शिमला।केंद्र सरकार की ओर से लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने समेत प्रदेश के किसानों व बागवानों की अन्य मांगों को लेकर प्रदेश किसाान मोर्चा ने सात अप्रैल को पांवटा में महापंचायत बुला ली है। प्रदेश में किसान आंदोलन की धमक अभी ज्यादा नहीं है। लेकिन इस महापंचायत से प्रदेश में किसान आंदोलन का आगाज होने जा रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा पांवटा के संयोजक तरसेम सिंह सग्गी ने आज राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि बागवानों व किसानों की इस महापंचायत में 35 हजार लोगों के जुडने की संभावना हे। उन्होंने आहवान किया कि प्रदेश के किसानों व बागवानों के एक घर से एक सदस्य को इस महापंचायत में शरीक हो। ताकि केंद्र सरकार तक आवाज पहुंचाई जा सके। उन्होंने कहा कि इस महापंचायत में भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत शामिल होंगे। इसके बाकी तमाम नेता भी महापंचायत में आने जा रहे है। उन्होंने कहा कि महापंचायत में कोरोना को लेकर लगाई जा रही तमाम पाबंदियों का पालन किया जाएगा व महापंचाायत को किसी भी तरह से फेल नहीं होने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि महापंचायत में तीन कृषि कानूनों के अलावा बिजली अधिनियम,पराली जलाने पर सजा को लेकर लाए गए कानून के खिलाफ विरोध जताया जाएगा।
उन्होंने कहा कि पांवटा में धान, गन्ना, मक्की और गेंहू जैसी फसलें होती है। खुले बाजार में इनके दाम ही नहीं मिलते। ये पूछे जाने पवर कि खुला बाजार होाग तो कहीं भी बेच सकते है। तरसेम सिंह ने कहा कि दूसरे राज्यों में फसल ले जाएंगे तो पहले वहां अपने राज्य के लोगों की फसलें खरीदी जाती है। इसके अलावा देश में किसी भी मंडी में बेचो का नारा छलावा है। क्या फसलों को ले जाने के लिए किराया भाडा नहीं लगता है। बिहार का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां का किसान मजदूर में तबदील हो गया है। यहां भी किसान फैक्टरियों में काम करता है तब जाकर गुजर बसर होती है। उन्होंने कहा कि नियंत्रित मंडी होनी चाहिए। कांट्रैक्ट फामिर्ंग तो जमीनी हडपने का धंधा है। इसे लागू नहीं हाने देंगे।
इस मौके पर प्रदेया किसान सभा के अध्यक्ष कुीदीप तंबर ने कहा कि दूध से लेकर सब्जियों तक न्यूनतम मूल्य मिलना चाहिए। किसानों से मिल्कफेड 18 से 22 रुपए के बीच दूध खरीदता हे। जबकि इसकी कीमत 40 रुपए प्रति लीटर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अदाणी छह सेब 196 रुपए के बेचता है वह फार्मूला किसानों के लिए भी लागू होना चाहिए।
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