शिमला। केद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में डिप्टी ड्रग कंट्रोलर ए के प्रधान ने कहा है कि आने वाले समय में ग्रीन नैनो प्रोद्योगिकी पर आधारित नई दवाओं को विकसित किया जाएगाा।उन्होंने कहा कि शोध का सीधा असर जनता पर पड़ना चाहिए। वह बाहरा विवि वाकनाघाट में ‘रिसेंट एडवांसेज इन् ग्रीन नैनो टेक्नोलॉजी विषय पर आयोजित किए जा रहेे राष्ट्रीय सम्मलेन के आगाज के मौके पर बोल रहे थे।
प्रधान ने साथ ही जोड़ा कि भारत से अधिक देशों में दवाओं का निर्यात किये जाने के बावजूद यहाँ पर कम ही दवाओं पर शोध किया जाता है ।उन्होंने कहा कि आने वाले समय में ग्रीन नैनोटेक्नोलाजी पर आधारित नई दवाओं को विकसित किया जाएगा ।उन्होंने कहा कि ग्रीन नैनोटेक्नोलाजी हर्बल उत्पादों पर आधारित होती है जिस से वातावरण दूषित नहीं होता, बस ये आवश्यक है कि उद्योग, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं के बीच समन्वय रहे ।
सम्मेलन का आयोजन बाहरा विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ फार्मास्यूटिकल साइंसेज, साइंस इंजीनियरिंग रिसर्च बोर्ड , भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद् एवं सोसाइटी ऑफ फार्मास्यूटिकल एजुकेशनल रिसर्च की सहभागिता से किया गया।
इस मौके पर बाहरा विवि के कुलपति एस के बंसल ने कहा कि बाहरा विवि 2016 से यूजीसी के मानदंडों के अनुसार वे छात्रों की सुविधा के लिए चोइस आधारित क्रेडिट प्रणाली लेकर आये हैं ।
स्कूल ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंसेज के डीन डाा. अंगशु बनर्जी ने ग्रीन नैनोटेक्नोलाजी विषय पर प्रकाश डाला और बताया की किस तरह से इसका उपयोग फार्मेसी के क्षेत्र में किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि आज के सम्मलेन में नैनोटेक्नोलाजी के उपयोग में आने वाली चुनौतियों और उनको निपटने के तरीकों बारे में चर्चा की जाएगी।
इस सम्मलेन में चितकारा विवि ,एल आर शूलिनी विवि,रायत बाहरा विवि मोहाली,रायत बाहरा होशियारपुर, सेंट सोल्जर और अन्य कॉलेजों से 300 से अधिक छात्रों और अध्यापकों ने भाग लिया ।सम्मेलन के पहले दिन विभिन्न कॉलेजों द्वारा 30 पेपर्स प्रेजेंट किये गए और 111 बाहर के कॉलेजों और 27 बाहरा विवि के छात्रों और शिक्षकों द्वारा एब्सट्रैक्ट पेपर्स पेश किये गए ।
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