शिमला।देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस तीर्थ सिंह ठाकुर ने देश के सियासतदानों को याद दिलाया कि किसानों की ओर से की जाने वाली आत्महत्याएं व उभरते भारत का दावा एक साथ नहीं चल सकता। न्याय के उभरते विचार के बिना चमकीला भारत संभव ही नहीं हैं।
जस्टिस ठाकुर शनिवार को हिमाचल प्रदेश विवि के दीक्षांत समारोह के दौरान छात्रों व मौजूद विद्यानों के सामने देश की असल तस्वीर पेश कर रहे थे।उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 1950 से लेकर अब तक हम भूमि सुधार नहीं कर पाए हैं।देश की बढ़ती आर्थिक वृद्धि दर चुटकी भर नौकरियां सृजित कर रही है। ये दर ये बोझ ढो रही हैं। सरकार के सामने मुल्क की संपति मुटठी भर लोगों के हाथों में न चली जाए इसे रोकने की चुनौती मुंह बांए खड़ी है। जबकि दूसरी ओर देश की बड़ी आबादी अभावों से जूझ रही हैं। ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में हर साल अभावग्रस्त आबादी लगातार बढ़ रही है।
उनहोंने कहा कि नियोजित योजनाओं के बूते हमने बहुत तरक्की की और दुनिया के साथ चलने के काबिल हुए । देश में आज 700 मिलीयन स्मार्ट फोंस है,332 मिलीयन इंटरनेट यूजर्स है, आधार जैसा दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल ढांचे के अलावा यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस जैसा तंत्र खड़ा कर दिया जिसके तहत मोबाइल फोंस से किसी भी तरह का भुगतान किया जा सकता है। बावजूद इसके देश में किसानों की आत्महत्याएं बढ़ रही हैं। मिडिल क्लास के लिए सरकारी नौकरियों की गली तंग होती जा रही है।
उन्होंने माना कि बहुत कारणों की वजह से न्यायपालिका को द्रुत व बेदाग न्याय मुहैया कराना दुस्वप्न बन कर रह गया है।
इस मौके पर उन्होंने युवाओं का आहवान किया कि वो अपनी क्षमता के मुताबिक देश को आगे ले जाने के का प्रयास किया। उन्होंने इस मौके पर विवि के मेधावी छात्रों को डिग्रियां भी बांटी।
हिमाचल प्रदेश ने उन्हें डीलिट इन लॉज की मानद उपाधि से सममानित किया।गवर्नर आचार्य देवव्रत ने उन्हें मानद उपाधि देकर सम्मानित किया।
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