शिमला। नगर निगम चुनावों के बीच ब्रिटिश राज की राजधानी शिमला में पानी की कमी को लेकर बेशक भाजपा-कांग्रेस और वामपंथियों में सियासत का खेल जारी हो गया हो लेकिन पानी की विकराल समस्या की सबसे बड़ी वजह क्रप्शन रहा हैं।
शिमला को नहला देने वाली गिरी परियोजना के मामले तो वामपंथियों ने एफआईआर दर्ज करवा रखी हैं।भाजपा व कांग्रेस के शासन में बनी इस परियोजना मे घटिया पाइपें लगाई गई । पाइपें किसकी फैकटरियों से आईं थी ये भाजपा व कांग्रेस के नेताओं को खूब अच्छी तरह से मालूम हैं। इस परियोजना पर काम करने वाले ठेकेदारों ने खूब चांदी कूटी थी। जब वामपंथी पानी पर घिरने लगे तो छानबीन हुई, तब पता चला कि परियोजना क्रप्शन की भेंट चढ़ चुकी हैं। इससे पहले वामपंथियों को इसी तरह पीलिए के मामले में भी घेरा जाने लगा तो भी उन्होंने एफआईआर दर्ज कराई थी। सबको मालूम है कि पीलिए के लिए जिम्मेदार कडि़यां किससे जुड़ रही थी। वो जनाब आज भी प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड में आरटीआई पर आरटीआई लगाएं जा रहे हैं। अगर वामपंथियों ने स्टैंड न लिया होता तो पीलिया कई और जानें ले लेता।
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जहां के मुखिया वीरभद्र सिंह के खासमखास कुलदीप सिंह पठानिया हैं,इस मामले में आज तक बोर्ड के अफसरों की भूमिका को उजागर नहीं कर पाए हैं,कार्रवाई करना तो दूर। एनजीटी ने उनसे काम छीन लिया हैं ये अलग मसला हैं।वीरभद्र सरकार के अफसर इतने दबंग थे कि हाईकोर्ट में झूठे शपथपत्र देने से बाज नहीं आए। सरकार की सचिव अनुराधा ठाकुर को अदालत का कोप झेलना पड़ा था।
यही नहीं भाजपा व कांग्रेस की सरकारों की नाक के नीचे राजधानी शिमला की जमीन के नीचे करोड़ों रुपयों की 103 किलोमीटर लंबी पाइपें कई सालों से बिछी हुई हैं। कहा जाता है कि इन पाइपों में से एक बूंद भी पानी नहीं गुजरा हैं। कांग्रेस के पूर्व पार्षद अशोक सूद व बाकियों ने इस बावत तब एक रिपोर्ट भी तैयार की थी लेकिन वो कहां गई किसी को मालूम नहीं हैं। जिन ठेकेदारों ने ये पाइपें बिछाई और जहां आर्डर प्लेस हुआ था,वो सारे रइसों की कतार में हैं लेकिन राजधानी में पानी के लिए हाहाकार मचता रहा।एमसी चुनावों से पहले बेशक पानी पर सियासत जारी है लेकिन बड़ी सवाल ये है कि जो जिम्मेदार हैं उनकी पहचान क्यों नहीं होनी ही चाहिए।
गिरी परियोजना में लगाई गई घटिया पाइपों का मामला वामपंथियों ने जीलेंस के पास पंहुचाया जरूर आखिर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह क्यों ये खुलासा नहीं कर पाते हैं कि घटिया पाइपें लगाकर शहरवासियों से दगाबाजी करने वाले आखिर कौन हैं। असल चेहरे बेनकाब नहीं हो पा रहे हैं ।
पानी के मसले पर वामपंथी नेता व पूर्व मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने रविवार को कांग्रेस व बीजेपी को एक बार और घेरा । इन दोनों वामपंथियों ने दावा किया कि शहर के लिए 24 घंटे पानी का इंतजाम हो चुका हैं। 2007 से वीरभद्र व धूमल की सरकारों में पीलिया का कहर बरपता रहा लेकिन दोनों की सरकारें कुछ कर क्यों नहीं पाई। 2015 -16 में वामपंथियों ने स्टैंड लेकर पीलिया के खतरे को हमेशा के लिए टाल दिया। इसके अलावा पानी का प्रबंधन भी नगर निगम के हाथ में आ गया। ऐसा कांग्रेस व भाजपा की सरकारें क्यों नहीं कर पाई। इल्जाम लगाने में माहिर भाजपा के नेता पहले ऐसा क्यों नहीं कर पाए।
वामपंथियों के सवाल वाजिब हैं। इन दोनों वामपंथियों ने ये भी दावा किय कि पहले गिरी से केवल 80 लाख लीटरपानी ही मिलता था। वामपंथियों ने दखल दिया तो रोजाना 1 करोड़ 80 लाख लीटर पानी शहर में पहुंच रहा हैं। एक करोड़ रुपए ज्यादा पैसा लीकेज बंद करने पर खर्च कर दिया।
2007 में अश्वनी खडड के उपर वीरभद्र सरकार ने सीवरे ट्रीटमेंट प्लांट लगा दिया । अश्वनी खडडा का पानी दूषित होता गया। धूमल सरकार में मामला हाईकोर्ट पहुंचा । झूठे शपथपत्र दिए गए ।जिनका खुलासा 2015-16 में हुआ। वामपंथियों ने दखल दिया व पानी की सप्लाई रोक दी। आखिर भाजपा व कांग्रेस ऐसा क्यों नहीं कर पाई।
दोनों नेताओं ने मोदी सरकार में मंत्री व नगर निगम शिमला में भाजपा के चुनाव प्रचार की कमान संभालने वाले जगत प्रकाश नडडा को भी राडार पर लिया।वामपंथियों ने दावा किया कि आगामी दिनों में शहर को 11 करोड़ लीटर पानी रोजाना मिलगा,जो अभी 3.5 करोड़ लीटर हैं।
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