शिमला। विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल के भ्रष्टाचार के मामले को वापस लेने के जयराम ठाकुर सरकार के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार,बिंदल व बाकी आरोपियों को चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के लिए नोटिस जारी किया है। आरटीआइ कार्यकर्ता पवन ठाकुर ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में आपराधिक पुनर्निरीक्षण याचिका दायर की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति सुरेश्वर ठाकुर ने बिंदल समेत सभी 24 आरोपियों व सरकार को जवाब दायर करने के लिए चार सप्ताह का समय दिया है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में दलीलें दी है कि यह नौकरियों में अनियमितताओं का मामला है। इसमेंलगभग पूरा ट्रायल पूरा हो चुका था। केवल सीआरपीसी की धारा 313 के तहत आरोपयिों के बयान होने थे। इससे पहले ही अभियोजन विभाग ने इन इन सभी के खिलाफ मामले वापस लेने के अर्जी सेशन जज सोलन की अदालत में डाल दी व अदालत ने इस अर्जी को मंजूर कर लिया।
याचिका में कहा गया है कि भ्रष्टाचार के मामलों को इस तरह वापस नहीं लिया जा सकता। ठाकुर ने अपनी याचिका में सरकार के अलावा सभी 24 आरोपियों को पार्टी बनाया है। याद रहे कि 1999 में राजीव बिदंल सोलन नगर समिति के अध्यक्ष थे तो उस समय परिषद में हुई नियुक्तियों में उन्होंने कानूनों का उल्लंघन कर डेढ दर्जन से ज्यादा लोगों को भर्ती कर दिया था।
1999 में प्रदेश में भाजपा -हिविंका गठबंधन की सरकार थी। बाद में 2000 में बिंदल सोलन हलके के हुए उप चुनाव में विधयक बन गए थे। इसके बाद 2003 में सता में आई वीरभद्र सिंह सरकार ने इन नियुक्तियों की जांच कराई व विजीलेंस ने 2006 में बिंदल व बाकियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420,468,471 और 120 बी के अलावा भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 13(2)के तहत
मामला दर्ज किया था। लेकिन तब अदालत में चालान पेश नहीं हो पाया । दिसंबर 2007 में प्रदेश में दोबारा से धूमल सरकार सता में आ गई और यह मामला लटक गया। बाद में दिसंबर 2012 में सतर में आई वीरभद्र सिंह सरकार में जुलाई 2013 में बिदंल व बाकियों के खिलाफ मुकदमा चलाने को लेकर सरकार ने अभियोजन मंजूरी दे दी। बिंदल के अलावा इस मामले में नगर समिति सोलन के तत्कालीन पार्षद हेमराज गोयल, डीके ठाकुर और समिति के कार्यकारी अधिकारी एससी कलसोत्रा मुख्य रूप से आरोपी बनाए गए थे। बाकी आरोपी जिन्हें नियुक्त किया गया था, वह थे।
वीरभद्र सिंह सरकार में ट्रायल शुरू हुआ। प्रदेश में जब जयराम सरकार सता में आई तो इस मामले की पैरवी कर रहे वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी व पूर्व निदेशक अभियोजन सतीश ठाकुर को जयराम सरकार ने नहीं हटाया। सतीश ठाकुर ने ही जांच अधिकारी समेत मुख्य गवाहों की गावाहियां जयराम सरकार में ही करवाई। सरकार के एक साल सता में आ जाने के बाद सतीश ठाकुर को हटाया गया ।
लेकिन तब केवल सीआरपीसी की धारा 313 के तहत बयान होने ही बाकी बचे थे। इस बीच जयराम सरकार की ओर से अदालत में बिंदल के खिलाफ मामले को वापस लेने े लिए अर्जी दायर की गई लेकिन अदालत ने कहा कि केवल एक आरोपी के खिलाफ मामला वापस नहीं हो सकता।
ऐसे में सरकार ने सभी आरोपियों के खिलाफ मामले वापस लेने की अर्जी दायर की व सेशन जज सोलन ने भूपेश शर्मा ने अभियोजन की अर्जी मंजूर कर ली। पवन ठाकुर की ओर से पैरवी कर रही वकील सुनीता शर्मा ने कहा कि चार सप्ताह के भीतर जवाब दायर करने के आदेया दिए गए है।
इस मामले के दोबारा उठने से बिंदल का मंत्री बनना मुश्किल में आ सकता है। बिंदल एक अरसे सेजयराम सरकार में मंत्री पद हासिल करने की जुगत में है लेकिन वह अभी तक कामयाब नहीं हुए है।
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