शिमला। विधानसभा के मानसून सत्र का दूसरे दिन भी सतापक्ष व विपक्ष की नोकझोंक की वजह से बिना चर्चा के भेंट चढ़ गया।
जहां पिछले कल सदन कुल एक घंटे दस मिनट चला वहीं आज दस मिनट की वृद्धि करते हुए 12 बजकर 20 मिनट के बाद अगले दिन के लिए स्थगित हो गया। आज नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल की गैरमौजूदगी में भाजपा विधायकों ने जम कर शोर शराबा किया।
जैसे ही सुबह सदन की कार्यवाही शुरू हुई तो भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज कुछ बोलने के लिए खड़े हुए तो उससे पहले ही स्पीकर बृज बिहारी बुटेल ने पूर्व विधायक बलवंत सिंह नेगी के निधन पर शोकाकुल प्रस्ताव लाने का आग्रह किया।
इस पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शोकाकुल प्रस्ताव पेश किया व कहा कि बलवंत सिंह नेगी जिनका जन्म 28 फरवरी 1929 को हुआ था वह पहली बार 1963 में विधानसभा के सदस्य चुनकार आए थे।
वह कल्पा ग्राम पंचायत के प्रधान भी रहे और वो एक बड़े कुशल बागवान थे। मुख्यमंत्री ने उनकी समाजसेवा को भी इस मौके पर याद किया। इसके बाद डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी जो कि उनके विधानसभा हलके से चुन कर आए हैं,ने भी दिवंगत विधायक को श्रद्धजंलि दी।
भाजपा की ओर से भाजपा के वरिष्ठ विधायक गुलाब सिंह ठाकुर ने बलवंत सिंह नेगी को श्रद्धाजंलि दी और उनके योगदान को याद किया। आखिर में स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल ने भी खुद को शोकाकुल प्रस्ताव में शामिल किया व सदन ने दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत आत्मा को श्रद्धाजंलि अर्पित की।
करीब दस मिनट बाद प्रश्नकाल शुरू हुआ । जैसे ही स्पीकर ने प्रश्नकाल शुरू किया भाजपा के विधायक सुरेश भारद्वाज खेउ़ हुए व जानना चाहा कि जो उनका एक प्रसताव राज्य की कानून व्यवस्था पर नियम 67 के तहत चर्चा के लिए दिया हैं, उस पर क्या फैसला लिया गया हैं।
उन्होंने कानून व्यवस्था पर चिंता जतो हुए कहा कि सरकाघाट के धर्मपुर में पिछले कल 15 साल की एक लड़की से गैंगरेप हुआ । उन्होंने कहा कि पिछले कल की कार्यवाही को आज भी दोहरा दिया हैं जबकि नियमों के मुताबिक कि ऐसा नहीं होता हैं। इतने में संसदीय कार्य मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हम गुडिया गैंगरेप मामले में चर्चा करने के लिए तैयार हैं।, इतने में सुरेश भारद्वाज ने कहा कि पिछले कल तो आप कह रहे थे कि इस पर चर्चा नहीं ही सकती क्योंकि मामला न्यायालय के अधीन हैं। इतने में अग्निहोत्री व भारद्वाज के बीच तीखी नोकझोंक शुरू हो गई।
इतने में दखल देते हुए स्पीकर ने कहा कि उन्होंने आज नियम 130 के तहत गुडिया मामले में चर्चा रखी हैं। इस पर भी भाजपा के विधायक संतुष्ट नहीं हुए व कहने लगे कि नियम 67 के तहत ही चर्चा कराई जाए।
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर खड़े हुए व कहा कि आपने ही बोलने का ठेका ले रखा हैं। इतने में सतापक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक कुछ समय तक देखने को मिली और भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री व सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी।
सतापक्ष की ओर से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तेवर में आ गए और भाजपा विधायकों को कहा कि गुंडागर्दी नहीं चलेगी। इस दौरान उन्होंने अपने पुराने साथी विद्या स्टोक्स व कौल सिंह को भी खड़े होने का इशारा किया । जब ये गतिरोध चल रहा था तो भाजपा के वरिष्ठ विधायक राजीव बिंदल सदन में पहुंचे ।इसी बीच मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, विद्या स्टोक्स व कौल सिंह ठाकुर मंत्रणा में जुटे रहे। भाजपा विधायकों की ओर से जब मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाए जा रहे तो वो गुस्से में आ गए व चेतावनी वाले लहजे में कहा कि वो भ्रष्ट भाषा का इस्तेमाल न करे। मुख्यमंत्री बोले कि हम आपकी गुंडागर्दी से डरने वाले नहीं हैं।ये सरकार अच्छी चल रही हैं व चलेगी। इसी बीच गतिरोध न समाप्त होता देख स्पीकर बुटेल ने 15 मिनट के लिए स्थगित कर दिया।
जैसे ही 15 मिनट पूरे हुए तो कांग्रेस की विधायिका आशा कुमारी स्पीकर के आसन पर बैठी व सदन को सूचित किया कि ये सदन 12 बजे तक स्थगित रहेगा। जब वे आसन से उतर रही थी तो वो सीढ़ियों पर उनका पांव मुड़ गया।
12 बजे जब सदन की कार्यवाही दोबारा स्पीकर बृज बिहारी लाल बुटेल की अध्यक्षता में शुरू हुई तो सुरेश भारद्वाज फिर खड़े हुए और उन्होंने मांग की कि आपकी गैरमौजूदगी में आशा कुमारी स्पीकर के आसन पर आकर बैठी इसलिए उनकी सदस्यता निलंबित की जानी चाहिए, क्योंकि उन्होंने नियमों की उल्लंघना की हैं।
उन्होंने कहा कि भाजपा ने इस बावत उन्हें प्रस्ताव भी दिया हैं। इस पर स्पीकर ने कहा कि आशा कुमारी को सदन को सूचित करने के लिए उन्होंने अधिकृत किया था।
इतन में सुरेश भारद्वाज संतुष्ट दिखे व वो अपनी पहले वाली मांगों पर आ गए व कहा कि कानून व्यवस्था पर नियम 67 के तहत चर्चा कराई जाए। इसका स्पष्टीकरण देते हुए स्पीकर बी बी बुटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री आश्वस्त कर दिया है कि सरकार इस मसले पर चर्चा के लिए तैयार हैं।
आज सदन में आज एक ऐसा वाक्या भी देखने को मिला जिसमें सता पक्ष के विधायक कुलदीप कुमार जो कि स्पीकर का ध्यान अपनी बात कहने के लिए आकर्षित कर रहे थे और बार बार जोर जोर से बोल रहे थे में कल आपसे बोलने का समय मांग रहा हूं और आप इधर ध्यान ही नहीं देते। वह अपने बात कहते कहते इतने उतेजित हो गए कि वो अपनी सीट से उठकर स्पीकर के आसन के सामने पहुंच गए। उस समय विपक्ष के विधायक जोर शोर से नारेबाजी कर रहे थे। इसके बाद भाजपा विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में आ गए और भाजपा विधायक रणधीर शर्मा और राजीव बिंदल बिलकुल स्पीकर के आसन को जाने वाली सीढ़ियों पर पहुंच गए।
दस मिनट के शोरगुल के बाद स्पीकर ने सदन की कार्यवाही शुरू कर दी। अगले दस मिनट में जैसे ही सदन की कार्यवाही खत्म हुई विपक्षी सदस्यों के शोरशराबे को देखते हुए स्पीकर ने कार्यवाही कल के लिए स्थगित कर दी।इससे पहले स्पीकर ने विपक्षी सदस्यों से कई बार आग्रह किया कि वो नियम 130 के तहत कानून व्यवस्था पर जो चर्चा लगी हैं उसमें भाग लीजिए । लेकिन भाजपा सदस्य नारेबाजी करते रहे।
सदन की कार्यवाही समापत होने के बाद मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि सरकार तो चर्चा के लिए अपनी तरफ से अति संवेदनशील दो मुददों पर पूरी तैयार थी । इनमें से एक मामला गुडिया गैंगरेप का मामला था जिसमें कि हम भी चाहते हैं कि गुडिया को न्याय मिले। मैंने खुद पहल करते हुए प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी। मैंने स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भी इस बावत अवगत कराया व उन्होंने मेररी बात मानते हुए मामले की जांच सीबीआई को सौंप दिया। अब सीबीआई इस मामले में जांच कर रही हैं व हाईकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग कर रहा हैं।इस बात का भी गूरेज न करते हुए उन्होंने स्प्ष्ट शब्दों में कहा कि गुडिया मामले को भाजपा की ओर से राजनीतिक आंदोलन में बदला जा रहा हैं। उन्होंने कहा कि दूसरा महत्वपूर्ण मुददा जो बारिश से हुए जान मासल के नुकसान का लगा था उस पर भी विपक्षी पार्टी भाजपा ने चर्चा नहीं की और गतिरोध पैदा किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में अपनी बात रखने का हर किसी को हक हैं और उस पर शालीन भाषा का प्रयोग होना चाहिए।
अपने राजनीतिक विरोधी व नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल जो सदन में मौजूद नहीं थे, पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि अगर नेता ताकतवर हो तो ऐसा सदन में दृष्य कभी देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा कि अगर धूमल ताकतवर होते तो उनके विधायक उनकी बात मानते और उनके कहने के मुताबिक ही सदन में कार्य करते।
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