शिमला।चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए गैर सरकारी संस्था सोशल वेल्फेयर काउंसिल आफ इंडिया ने आयोग को राजनीतिक दबाव से मुक्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का एलान किया हैं। काउंसिल के चेयरमैन राजेश्वर सिंह नेगी ने यहां सवाददाताओं से कहा कि चुनाव आयोग की निष्पक्षता संदेह में रही हैं। आयोग ने एग्जिट पोल पर तो पाबंदी लगा दी लेकिन ओपिनियन पोल पर कोई पाबंदी नहीं हैं।ये गलत हैं ऐसा नहीं होना चाहिए।
इस बार हिमाचल व गुजरात के चुनाव एक साथ होने थे,लेकिन हिमाचल के चुनाव पहले घोषित कर दिए व प्रचार के लिए कुल 12 ही दिन मिले। जबकि प्रदेश में अधिकांश हलके दूर दराज में हैं और अधिकांश प्रचार पैदल होता हैं।दो जिला कबाइली हैं।ऐसे में कोई भी प्रत्याशी अपने मतदाताओं से कैसे संपर्क कर सकता हैं।उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ये नहीं बता पा रहा हैं कि हिमाचल के चुनाव नामांकन वापस लेने के बाद 15 दिनों में कैसे निपटा दिए गए। जबकि मतगणना करीब सवा महीना बाद हो रही हैं।जबकि दूसरी ओर गुजरात में चुनावों की तारीखें देरी से घोषित की गई व वहां पर प्रचार के लिए 40 दिन का वक्त दिया गया हैं।
नेगी ने कहा कि चुनाव आयोग लोकसभा व विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने का दावा कर रहा हैं।जबकि हाल ही में हुए उतरप्रदेश विधानसभा का चुनाव सात चरणों में कराया गया। निश्चित तौर पर ये सता में पार्टी से प्रभावित होकर ही हुआ होगा।
नेगी ने कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री को भी चिटठी लिखी हैं अगर सरकार कुछ नहीं करती हैं तो आने वाले पंद्रह दिनों में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा देंगे।उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग की स्वायतता बहाल करने के लिए मुख्य चुनाव आयुक्त व बाकी दो आयुक्तों की नियुक्ति व उन्हें हटाने की प्रक्रिया देश के मुख्य न्यायाधीश की तरह होनी चाहिए।
चुनावों में मतदाताओं को लुभाने के लिए शराब ,पैसा जैयसे हथकंडों को अपनाने वाले प्रत्याशियों के खिलाफ जांच व कार्रवाई करने व उन्हें अयोगय ठहराने की शक्तियां चुनाव आयोग के पास होनी वाहिए। नोटा को ज्यादा प्रभावी बनाने की जरूरत हैं।इसके अलावा दोषी व अपराधी प्रत्याशियों के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगनी चाहिए। इस तरह की सिफारिशें इलेक्ट्रॉल रिफार्म कमेटी की रिपोर्ट में की गई हैं।
उन्होंने कहा कि प्रत्याशियों की ओर से संपति को लेकर भरे जाने वाले शपथपत्रों में आय के सोर्स का भी जिक्र होना चाहिए।
उनहोंने कहा कि वो इन तमाम बिंदुओं पर वो सुप्रीमकोर्ट में जनहित याचिका दायर करेंगे या पहले से चुनाव सुधारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित याचिकाओं में वो पार्टी बनने के लिए अर्जी देंगे।
राजेश्वर नेगी हिमाचल में पर्यावरण व वन्य प्राणियों की सुरक्षा को लेकर सक्रिय रहे हैं व बंदरों की कलिंग के खिलाफ उनकी संसथा हाईकोर्ट गई थी।
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