शिमला। बर्फबारी से राजधानी समेत पूरे प्रदेश में हाहाकार मचा रहा,राजधानी के अस्पतालों से बिजली गुल रही। बिजली न होने की वजह से राजधानी के लिए पानी की सप्लाइ्र नहीं हो पाई । शिमला में ही एक दर्जन के करीब लोगों की मौत हो गई । जिला अस्पताल रिपन में बीते रोज तक बिजली नहीं थी। इतना सब कुछ हो गया पर प्रदेश सरकार के बिजली मंत्री सुजान सिंह पठानिया ने बर्फबारी के दो दिन बाद से जो सचिवालय से कूच किया,तो वो आज तक लौटे नहीं हैं।
उनके कार्यालय से कहा गया कि वो निचले हिमाचल के दौरे पर व कब लौटेंगे ये तय नहीं हैंं।रिपोर्टर्ज आइ डॉट कॉम ने उनके कार्यालय से पूछा कि मंत्री कब से सचिवालय नहीं हैं,कार्यालय से कहा गया कि वो बर्फबारी के दो तीन बाद चले गए थे।
इस बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह नेे सचिवालय में जरूर थोड़ी बहुुत ताका झांकी की व अफसरों की कुछ बैैठकें ली। वो भी दिल्ली रवाना हो गए व वहां से कांगड़ा दौरे पर चलेे गए। जब मुख्यमंत्री व मंत्री ही सचिवालय से गायब हो तो बाबूओं के क्या कहने । बर्फबारी से बेहाल राजधानी के लिए सचिवालय से निर्देश देने वाला कोई नहीं था।सरकार का वाररूम निष्क्रिय रहा।संभवत: ऐसा पहली बार हुआहे कि राजधानी बर्फबारी से बेहाल रही और महत्वपूण्र महकमों के मंत्री शहर से गायब रहे।
चूंकि शहर के लिए पानी,बिजली व सड़कें बहाल करने का इंतजाम नगर निगम को भी देखना था तो वामपंथी मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर खुद सड़कों पर उतर गए व सोशल मीडिया पर जानकारी देते व लेते रहे। शहर में कितने पेड़ कहां गिरे व उन्हें हटाने के लिए निर्देश देते रहे।
आखिर में जब यह सामने आया कि स्थिति से निपटने के लिए ज्यादा लेबर की जरूरत हैं तो इन दोंनो ने सीएम का दरवाजा खटखटाया व सीएम से व्यक्तिगततौर पर दखल देने का आग्रह किया। इस बीच सरकार अंगड़ाइयां लेने लगी व शहर में बिजली पानी की बहाली एक सप्ताह बाद हो पाई हैं।
उधर, राजधानी के बेहाल हाल पर भाजपा विधायक सुरेश भारदृवाज ने तो सीएम वीरभद्र सिंह से इस्तीफा तक मांग दिया। वो बोले कि सरकार की नाकामी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता।
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