शिमला। इंसाफ की मांग को लेकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा देने के बीच जिला के कोटखाई के हिलायला में जुलाई 2017 में दसवीं कक्षा की एक छात्रा गुडिया के साथ हुए दुष्कर्म और हत्या के मामले में राजधानी की अदालत ने सीबीआइ की ओर से गिरफतार किए गए आरोपी नीलू चिरानी ऊर्फ अनिल कुमार को दोषी ठहरा दिया है।
बेहद जघन्य इस मामले में सत्र न्यायाधीश राजीव भारदवाज ने आरोपी नीलू को भारतीय दंड संहिता की धारा 376(2)1,376ए,302 और पोक्सों अधिनियिम की धारा 4 के तहत दोषी करार दिया है। कोविड की वजह से मामले की आभासी तौर पर सुनवाई हुई और नीलू को भी इस मौके पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई में शामिल किया गया।
चार साल पहले के इस मामले में नीलू को दोषी ठहरा देने के बाद अदालत ने कहा कि इस मामले में दोषी को सजा 11 मई को सुनाई जाएगी।
सीबीआइ की ओर से अदालत में मौका ए वारदात से एकत्रित किए गए नमूनों की नीलू के डीएनए से मिलान को महत्वपूर्ण सबूत माना । सीबीआइ ने 14 बिंदुओं पर जांच कर अदालत में दायर आरोपपत्र में 14 सबूत पेश किए थे। इनमें 12 को नीलू के खिलाफ साबित हो जाने पर अदालत ने नीलू को दोषी करार दे दिया।
सीबीआइ ने जांच के दौरान सैंकडों लोगो के खून के नमूने लिए थे और उनका मिलान मौके पर मिले नमूनों से किया था लेकिन सीबीआइ के हाथ कुछ नहीं लग रहा था। इस बीच सीबीआइ को चिरानी नीलू के बारे में जानकारी मिली तो सीबीआइ ने उस पर अपनी जांच केंद्रित की।मौके पर मिले नमूनों का मिलान नीलू के परिवार वालों से किया गया। इन नमूनों का मिलान होने के बाद सीबीआइ नीलू के पीछे पड गई। वारदात को अंजाम देने के बाद नीलू फरार हो गया था।अप्रैल 2018 में फोन कॉल डिटेल के आधार सीबीआइ ने उसे हाटकोटी में एक बागवान के बगीचे से दबोच लिया।
इसके बाद सीबीआइ ने उसका डीएनए टेस्ट भी लिया व उसका मिलान हो गया और सीबीआइ ने इस मामले को सुलझाने का दावा कर दिया।
याद रहे 4 जुलाई 2017 को कोटखाई के एक सरकारी स्कूल से दसवीं की छात्रा गुडिया अपने घर के लिए अकेली निकली थी । एसे टूर्नामेंट में जाना था तो शिक्षकों ने उसे अपने घर से सामान लाने के लिए घर भेज दिया। घर के लिए रास्ते में जंगल पडता था।लेकिन अपने घर नहीं पहुंची।इसके बाद उसकी तलाश शुरू हो गई और छह जुलाई को उसकी लाश स्कूल से कुछ दूरी पर मिली थी। उसे बहुत बेहरमी से मारा गया था। बाद में प्रदेश पुलिस की ओर से की गई छानबीन में गुडिया के साथ सामूहिक दुष्कर्म का मामला सामने आया था।
इस घटना के बाद स्थानीय स्तर पर लोगों में भारी रोष फैल गया व लोग सडकों पर उतर आए। लोगेां के विरोध को देखते हुए तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार ने इस मामले में आइ जी जहूर हेदर जैदी की देखरेख में एसआइटी गठित कर दी।इस एसआइटी ने कुछ ही दिनों में छह मजदूरों को पकड कर दावा किया कि उन्होंने इस मामले को सुलझा लिया है और इन छह मजदूरों ने गुडिया के साथ दुष्कर्म किया और उसकी हत्या कर दी। लेकिन पुलिस की इस थ्योरी पर किसी ने भरोसा नहीं किया । इस बीच पुलिस की ओर से पकडे गए एक आरोपी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई। इससे लोग भडक गए आंदोलन पर आ गए। इस तरह मामला सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया गया ।
डीएनए और पोलीग्राफ टेस्ट कराने के बाद पुलिस की ओर से पकडे गए सभी आरोपियों को सीबीआइ ने छोड दिया और जैदी समेत नौ लोगों को
हिरासत में हुई एक आरेपी की मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते गिरफतार कर लिया। इन सबके खिलाफ सीबीआइ की चंडीगढ की अदालत में अलग से मामला चल रहा है।
परिजनों इंसाफ की मांग को लेकर हाईकोर्ट में
सीबीआइ की ओर से इस मामले में केवल एक आरोपी नीलू को पकडे जाने पर असंतोष जताते हुए इस मामले की दोबारा जांच कराने की मांग की है। परिजनों का कहना है कि इस जघ्ज्ञन्य अपराध को केवल एक ही व्यक्ति नहीं कर सकता है। इसमें कई लोगों का हाथ हो सकता है। वो तमाम आरोपी समाज में खुलेआम घूम रहे है। उस दौरान इस मामले में कई प्रभावशाली परिवारों के युवकों की ओर से लोगों ने इशारे किए थे। कुछ तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी।
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