शिमला। जबरन धर्मातंरण को रोकने के लिए कड़े दंड के साथ विधान के साथ बीते रोज मुख्यमंत्री जयराम सरकार की ओर से सदन में पेश किए गए हिमाचल प्रदेश धर्म की स्वतंत्रता अधिनियम 2019 को घ्वनिमत से पास कर दिया। विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने भी अपना पक्ष रखा ।
अब इस अधिनियम के मुताबिक धर्मांतरण पर पांच साल सजा का प्रावधान होगा जबकि दलितों, नाबालिग, महिलाओं का जबरन धर्म बदलने वाले को सात साल तक की सजा का प्रावधान हो गया है। धर्मातंरण अब गैर जमानती अपराध होगा और अगर कोई संगठन व संस्था इसमें शामिल पाई जाती है तो उसे देश के भीतर व बाहर से मिलने वाले दान पर पांबदी लग जाएगी। अगर किसी धर्म के व्यक्ति की ओर से अन्य धर्म के व्यक्ति के साथ धर्मपरिवर्तन करने के लिए विवाह किया जाता है तो उसे एक पक्षकार की ओर से परिवार कोर्ट में चुनौती देने पर अमान्य करने का प्रावधान हो गया है।
चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने विधेयक में जन जनजातीय, दलितों व महिलाओं के लिए धर्मातंरण पर सजा के ज्यादा प्रावधान पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वह हिंदू है व हिंदू रहना चाहते है । अगर अन्याय करोगे तो कहीं ओर चले जाएंगे। उन्होंने कहा कि अच्छा होता छूआछूत को समाप्त करने के लिए कुछ किया जाता। उन्होंने विधेयक में अभियोजन की मंजूरी मजिस्ट्रेट से देने का प्रावधान करने पर भी व कहा कि मजिस्ट्रेट तो हर समय सरकार के दबाव में रहेगा। नेगी ने कहा कि सरकार की मंशा सही नहीं लग रही है।
भाजपा विधायक राकेश पठानिया ने कहा कि पंजाब से लगते इलाकों में हरेक रविवार को एनजीओ की आड़ में आते है और गरीबों को पैसे का लालच देकर इनका धर्मपरिवर्तन करते है।वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि विधेयक में कहा गया है कि समाज संक्रमण काल से गुजर रहा है। यह वैज्ञानिक प्रक्रिया है। इसलिए विधेयक को लेकर दोबारा सेच विचार करना चाहिए। इसका गलत मतलब निकल रहा है और गलत संदेश जा रहा है।
उन्होंने कहा कि विधेयक में असमंजस की गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए। इसके अलावा मनोवैज्ञानिक दबाव को परिभा्िरशत नहीं किया गया है। धर्मातरंण कराने की मंशा को कैसे साबित किया जाएगा। मंशा को जब तक अमलीजामा नहीं पहना दिया जाता तब तक उसे अपराध नहीं मान सकते।
उन्होंने कहा कि विधेयक में कहा गया है कि अगर कोई मुश्किल आती है तो सरकार इसमें बदलाव कर सकती है और उसे अगले विधानसभा सत्र से पास कराया जा सकता है। सिंघा ने कहा कि यह विधायकों की काबिलियत और उनके अधिकार का अतिक्रमण है। कानून में कुछ भी बदलवा करना है, वह सदन को करना चाहिए न कि कार्यपालिका को। इस तरह विधायक की संस्था को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए।
उन्होंने धर्मातंरण के आरोप में पकड़े आरोपी पर आरोप को गलत साबित करने का भार नहीं होना चाहिए। यह कानून के मूल सिंद्वात के खिलाफ है। ऐसे में उसे तो पहले से ही दोषी मान लिया जाएगा। सिंघा ने कहा कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं किया जाना चाहिए जो मूल कानून के खिलाफ हो।
इसके अलावा गैर जमानती बनाना भी सही नहीं है। सिंघा ने कहा कि तब तक इस कानून का कोई मतलब नहीं है जब तक इसमें छुआछूत,भेदभाव और अमानवीय व्यवहार को इसमें शामिल नहीं करते है। इस विधेयक इस इस दिशा में कोई रास्ता दिखता नजर नहीं आ रहा है।
भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि यह विधेयक धर्म परिवर्तन के खिलाफ नहीं धर्म की स्वतंत्रता के लिए है। कई ईसाई संस्थाएं धर्म परिवर्तन पर लगीहै। इसलिए लिए सजा का प्रावधान करना जरूरी है।इस पर जगत सिंह नेगी ने कहा कि इस तरह किसी एक धर्म पर इल्जाम नहीं लगना चाहिए तो भाजपा विधायकों की ओर से कहा िगया कि वह कराते है। इस पर नेगी ने कहा कि ईसाई भी इस देश के नागरिक है।
कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने कहा कि सतापक्ष की ओर से यह जाहिर किया जा रहा है कि वह प्रदेश में ऐसा कानून पहली बार बनाने जा रहाहै। लेकिन उन्हें याद रखना चाहिए कि यह इस कानून को 2006 में तत्कालीन कांग्रेस की वीरभद्र सिंह सरकार ने बनाया था। उन्होने सिंघा की दलीलों को समर्थन करते हुए कहा कि विधायकों को अपनी शक्तियां खुद ही कार्यपालिक को नहीं देनी चाहिए।
आशा कुमारी ने कहा कि जब पहले से कानून बना है तो उसी में संशोधन किया जा सकता था। संसदीय कार्यमंत्री सुरेश भारद्वाज ने चर्चा के दौरान कहा कि जो कानून वीरभद्र सिंह सरकार 2006 में लाई थी उसमें बहुत सारी कमियां थी। उन्हें दूर कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि उस समय देश के संभवत: पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने ये कानून बनाया था। उन्होंने कहा कि प्रलोभनों व बल का दलितों व कमजोर वर्गोंं पर ज्यादा असर पड़ता है इसलिए ज्यादा सजा का प्रावधान किया गया है।
इसी तरह धर्मपरिवर्तन के लिए कई जगह विवाह कर दिए गए है। ऐसे में मामले में व्यक्ति ने नौकरी भी बचा ली व दूसरी पत्नी भी काूननी तौर पर रख ली।
कांगेस विधायक सुक्खू ने कहा कि जो दंडात्मक प्रावधान रखे गए है ,उन्हें कम करना चाहिए। टांग तोउÞने की सजा से ज्यादा धर्म परिवर्तन की सजा है। यह गलत है। अगर इस सजा की जगह ज्यादा जुर्माने का प्रावधान किया जाता तो सही रहता।
इस पर बिंदल ने भारतीय संस्कृति व धर्म का हवाला देते हुए कहा कि हिंदू धर्म में धर्मपरिवर्तन को पाप माना गया है। ऐसे में यह टांग तोड़ने के अपराध से कहीं बउÞा अपराध है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि रामपुर, किन्नौर समेत प्रदेश के विभिनन भागों में बड़े पैमाने पर धर्मातंरण हो रहा है। बहुत सी एनजीओ को करोड़ों का दान मिल रहा है जिसे धर्मातंरण पर खर्च कर रहा है। उन्होंने कहा कि हिमाचल पहला राज्य नहीं है जहां पर इस कानून को बनाया जा रहा है। यह आठवां प्रदेश है और दूसरे राज्यों के कानून का भी अघ्ययन किया गया है। उन्होंने कहा कि छुआछूत को खत्म करने के लिए भी कानून है । इस मामले में समाज को आगे बढ़ कर काम करना चाहिए। इसके बाद इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
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