शिमला। गौवंश के संरक्षण के लिए जयराम सरकार की ओर से गठित प्रदेश गौवंश संवर्धन बोर्ड की हुई बैठक में आरएसएस के प्रांत प्रचारक संजीवन का शामिल होना नए विवाद को हवा दे गया हैं। सरकार का कहना है कि वह मार्गदर्शन देने आए थे। मार्गदर्शन वह नामित सदस्य बन कर भी दे सकते थे।
इससे पहले धूमल सरकार में भी ऐसा हो चुका हैं। जब जंगी थोपन पोवारी बिजली परियोजना के आवंटन पर खतरा मंडराया और धूमल सरकार ने प्रदेश के शीर्ष पांच नौकरशाहों की कमेटी गठित की थी। इस कमेटी की एक बैठक के दौरान अदाणी पावर के सदस्य बैठक में शामिल हो गए थे। इस पर प्रदेश हाईकोर्ट ने भी हैरानी जताई थी कि अदाणी पावर के सदस्यइस बैठक में कैसे पहुंच गए।
इसके अलावा धूमल सरकार में एचपीसीए को लेकर हुई प्रशासन की एक बैठक में एचपीसीए के सदस्य बैठक में शामिल हो गए थे। यह मामला भी बाहर आया था और अब जयराम ठाकुर सरकार ने गौवंश संवर्धन बोर्ड की बैठक में आरएसएस के प्रदेश प्रमुख संजीवन के शामिल होने से सरकार की गंभीरता पर सवाल उठा हैं।
संजीवन बोर्ड के 16 नामित सदस्यों में शुमार नहीं हैं। बैठक बोर्ड के अध्यक्ष व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में आयोजित की गई। बोर्ड के उपाध्यक्ष पशुपालन मंत्री वीरंद्र कंवर हैं। वह भी इस बैठक में शामिल हुए। बोर्ड में छह सदस्य अधिकारियों में से हैं।
सरकारी बोर्ड की बैठक में आरएसएस के प्रांत प्रचारक का शामिल होना नया विवाद खड़ा कर सकता हैं। अगर सरकार को उन्हें गौवंश के संरक्षण को लेकर उनका मार्गदर्शन लेना ही था तो उन्हें कायदे से नामित सदस्य तो बनाया ही जा सकता था व वह इस नाते बोर्ड की बैठकों में शामिल हो सकते थे। लेकिन सरकार ने नई तरह का काम शुरू कर दिया हैं। आर एसएस प्रांत प्रचारक संजीवन गऊ पालन व व संरक्षण में कोई जाने-माने विशेषज्ञ भी नहीं हैं। ऐसे में उन्हें किस नाते से बोर्ड की बैठक में बुलाया गया इस बावत अधिकारी जुबान नहीं खोल रहे हैं। संजीवन नाभा में रहते हैं व सरकार उनके दरबार में हाजिरी भरती हैं। इसके अलावा सरकार के आला अधिकारी भी उनसे लगातार राबता रखते हैं।
लेकिन उनका इस तरह सरकारी बोर्ड की बैठक में शामिल होना विपक्षी पार्टी कांग्रेस को मुददा दे गया हैं। कांगेस पार्टी पहले ही इल्जाम लगाती रही हैं कि जयराम सरकार को पर्दे के पीछे से आरएसएस चला रही हैं व सरकार के हर कदम पर आरएसएस का हस्तक्षेप तारी हैं। लेकिन अब तो आरएसएस के पदाधिकारियों को सरेआम बोर्ड की बैठकों में बुलाया जाने लगा हैं। इससे बेहतर तो ये होता कि उन्हें मुख्यमंत्री या मंत्री के बजाय बोर्ड का अध्यक्ष या उपाध्यक्ष नियुक्त कर दिया जाता । ऐसे बुहत से लोग सरकार ने महत्वपूर्ण पदों पर बिठाए हैं। शिशु धर्मा को मुख्यमंत्री का ओएसडी बनाया गया हैं। ऐसे में उन्हें भी कुछ बनाया जा सकता था। ऐसा इसलिए जरूरी हैं ताकि कहीं जवाबदेही बनी रहे।
उनकी बोर्ड की आज की बैठक में शिरकत करने को लेकर पूछे सवाल के जवाब में पशु पालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि उनका मार्गदर्शन लिए जाने के लिए उन्हें बैठक में विशेष सदस्य के तौर पर बुलाया गया था।
सूत्रों के मुताबिक दिलचस्प यह है कि गऊ विशेषज्ञ के तौर पर उन्हें बोर्ड की बैठक में बुलाया गया हैं, यह ज्यादातर सदस्यों को पता ही नहीं था। उन्हें तब पता चला जब वह बैठक में पहुंच गए । उन्होंने इस मौके पर अपने सुझाव भी दिए। गायों को किसान पालते हैं व गायों का संरक्षण तब तक संभव नहीं हैं जब तक सरकारें खेती को तरजीह नहीं देती।
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