शिमला । छह दिन के पुलिस रिमांड के बाद पीपीइ किट खरीद मामले में रिश्वत लेनदेन को लेकर विजीलेंस की गिरफ्त में रहे बायोएड कारपोरेशन के एजेंट व भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राजीव बिंदल के करीबी पृथ्वी सिंह को आज राजधानी की एक अदालत ने सशर्त जमानत दे दी।
विजीलेंस ने पृथ्वी सिंह को आज विशेष अदालत वन अरविंद मल्होत्रा की अदालत में पेश किया व और पुलिस रिमांड मांगा। विजीलेंस के आग्रह का पृथ्वी सिंह की ओर से विरोध किया गया व दलीलें दी गई की विजीलेंस के पास उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है। वह बिना वजह उन्हें फंसाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने किसी को कोई रिश्वत नहीं दी।
आखिर में विजीलेंस की दलीलों को दरकिनार करते हुए अदालत ने विजीलेंस से कहा कि एजेंसी इतने दिनों तक किसी को पुलिस रिमांड पर नहीं रख सकती। ऐसे में पृथ्वी सिंह को शर्तों के साथ जमानत देती है।
एसपी विजीलेंस शालिनी अग्निहोत्री ने कहा कि इस मामले में बायोएड कारपोरेशन के मालिक को भी पूछताछ के लिए बुलाया गया था। लेकिन वह पूछताछ में शामिल नहीं हुए। आज उसकी ओर से भी जमानत की अर्जी लगाई गई थी इस पर15 जून को सुनवाई होगी ।
गिरफतारी की आंशका को देखते हुए निलंबित स्वास्थ्य निदेशक अजय गुप्ता ने दोबारा से अपनी जमानत अर्जी लगाई थी । इन दोनों ने अदालत में कहा कि उन्हें विजीलेंस की ओर धमकाया जा रहा है। अगर वह रिश्वत के पैसों की रिकवरी नहीं दिखाते है तो उन्हें व उनके बच्चों को दूसरे मामलों में फंसाया जा सकता है । इसके अलावा सीआइडी भी उन्हें पूछताछ के लिए बुला रही है। ऐसे में उन्हें आंशका है कि उन्हें दोबारा से गिरफतार किया जा सकता है।
अजय कुमार गुप्ता ने कहा कि विजीलेंस उन पर झूठे सौंदों को कबूल करने के लिए भारी दबाव बना रही है। इन दोनों ने अदालत से कहा कि अगर उनके खिलाफ कोई नया मामला दर्ज नही भी किया है अगर कोई मामला दर्ज होता है तो पूछताछ व गिरफतारी से तीन दिन पहले उन्हें एजेंसी की ओर से नोटिस दिया जाना चाहिए।
इस पर डीएसपी विजीलेंस ने अदालत में कहा कि कोई नया मामला दर्ज नहीं किया गया है। इन पति पत्नी को रिकार्ड बातचीत को लेकर आमने सामने करना है। मोबाइल फोनों में इन दोनों की जो बातचीत रिकार्डिड है, उसमें कई कुछ संदेहास्पद है। डीएसपी ने धमकाने के इल्जामों से इंकार किया । इस दौरान सीआइडी की ओर से सरकारी वकील मुक्ता कश्यप ने कहा कि सीआइडी ने कोई मामला दर्ज नहीं किया है।
अदालत ने कहा गुप्ता को नियमित जमानत मिली हुई है । इसके अलावा उनकी पत्नी ने भी कोई ऐसी घटना नहीं बताई िजससे लगे कि उन्हें गिरफतार किया जा सकता है। जब कोई नया मामला ही दर्ज नहीं हुआ है तो ऐसे में जमानत अर्जी को खारिज किया जाता है।
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