शिमला। प्रदेश में तीन विधानसभा व एक संसदीय हलके के लिए आगामी दिनों में होने वाले चुनावों में भाजपा का बंटाधार करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान यूनियन ने चुनाव कार्यक्रम की घोषणा होने के बाद भाजपा के खिलाफ अभियान छेड़ने का एलान किया है।भारतीय किसान संघ ने कहा कि वह’ भाजपा के लिए वोट नहीं’ यह अभियान छेड़ेंगी व किसान इन इन उप चुनावों में ट्रेलर दिखाएंगे जबकि 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को पूरी िफल्म दिखाई जाएंगी।
संघ ने एलान किया है कि किसान आंदोलन अब 2024 तक चलेगा और किसान केंद्र की मोदी सरकार का तख्तापलट कर ही दम लेंगे।
भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनेंद्र सिंह नॉटी ने राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उप चुनावों की घोषणा होने के बाद भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महासचिव राकेश टिकैत मंडी संसदीय हलके के कुल्लू व मंडी में किसानों की जनसभाएं कर भाजपा सरकार की ओर से किसानों के साथ की जा रही बदसलूकी से अवगत कराएंगे। इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी भजपा को वोट नहीं यह ट्रेंड चलाया जाएगा।
इसके अलावा अर्की, जुब्बल कोटखाई और फतेहपुर विधानसभा हलकों में संयुक्त किसान मोर्चा और भारतीय किसान संघ के बाकी नेता जाएंगे व किसानों को भाजपा के खिलाफ वोट न देने का अभियान छेड़ेंगे।
नॉटी ने कहा कि भाजपा सरकार व इसके नेता अहंकार के मद में चूर है तभी दिल्ली की सीमा पर पिछले एक साल से ज्यादा समय से तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ किए जा रहे आंदोलन की झूठा प्रचार कर खत्म करने की कोशिश कर रहे है। लेकिन किसान अब पीछे हटने वाले नहीं है। ये तीनों कृषि कानून खेती को कारोबारियों के हवाले करने के लिए लाए गए हैं।
उन्होंने भाजपा सरकार के इस दावे का कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले भी था , अभी भी है और आगे भी रहेगा को कोरा ढूठ करार दिया व कहा कि प्रदेश के मैदानी जिलों में ही आठ सौ से एक हजार करोड़ तक का धान किसान बेचने के लिए पैदा करते है। लेकिन प्रदेश में धान की सरकारी खरीद नहीं होती है। वह अपना धान हरियाणाा की मंडियों में ले जाते है लेकिन वहां पर उनको दाखिल नहीं होने दिया जाता है।
उन्होंने जयराम सरकार से धान उत्पादन करने वाले सभी जिलों में धान खरीद के लिए दो – दो केंद्र खोलन की मांग की। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दिनों से सेब की कीमतों में गिरावट जाररी है। जब से प्रदेश में अदानी जैसे कारोबारी सेब खरीद के लिए मैदान में उतरे हैं यह तभी से हो रहा है। ये कारोबारी पिछले साल का सेब जिसे ये अपने शीत भंडारों में जमा करके रखते है को बाजार में उतार उतार देते हो और बाजार में सेब की भरमार होजाती है व सेब की कीमत गिर जाती है। इसके बाद अदानी व उनके जैसे कोराबारी सेब की खरीद कर उसे शीत भंडारों में रख लेते है व जब सेब की कीमत बढ़ती है तो इस बाजार में उतार देते है। इससे बागवानों को नुकसान उठाना पड़ता है। बाजार के इस खेल को रोका जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसानों ने बंगाल के चुनावों में भाजपा को चोट दी है लेकिन उसका दंभ अभी भी नहीं उतरा है। किसानों के खिलाफ मुहिम छेड़ने वाली भाजपा की ताकत को आने वाले उपचुनावों में कम किया जाएगा व 2022 भी सबक सिखाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगर किसानों के आंदोलन का लाभ कांग्रेस या किसी अन्य दल को मिलता है तो उसमें वह क्या कर सकते है। उन्होंने बिजली अधिनियम अध्यादेश का भी विरोध करने का फैसला लिया। यह पूछे जाने पर कि प्रदेश में किसान आंदोलन कहीं नजर नहीं आ रहा है, इसके पीछे क्या कारण है। नॉटी ने कहा कि मंडी के बल्ह से लेकर फोरलेन से प्रभावित किसानों को वह एकजुट करने में लगे है व आने वाले दिनों में इसका असर नजर आएगा।
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