरी के मामले में केस प्रापर्टी का हिस्सा बना है। इसके बाद ये मोबाइल सीआइडी को मिले व उसमें युग की वीडियो मिल गई। उसके बाद मामले का पर्दाफाश हुआ।
(3)