शिमला। धन शोधन मामले में पटियाला हाउस कोर्ट की ईडी अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ,उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह,उनके कारोबारी मित्र वक्कामूला चंद्रशेखर समेत तमाम आरोपियों के खिलाफ 9व 10 अप्रैल को आरोप निर्धारण के लेकर दोनों तरफ से दलीलें सुनने की तारीख तय की है।
वीरभद्र सिंह व उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह व पुत्र विक्रमादित्य सिंह आज अदालत में पेश नहीं हुए। जबकि वक्कामूला चंद्र शेखर और बाकी आरोपी अदालत में मौजूद थे। उनकी ओर से अदालत में छूट को लेकर अर्जी दाखिल की गई।
इसके अलावा वीरभद्र सिंह व बाकी आरोपियों की ओर से आज अदालत में अर्जी दायर कर चालान से जुड़े कुछ कागजात मांगे गए।
इडी की ओर से अदालत में पेश हुए वकील नितेश राणा ने कहा कि वीरभद्र सिंह व उनके परिवार के सदस्यों के अलावा अदालत में सभी आरोपी पेश हुए। पटियाला हाउस कोर्ट में इडी अदालत के जज अरुण भारद्वाज की अदालत में आज मामले की सुनवाई हुई।
उधर आय से अधिक संपति मामले में सीबीआई अदालत में वीरभद्र सिंह व बाकी आरोपियों के खिलाफ 3 अप्रैल से ट्रायल शुरू होना है।
धन शोधन मामले में इडी ने अपने चालान में कहा है कि वक्कामला चंद्रशेखर ने वीरभद्र सिंह को 2 करोड़ 40 लाख और उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह को डेढ़ करोड़ बिना ब्याज का कर्ज दिया है। वक्कामूला चंद्रशेखर की वेंचर एनर्जी एंड टेक्नालॉजी नामक कंपनी को 14 फरवरी 2002 को प्रदेशके चंबा में साई कोठी में एक हाइडल पावर प्रोजेक्ट आवंटित किया था। वह इस प्रोजेक्ट की एवज में जमा कराए जाने वाले पैसे को जमा नहीं करा पाए थे व सरकार से कई बार अवसर ले चुके थे। ऐसे में बिना ब्याज के इतनी बउÞी रकम देना सवालों के घेरे में है।
वक्कमूला चंद्र शेखर ने वीरभद्र सिंह के पुत्र विक्रमादित्य सिंह और उनकी पुत्री अपराजिता सिंह की कंपनियों मैसर्स मेपल डेस्टिनेशन और ड्रीम बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड को 49 लाख 99 हजार रुपए का बिना ब्याज का कर्ज दिया था। मैसर्स मैपल डेस्टिनेशन और ड्रीमबिल्ड ने तारिणी शुगर एंड डिस्टिलरीज से भी बिना ब्याज का डेढ करोड़ रुपए का कर्ज लिया था।
तारिणी शुगर एंड डिस्टिलरीज में वक्कामूला की 17.53 फीसद की हिस्सेदारी थी जबकि 64.57 फीसद हिस्सेदारी तारिणी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड की पाई गई थी। तारिणी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक भी वक्कामूला चंद्रशेखर है। इस तरह वक्कामूला की इन कंपनियों ने वीरभद्र सिंह के बेटे व बेटी की कंपनियों को एक करोड़ 99 लाख रुपए का बिना ब्याज का कर्ज दिया।
ई उी जांच में इसके अलावा मैसर्स तारिणी इंटरनेशनल लिमिटेड में दस रुपए प्रति शेयर के 9 लाख 80 हजार के इक्विटी शेयर भी वीरभद्र सिंह के परिवार के सदस्यों के नाम पाए गए। इनमें से वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंहऔर उनकी बेटी अपराजिता सिंह के नाम 3 लाख 40 हजार व बेटे विक्रमादित्य के नाम तीन लाख शेयर पाए गए। इसके अलावा वीरभद्र सिंह के ओएसडी अमित पाल सिंह के भी इस कंपनी में दस हजार शेयर थे। यह सब रजिस्ट्रार आॅफ कंपनीज के दस्तावेजों में पाया गया था।
ईडी ने इन तमाम तथ्यों की जांच की व वक्कामूला से इस बावत जवाब भी मांगा। ईडी सूत्रों के मुताबिक ईडी ने वक्कामूला के कई ठिकानों पर जाकर छानबीन की थी ।इडी ने अपने चालान में कहा है कि ये तमाम पैसा वीरभद्र सिंह ही का था व इसे सफेद करने के लिए यह सब तामझाम किया गया।
गौरतलब हो कि यह मामला वीरभद्र सिंह के 2008 से लेकर 2010 के बीच यूपीए सरकार में केंद्रीय स्टील मंत्री रहने के समय का है। आयकर विभाग ने स्टील कंपनियों के यहां की गई छापेमारी में डायरी जबत की थी। डायरी में पाया गया था कि कंपनी ने 2 करोड़ 28 लाख रुपए का भुगतान वीबीएस के नाम से दिखाया गया है। इस डायरी में दिखाया गया था कि 28 अक्तूबर 2009 को 50 लाख,23 दिसंबर 2009 को 50 लाख,21 अप्रैल 2010 को 27 लाख 74 हजार और 24 अगस्त 2010 को एक करोड़ का भुगतान वीरभद्र सिंह को किया गया ।
मामला तब खुला जब वीरभद्र के एलआईसी एजेंट आनंद चौहान आय कर विभाग के जांच के घेरे में आए। आयकर विभाग की जांच आनंद चौहान वाले मामले में आयकर जांच में सामने आया था कि उसने पंजाब नेश्नल बैंक की शिमला शाखा में अपने खाते में उसने पांच करोड़ नकद रपए जमा कराए। इसके बाद उसने अपने खाते से चेक देकर वीरभद्र सिंह, उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह और उनके बच्चें के नाम पांच करोड़ की एलआईसी कराई। जांच में यह सामने आया था कि यह पैसे वीरभद्र सिंह के थे।
जांच में दौरान पाया गया कि इन पांच करोड़ रुपयों को समायोजित करने के लिए वीरभद्र सिंह ने 2009-10,2010-11 और 2011-12 की आय के दोबारा आकलन के लिए दोबारा रिवाइज्ड रिटर्न भी व उनमें 2009-10 की आय 2 करोड़ 21 लाख 35 हजार रुपए दर्शाई जबकि 2010-11 की आय कृषि आय 2 करोड़ 80 लाख 92 हजार और पांच सौ व 2011-12 की क1षि आय 1 करोड़ 55 लाख दर्शई। वीरभद्र सिंह ने दावा किया ये उनकी सेब की खेती की आय है। यह आय पहली रिटर्न में दिखाई से कहीं अधिक थी।
आनंद चौहान के साथ वीरभद्र सिंह की ओर से एक समझौता ज्ञापन भी किया गया था जिसमें आनंद चौहान को जिला शिमला के डमराली में वीरभद्र सिंह के सेब केबगीचे की देखभाल व बाकी प्रबंधन का काम सौंपा गया था। सेब की विक्री भी आनंद चौहान ने ही की थी, यह भी आयाकर विभाग की जांच में सामने आया था।लेकिन जांच में पाया गया था कि यह समझौता ज्ञापन पिछल्ली तिथि से बनाया गया था।
इस बीच सीबीआई ने सितंबर 2015 में उनके खिलाफ आय से अधिक संपति का मामला दर्ज कर दिया और उनके शिमला स्थिति कई आवास समेत कई ठिकानों पर छापेमारी कर दी। सीबीआई के साथ ही ईडी ने भी धन शोधन का मामला दर्ज कर दिया था
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