शिमला।एक सप्ताह से ज्यादा समय दिल्ली के चुनावों में भाजपा प्रत्याशियों के लिए प्रचार करने के बाद आखिर आज सांय राजधानी लौटे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि मंत्रिमंडल विस्तार व फेरबदल को लेकर अब दिल्ली चुनाव के परिणामों के बाद ही आलाकमान से बातचीत की जाएगी।चूंकि आलाकमान अभी चुनावों में व्यस्त था इसलिए बात नहीं हो पाई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर लोकसभा चुनावों से पहले मंत्री अनिल शर्मा के काबीना से इस्तीफा देने व लोकसभा चुनावों में मंत्रीकिशन कपूर के जीत जाने के बाद खाली हुए मंत्रियों के पदों को भरने काम लगातार टालते रहे है और उनकी ये कोशिश अभी भी जारी है।
तीस जनवरी से लेकर अब तक दिल्ली में भाजपा के प्रचार में व्यस्त रहे मुख्यमंत्री के साथ मंत्री पद पाने के लिए पूरी ताकत लगाए राकेश पठानिया अधिकांश समय उन्हीं के साथ रहे।
लेकिन भाजपा अध्यक्ष व वरिष्ठ विधायक राजीव बिंदल मुख्यमंत्री से दो दिन पहले प्रदेश में पहुंच गए थे। कहा जा रहा है उन्होंने अपने दिल्ली प्रवास के दौरान अपनी राजनीतिक गोटियां बिसात पर फेंक आए है। वह प्रवास के दौरान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा से मिले व विधानसभा अध्यक्ष के पद के लिए कसौली से भाजपा विधायक व सामाजिक न्याय मंत्री राजीव सैजल का नाम आगे कर आए है। हालांकि जयराम की इस पद के लिए पहली पसंद सरकाघाट से भाजपा विधायक कर्नल इंदर सिंह है।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि बिंदल ने पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद पहली बार कोई नाम किसी पद के लिए आगे किया है।ऐसे में इस नाम को नकारा गया तो इसे बिंदल की फजीहत माना जाएगा। अगर सैजल को विधानसभा अध्यक्ष बना दिया जाता है तो जयराम मंत्रिमंडल में मंत्रियों के तीन पद खाली हो जाएंगे। बिंदल पहले खुद मंत्री पद की दौड़ में थे । लेकिन उनका कोई भी दांव नहीं चला तो उन्होंने भाजपा अध्यक्ष की कुर्सी संभालने का मन बनाया व कामयाब भी हो गए। अब वह सीधे मुख्यमंत्री के पद की दौड़ में है। आते ही उन्होंने अपनी गोटियां फेंकनी शुरूकर दी थी। अध्यक्ष बनने के बाद वह सबसे पहले जयराम के राजनीतिक शत्रु व पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल के दरबार में हाजिरी भर आए है।अब सैजल का नाम विधानसभा अध्यक्ष के लिए नाम आगे कर उन्होंने जयराम को मुश्किल में डाल दिया है।
हालांकि जयराम ने आज मीडिया से साफ किया कि अध्यक्ष का चुनाव बजट सत्र के दूसरे दिन 26 फरवरी को होगा व कौन अध्यक्ष होगा ये उसी दिन तय किया जाएगा। लेकिन ये इतना आसान नहीं है । इसके अलावा बिंदल अब सदन में बतौर वरिष्ठ विधायक बैठेंगे। उन्हें जयराम ठाकुर केवल विधायक ही रखते है या उन्हें कोई ओहदा भी देते है। जैसे बरागटा को मुख्य सचेतक का पद दिया हुआ है। पहले बिंदल विधानसभा अध्यक्ष होने के नाते ज्यादा राजनीति नहीं कर पाते थे। लेकिन अब वह खुल कर खेल खेलने पर आ गए है। इस बिसात पर सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अब धूमल की रहने वाली है।
पार्टी नेताओं की माने तो मंत्रिमंडल विस्तार कब तक टाला जा सकता है,यह अब जयराम ठाकुर के हाथ में ज्यादा दिन नहीं रहने वाला है। अब नए व मंजे हुए खिलाड़ी मैदान में आ गए है। वैसे भी सरकार के अब तीन साल से कम ही सता में बने रहने के बचे है।ऐसे में अब मंत्री बनने के चाहवान विधायक आर पार के मुड़ में आने वाले है।
(1)