शिमला।प्रदेश हाईकोर्ट ने जिला के कोटी रेंज में सरकारी वन से तीन से चार सालों में 416 पडों के अवैध कटान के मामले में दो अरण्यपालों,दो जिला वन मंडालाधिकारियों ,तीन सहायक अरण्यपालों से लेकर वन सुरक्षा कर्मी तक 16 अधिकारियों व कर्मचारियों से 34 लाख68 हजार 233 रुपए की वसूलीं के आदेश दिए है । साथ ही इन सबके खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी आदेश दिए गए है। प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने ये आदेश जारी करते हुए प्रधान सचिव वन को इस रकम की गणना कर इन तमाम लोगों से वसूलने के आदेश दिए है।
खंडपीठ ने कहा कि अदालत इन सभी को इस वसूली से पहले और उनके स्तर पर हुई चूक को लेकर उनका पक्ष जानने के लिए 27 मई से पहले अदालत का दरवाजा खटखटाने की इजाजत इेती है। यह खुद या अपने वकील के जरिए अपना पक्ष रखा सकते है। ताकि उनके सेवा रिकार्ड में किसी तरह की प्रविष्ट दर्ज न हो।
जिन अधिकारियों व कर्मचारियों से इस वसूली के आदेश दिए गए हैं उपरोक्त अधिकारियों के अलवा दो रेंज अफसर, छह ब्लाक अफसर और एक वन सुरक्षा कर्मी भी शामिल है । 2015 से 2018 तक कोटठी रेंज की भलावग बीट इनके क्षेत्राधिकार में थी।
सुनवाई के दौरान अदालत मित्र की ओर से अदालत के नोटिस में लाया गया था रेंज अफसर,सहायक अरण्यपाल,डीएफओ और अरण्यपाल के लिए अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले तमाम वनों का निरीक्षण करना जरूरी है और किसी भी तरह के अवैध कटान का पता लगाना है। इसके अलावा रेंज अफसर,डीएफओ और सर्कल परियोजना निदेशक को उनके क्षेत्राधिकार में सौ फीसद निरीक्षण करना होगा और शेडयूल के मुताबिक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी।
अदालत को यह भी बताया गया कि विभाग के चार मई 1995 के आदेशों के तहत अरण्यपाल, डीएफओ,एसीएफ और रेंज अफसरों के के वनों के दौरों के दिनों को निर्धारित किया गया है।
अदालत मित्र ने कहा कि विभाग के उच्चाधिकारियों के खिलााफ कार्यवाही करने के बजाय केवल सबसे निचले स्तर के कर्मियों के खिलाफ कार्यवाही की गई व उन्हें लक्ष्य किया गया ।
महाधिवक्ता ने कहा कि तीन अधिकारी अपने उचचाधिकारियों के नोटिस में इस अवैध कटान को लाने में विफल रहे,ऐसे में इनके खिलाफ कार्यवाही शुरू की गई है।उन्होंने कहा कि भूप सिंह जिसके पास क्रशर चलाने का लाइसेंस था, ने अवैध रूप से 416 पेड काट दिए।यह 34 लाख 68 हजार 233 रुपए की रकम थी व इस रकम में से अधिकांश वसूल ली गई है और चार लाख के करीब वसूलने को बची है।
खंडपीठ ने कहा कि विभाग ने बेशक लकडी की कीमत वसूल ली है लेकिन पेडों के मूल्य का मूल्याकंन नहीं किया जा सकता । पेड आक्सीजन को पैदा करते है और कार्बन डाइआक्साइड के असर को कम करते है।अदालत ने कहा कि सौ -सौ साल पुराने पेडों के कटान के लिए जो अधिकाररी जिम्मेदार है उन्हें दंड मिलना चाहिए।इस तरह के अवैध कटान की भरपाई किसी भी तरह से नहीं की जा सकती।
अदालत ने कहा कि पेडों के अवैध कटान की जिम्मेदारी वन सुरक्षा कर्मी से लेकर प्रधान मुख्य अरण्यपाल तक निर्धारित की जानी चाहिए।अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 27 मई को निर्धारित की है।
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