शिमला।सिंघु बार्डर से किसान आंदोलन को समर्थन मांगने राजधानी के रिज पर पहुंचे तीन किसानों पर जयराम सरकार की पुलिस टूट पडी। इन तीनों किसानों के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 151 व 107 के तहत मामला दर्ज कर इन्हें गिरफतार किया गया। इस बीच शिमला की पुलिस ने इन तीन किसानों से बात कर रहे मीडिया कर्मियों को भी नहीं बख्शा व किसी को धक्के मारे तो किसी को नीचे गिर दिया।
पुलिस के अगुवाई मुख्यमंत्री जयराम की सुरक्षा में पहले तैनात रहे एएसपी सुशील कुमार और सदर एसएचओ कर रहे थे। इन तीनों किसानों को पुलिस रिज मैदान से सदर थाने की ओर से इस तरह खींच कर ले गई जैसे ये कोई बडे अपराधी हो और कोई बडी वारदात करने यहां आए हो। जब पुलिस इन तीन किसानों को रिज से मालरोड की तरफ ले जा रही थी तो मीडिया कर्मी वीडियो बनाने व तस्वीरें खींचने आगे की ओर आ गए। इस दौरान भी पुलिस ने वो सब किया जो नहीं करना चाह रही था।
पुलिस इन तीनों किसानों को माल रोड स्थित नियंत्रण कक्ष ले जाना खहती थी। लेकिन मीडिया कर्मियों ने माल रोड पर श्रृंखला बना दी और पुलिस से कहा कि वह मीडिया के साथ ऐसा बर्ताव नहीं कर सकती। इन किसानों से वह रिज पर बात कर रहे थे। इनकी बाइट लेने दो। पुलिस नहीं रुकी । मीडिया कर्मियों की ओर से श्रृंखला बना देने के बाद ये नियंत्रण कक्ष की ओर तो नहीं गए लेकिन इन तीन किसानों को खींच कर इंडियन एक्सप्रेस कार्यालय की सीढियों से होते हुए लोअर बाजार ले आई और सदर थाने ले गई।
इस बीच पूरा मीडिया सदर थाने पहुंच गया लेकिन किसी को अंदर नहीं जाने दिया।इस बीच किसी ने पुलिस महानिदेशक संजय कुंडू के संज्ञान में मामला ला दिया। बाद में एसपी मोहित चावला भी मौके पर पहुंच गए।
इससे पहले हरप्रीत सिंह,तेजेंद्र व एक अन्य किसान ने रिज पर मीडिया से कहा कि वह सिंघु बार्डर से आ रहे है। वह अपना दर्द साझा करना चाहते है लेकिन शिमला पुलिस का रवैया उनके साथ ऐसा है जैसे वह अपराधी हो। किसान सभी राज्यों व कंद्र शासित प्रदेशों में जा रहे है वह केंद्र की तीनों कानूनों को लेकर लोागों को जागरुक कर रहे है।
इस बीच ही एक पुलिस अधिकारी ने राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी के पत्रकार के माइक को धक्का दे मारा और इन किसानों को खींच कर ले गई।
इस दौरान इन किसानों ने कहा कि वह तो केवल मीडिया से बात कर रहे थे। उन्होंने कहीं कोई नारा नहीं लगाया। कोई भीड भी इकटठी नहीं की। उन्होंने किसी भी कानून का उल्लंघन नहीं किया। वह बात कर रहे है यह अधिकार तो उन्हें संविधान में दे रखा है।
एसपी मोहित चावला ने कहा कि हमारे पास इनपुट आया था कि कुछ किसान कोर क्षेत्र माल रोड व रिज पर प्रदर्शन करने आ रहे है। यहां पर हाईकोर्ट के आदेश है कि कोई प्रदर्शन नहीं कर सकता। इन किसानेां के पास न प्रशासन,न सरकार और न ही एसएचओ सदर की ओर से किसी प्रकार की मंजूरी है।इन किसानों को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है।मोहित चावला ने इनके नाम तक बताने से इंकार कर दिया व कहा कि सुरक्षा कारणों से वह अभी इनके नाम नहीं बता सकते। यह मोहाली के है व पूरी छानबीन की जा रही है। इन्हें धारा 107 व 151 के तहत हिरासत में लिया है।
सदर थाने से एसडीएम अदालत की ओर ले जाते हुए हिरासत में लिए एक किसान ने कहा कि पुलिस ने उन्हें अभी यह नहीं बताया है कि उन्न्हें गिरफतार किया गया है या नहीं। उन्हें बताया गया है कि उन्हें एसडीएम की अदालत में ले जाया जा रहा है।यह पूछने पर कि क्या उनके साथ बदतमीजी की गई तो उन्होंने कहा कि उनके साथ दोस्ताना रवैया तो नहीं रहा है। लोकतंत्र में बात रखने का अधिकार है। हमारी जाति को खतरा है।
मुचलके भरा कर छोडा।
पुलिस की ओर बाद में इन तीनों को एसडीएम की अदालत में पेश किया गया। एसपी मोहित चावला ने कहा कि पांच -पांच हजार रुपए के मुचलके पर इन्हें छोड दिया गया है। उन्होंने इनके नाम करणदीप संधु,हरप्रीत सिंह और गुरप्रीत सिंह बताएं व कहा कि यह पंजाब मोहाली के रहने वाले है।। उन्होंने कहा कि इन तीनों की गतिविधियां असमान्य पाए जाने पर इन्हें हिरासत में लिया गया था। माल रोड व रिज उच्च सुरक्षा जोन है, ऐसे में पुलिस को कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती थी। ये तीनों रिज मैदान पर कियसी अप्रिय घटठनाए को अंजाम दे सकते थे।यह पूछे जाने पर क्या पुलिस के पास ऐसा कोई इनपुट था कि ये सुरक्षा को कोई खतरा पहुंचा सकते है। उन्होंने कहा कि इस बउावत वह छानबीन कर रहे है। अब छोड दिया है।मीडिया के साथ पुलिस के रवैये पर उन्होंने कहा कि इस बावत संबधित अधिकारियों ने माफी मांग ली है।
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