शिमला। राष्टय हरित पंचाट ने याचिकाकर्ता को सतलुज नदी बेसिन के हिमाचल वाले हिस्से पर हो रहे अवैध तौर पर खनन माफिया की ओर से की जा रही रेत,बजरी व पत्थरों की तस्करी व पर्यावरण को पड़ने वाले उसके प्रभाव के मामले को संत बलबीर सिंह सींचेवाला समिति के समक्ष उठाने के निर्देश दिए हैं। पंचाट के न्यायिक सदस्य रघुवेंदर सिंह राठौर व विशेषज्ञ सदस्य सत्यवान सिंह गरबीयाल की खंडपीठ ने यह आदेश दिए ।
जिला कुल्लू के निररमंड के सतौन गांव के हंस राज सिंघा ने सतलुज नदी के किनारों पर निजी भूमि के अलावा वन व सरकारी भूमि पर खनन माफियाओं की ओर से की जा रही तस्करी का मामला पंचाट
में पहुंचाया था। सिंघा ने अपनी याचिका में कहा था कि उसने किसानी व मंजूरी लेकर खनन के लिए अपनी जमीन लीज पर दी थी। इस बाद वह विदेश चला गया। लेकिन खनन माफिया ने उसकी जमीन से ही नहीं बल्कि वन भूमि व सरकारी जमीन पर से भी रेत ,बजरी और पत्थर की तस्करी कर ली हैं। नदी के किनारे खोद कर खोखले दिए हैं।
इस बावत पंचाट ने शुरू में सरकार से जवाब मांगा था। वन विभाग ने पंचाट में कहा था कि उसक ीजमीन पर भी अवैध खनन हुआ हैं। लेकिन यह खनन रुका नहीं । सिंघा ने पंचाट में दाबोरा दलीलेंउसकी जान को खतरा हैं व सरकार की याह पर अवैध खनन जारी हैं।इस पर पंचाट ने लोकल कमिशनर नियुक्त कर रिपोर्ट मंगा ली। याचिकाकर्ता के वकील आकाश वशिष्ठ ने कहा कि स्थनीय कमिशनर की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।
रिपोर्ट में सामने आया कि नदी से जेसीबी व बड़ी मशीनों के जरिए में खनन हो रहा हैं व खननकरने वालों ने किसी से भी मंजूरी नहीं ली हैं। कमिशनर की ही रिपोर्ट में आया कि सरकार का यहदावा कि वहां पर अवैध खनन रुक गया हैं, यह पूरी तरह से गलत हैं।
इसके बाद पंचाट ने याचिका कर्ता को संत सींचेवाला कमेटी के समक्ष अपना मसला उठाने के आदेश दिए। पंचाट ने कहा कि विशेषज्ञों की यह समिति तमाम पहलुओं पर गौर करेगी व यह समिति पहले ही पंजाब में पड़ने वाले ब्यास व सतलुज नदी के भाग पर हो रहे खनन व पर्यावरण को हो रहे नुकसान का जायजा ले रही हैं। पंचाट ने समिति को सतलुज बेसिन में हो रहे खनन का भी जायजा लेने के आदेश दिए हैं।
वशिष्ठ ने कहा कि उन्होंने आज ही पंचाट के आदेशों से सींचेवाल को अवगत करा दिया हैं। सींचेवाल कमेटी अपनी जांच में पाए जाने वाले तथ्यों की रिपोर्ट व कार्रवाई के लिए तीन महीने के भीतर रिपोर्ट सौंपेंगी।
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