शिमला। सता में आने के पहले दिन से बेहतर जन संपर्क के लिए तरस रही वीरभद्र सिंह सरकार अपने महत्वपूर्ण विभाग सूचना व लोक संपर्क विभाग के लिए चौथे साल में मौटे तौर पर फिलहाल एक प्रोफेशनल निदेशक ढूंढ पाई है। लेकिन अभी वो भी टेंपोरेरी आधार पर ही है।विभाग के पूर्व निदेशक एम पी सूद के रिटायर होने पर सरकार ने पर्यटन निगम के एमडी दिनेश मलहोत्रा को सूचना व लोक संपर्क विभाग के निदेशक पद का अतिरिक्त कार्यभार दिया है,जिन्होंने आज कार्यभार संभाल लिया है।
एमपी सूद को एकसाल का सेवा विस्तार देने का कुछ पत्रकारों की ओर से चलाया गया अभियान सफल नहीं हो पाया। वीरभद्र सिंह के सता में आने से अब तक विभाग का निदेशक सूचना व जन संपर्क मंत्री मुकेश अग्निहोत्री का करीबी अफसर रहा। धूमल सरकार में विभाग के निदेशक रहेे बीडी शर्मा का सेवा विस्तार खत्म होने पर सरकार ने मुकेश अग्निहोत्री केकरीबी अफसर राजेंद्र सिंह को निदेशक बनाया। वो काफी समय तक विभाग के निदेशक रहे। उन्हें मीडिया को संभालने का कोई अनुभव नहीं था। उसके बाद वीरभद्र सिंह के करीबी व भले अफसर राकेश शर्मा को विभााग का निदेशक बनाया गया । लेकिन वो मंत्री का प्रेेशर नहीं झेल पाए।हालांकि उन्होंने विभाग को पटरी पर लाने के लिए बहुत कुछ किया।
मंत्री से पटरी न बैठने के बाद मंत्री नेे धूमल व खुद के करीबी अफसर एमपी सूद को विभाग के निदेशक पद की जिम्मेदारी सौंपी।लेकिन जिस तरह प्रोफेशनल तरीके से काम होना चाहिए था वो पिछले तीन सालों में कभी भी नजर नहीं आया ।
महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे ऑन लाइन मीडिया को लगातार पूरी तरह नजरअंदाज किया जाता रहा है। नई पॉलिसी बनी तो उसमें भी ऑन लाइन मीडिया को हाशिए पर ही रखा।जबकि भविष्य ऑन लाइन मीडिया का है जिसमें प्रचार की पूरी ताकत मीडिया हाउस के हाथ में न रहकर जनता या जो प्रचार करना चाहता है उसके हाथ में होती है।अब तक के निदेशकों ने इसेे पूरी तरह नजरअंदाज कर रखा है।इसके अलावा भी विभाग के कुछ ही जिम्मेदार अफसर प्रोफेशनली काम कर रहे है। चूंकि बॉस प्रोफेशनल नहीं रहे तो नीचे काम ठीक नहीं चला।हालांकि मंत्री खुद पत्रकार रहे हें लेकिन कुछ पत्रकारों की जुंडली ही सरकार व सता केंद्र के चारों ओर जमी रही ।बाहर ये भी संदेश गया कि सरकार या सता केंद्र चुनिंदा पत्रकारोंं को ही अहमियत दे रही हैै।सरकार व सता केंद्र में बैठे लोगों ने अधिकांश्ा तौर पर मित्र पत्रकार को ही अहमियत दी।ऐसे में बहुत से पत्रकार जो कई सालों से पत्रकारिता के क्षेत्र में प्रोफेशनली तौर पर काम कर रहे है,उन्हें ये धंधा गंवारा नहीं लगा वो सरकार के अदारों से दूर छिटकने लगे।इसके अलावा जब सीएम व मंत्री संवादददाता सम्मेलन करते हें तो उन्हें बुलाया ही नहीं जाता ।सो वो जाते भी नहीं।इससे plurality का संकट पैदा हो गया जो अभी भी बरकरार है। ये स्थिति किसी भी सरकार के लिए खतरनाक होती है, जो पिछले तीन सालों में महसूस भी की जाती रही है।आलम ये रहा है कि पीआरशिप की अवधारणा पिछले तीन सालों में तबाह होती नजर आई।
इससे पहले जब बीडी शर्मा निदेशक के पद पर रहे मीडिया से विभाग का व्यापक रिश्ता रहा। दिनेश मलहोत्रा पहले भी विभाग के निदेशक रहे हैंं अब देखना हैं कि सरकार के बाकी बचे दो सालों में वो क्या कर पाते है। इसके अलावा ये भी महत्वपूर्ण होगा कि उनकी मंत्री के साथ पटरी बैठती हें या नहीं।चूंकि विभाग सचिव वीसी फारका है तो उनके पास पहले हीसमय बहुत कम है। मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव होने की वजह से उनके पास पहले ही बहुत काम है। इसके अलावा वो एक अरसे से चीफ सेक्रेटरी बनने के जुगाड़ में लगे है।मीडिया उनकी प्राथमिकता में कम से कम पिछले तीन सालों में रहा ही नहीं। या यूं कहे कि मीडिया उनकी प्राथमिकता में कभी रहा ही नहीं।
हालांकि उन्होंने आज निदेशक का पदभार संभालने के मौके पर विभाग के अधिकारियों के साथ एक अनौपचारिक बैठक में उन्होंने समाचारों तथा प्रदेश सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों को राज्य के कोने.कोने तक तेजी के साथ पहुंचाने पर बल दिया ताकि प्रदेश के लोगों के लिए कार्यान्वित की जा रही कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी होे सके।
सूचना सम्प्रेषण में मीडिया के महत्व को इंगित करते हुए मल्होत्रा ने अधिकारियों से मीडिया कर्मियों के साथ बेहतर समन्वय बनाने का आग्रह किया। उन्होंने नियमित आधार पर विभाग का डाटा बैंक अपडेट करने को भी कहा। उन्होंने विभाग में फीचर सेवाओं को और सुदृढ़ करने पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि इसका प्रचार इलेक्ट्राॅनिक मीडिया के माध्यम से भी किया जाए। उन्होंने कहा कि विभागीय प्रकाशन लोगों तक पहुंचने के प्रभावी साधन हैं और अधिकारियों से कहा कि प्रकाशन कार्य में निरन्तरता बनाई जाए।
उन्होंने कहा कि विभाग को तकनीकी रूप से सुदृढ़ व स्तरोन्नत करने के लिए मीडिया व सूचना के क्षेत्र में प्रयोग की जा रही अद्यतन तकनीकों का उपयोग किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया इस उद्देश्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
अतिरिक्त निदेशक आरएस नेगी, संयुक्त निदेशक व विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी बैठक में उपस्थित थे।
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