शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके बेटों के खिलाफ किए गए मानहानि मामले में धूमल व वीरभद्र सिंह में कोई समझौता नहीं हो पाया है।समझौता कराने को लेकर कोई कारगार प्रयास भी नहीं हो पाए है। वीरभद्र सिंह व धूमल के वकीलों ने आज अदालत में कहा कि इस दिशा में कुछ भी ठोस नहीं हो पाया ।
प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक सिंह ठाकुर ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले की नियमित सुनवाई के अगली तिथि 17 अक्तूबर निर्धारित कर दी है। याद रहे कि पिछल्ली सुनवाई पर विवेक सिंह ठाकुर की अदालत ने दोनों पक्षों को इस मसले को अदालत के बाहर सुलझाने के लिए समय दिया था। धूमल व वीरभद्र सिंह को पिछल्ली सुनवाई के लिए अदालत में हाजिर होने के आदेश दिए गए थे लेकिन दोनों नेता हाजिर नहीं हो पाए थे। इस पर अदालत ने आज तक आपस में समझौता कराने के लिए समय दिया था।
याद रहे पिछल्ली सरकार में धूमल के छोटे बेटे अरुण धूमल, उनके बड़े भाई अनुराग ठाकुर और पिता प्रेम कुमार धूमल के अलावा पूर्व केद्रीय मंत्री अरुण जेटली के खिलाफ वीरभद्र सिंह ने निचली अदालत में मानहानि का मुकदमा दायर किया था। इस मामले में वीरभद्र सिंह की ओर से प्रेम कुमार धूमल को सम्मन चले गए थे जबकि ये सम्मन अरुण धूमल को जाने थे। इस पर वीरभद्र सिंह ने इस त्रुटि को दूर करने की अर्जी सत्र न्यायालय में दायर कर दी।
धूमल व उनके बेटों ने इस अर्जी के खिलाफ प्रदेश हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी व दलील दी कि जब एक बार सम्मन चले गए तो उन्हें दुरुस्त नहीं किया जा सकता। इस याचिका पर चल रही सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने दोनों पक्षें को मानहानि के मामले को अदालत के बाहर सुलझाने की सलाह दी थी। लेकिन यह मामला सुलझ नहीं पाया। वीरभ्द्र सिंह की ओर से दायर दुरुस्ती की अर्जी सत्र न्यायालय में लंबित है । चूंकि मामला उच्च न्यायालय में है तो मानहानि के मामले में कोई सुनवाई नहीं हो रही है।
दिसंबर 2012 से दिसबंर 2017 तक जब वीरभद्र सिंह प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, तब अनुराग ठाकुर ,अरुण धूमल व अरुण जेटली व प्रेम कंमार धूमल ने अलग अलग समय पर वीरभद्र सिंह पर भ्रष्टाचार को लेकर संगीन इल्जाम लगाए थे। इस पर वीरभद्र सिंह ने इन सभी के खिलाफ मानहानि का मुकदमा कर दिया। 2014 में जब अरुण जेटली मोदी सरकार में मंत्री बने तो वीरभद्र सिंह ने उनके खिलाफ किए मुकदमे को वापस ले लिया। मानहानि का ये मामला अभी निचली अदालत में लंबित है।
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