शिमला। जिला सोलन के नालागढ़ के गांव माजरा में शिवालिक ठोस कचरा प्रबंधन संयत्र में निपटाए जा रहे रासायनिक अपशिष्ट की वजह से आसपास के इलाकों के कुंओं, बोरवेल और अन्य पापी के स्त्रोतों के प्रदूषित होने के मामले में प्रदेश उच्च न्यायालय ने जयराम सरकार के मुख्य सचिव, प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव और जिला उपायुक्त सोलन को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया है।
गांव माजरा के जोगेंदर सिंह नामक व्यक्ति की ओर से मुख्य न्यायाधीश को लिखी चिटठी पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ और न्यायामूर्ति ज्योत्सना रेवाल दुआ की खंडपीठ ने यह नोटिस जारी किए। अदालत ने इस चिटठी को जनहित याचिका के रूप में तबदील कर दिया।
जोगेंद्रर सिंह ने अपनी चिटठी में लिखा था कि गांव माजरा में आज से करीब पंद्रह साल पहले पंचायत को गुमराह करके कि यहां पर पर्यावरण से संबधित कोई परियोजना स्थापति की जा रही है, पंचायत से अनापति प्रमाणपत्र लेकर शिवालिक ठोस कचरा प्रबंधन संयत्र स्थापित किया गया था। लेकिन बाद में यहां शिवालिक ठोस कचरा प्रबंधन संयत्र का निर्माण किया गया ।
लेकिन बाद में जब यह संयत्र यहां पर स्थापित हो गया तो ग्रामीणों को पता चला किया प्रदेश की तमाम फैक्टरियों का खतरनाक व जहरीला रासायनिक अपशिष्ट यहां लाया जाना था व इस जहरीले कचरे को यहां निपटाया जाना था। जोगेंदर सिंह ने लिखा कि पिछले 15 सालों से यहां मैदान में इस रासायनिक कचरे को फेका जाउरहा है और बाद में इसे सही तरीके से निपटाए बगैर मिटटी से ढक दिया जाता है।
समय बीतने के साथ -साथ माजरा पंयायत व आसपास के तमाम गांवों का कुंए , बोरवेल और पानी के स्त्रोत इस संयत्र से रिसने वाले रासायनिक पद्धार्थों की वजह से जहरीले हो गए और जिस मैदान में यह कचरा दबाया जाता है वहां से दुर्गंध आती रहती है व इन पानी के स्त्रोतों के पानी से दुर्गंध आती हैं।
उसने अपनी चिटठी में लिखा कि इस बावत ग्रामीणों ने दर्जनों बार प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व अन्य विभिन्न अधिकारियों को शिकायतें लेकन आज तक इस संयत्र लगाने वाली कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई है। यही नहीं इस जहरीले पानी के इस्तेमाल से ग्रामीणों के पशु मरने शुरू हो गए है और लोग तरह-तरह के बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। जोगेंदर सिंह ने अदालत से आग्रह किया कि शिवालिक ठोस कचरा प्रबंधन के खिलाफ सख्त कदम उठाने को लेकर सरकार को निर्देश दिए जाए ताकि वह स्थानीय लोगों को इस संयत्र के घातक प्रभावों से बच सके। अदालत ने इस मामले की सुनवाई दो सप्ताह के बाद निर्धारित कर दी है और सरकार को जवाब देने के आदेश दिए हैं।
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