शिमला। स्मार्ट सिटी के मसले पर हाईकोर्ट से प्रदेश के टॉप आईएएस अफसरों के खिलाफ कड़ी टिप्पणियां किए जाने के बाद दोबारा उसी तरह का कारनामा दोहराने पर वामपंथी नेता व नगर निगम शिमला के मेयर संजय चौहान ने एलान किया है कि अफसरों ने अगर गड़बड़ी नहीं सुधारी तो उनके खिलाफ एफआईआर व अदालत की अवमानना का मामला दायर कर दिया जाएगा। इसके अलावा आंदोलन अलग से छेड़ा जाएगा। ये बेहद संगीन मसला हो गया है कि सरकार के टॉप अफसर ही आंकड़ों से सरेआम छेड़खानी कर रहे है।इससे पूरी सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है।
स्मार्ट सिटी की फेहरिस्त से शिमला को बाहर रखने की साजिश करार देते हुए मेयर संजय चौहान व डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर भी हमला बोला और कहा कि शिमला उनका भी शहर है। वो अपनी भूमिका साफ करे।
चौहान ने बीते दिन स्मार्ट सिटी को लेकर हुई हाई पॉवर स्टीयरिंग कमेटी में टॉप अफसरों ने क्या-क्या गुल खिलाए उनका भंडा फोड़ा।उन्होंने कहा कि स्मार्ट सिटी का चयन 15 बिंदुओं पर होना है। जिस शहर को ज्यादा नंबर मिलेंगे उसे स्मार्ट सिटी का दर्जा मिलना है। लेकिन सरकार धर्मशाला को किसी भी कीमत पर स्मार्ट सिटी की फेहरिस्त में लाना चाहती है।
चौहान ने कहा कि इसके लिए आंकडों से सरेआम हेराफेरी कर दी गई है।उन्होंने बैठक में आपतियां भी उठाई लेकिन अफसरों की मंशा कुछ और ही जाहिर हो रही थी। चीफ सेक्रेटरी पी मित्रा से लेकर अतिरिक्त मुख्य सचिव शहरी विकास मनीषा नंदा तक उनकी बात सुनने को तैयार नहीं।शहरी विकास निदेशक जे एम पठानिया अपनी कहानी ब्यां करते रहे।यही नहीं केंद्र सरकार की ओर से बैठक में कोई शामिल नहीं हुआ।
मोदी सरकार के स्मार्ट सिटी के मेगा प्रोजेक्ट को हिमाचल हाईकोर्ट ने स्टे कर रखा है।इसकी सुनवाई के लिए बीते रोज मोदी सरकार के शहरी विकास मंत्रालय से अफसर शिमला आए थे । लेकिन वो बैठक में नहीं आए। चौहान ने कहा कि उन्होंने कहा भी कि वो क्यों नहीं आए।उन्होंने दावा किया कि वीरभद्र सिंह के अफसरों ने कहा कि वो जबरन थोड़े ही उनको बैठक में ला सकते है। निगम की ओर से ये भी आग्रह किया गया के एक और बैठक रख लेते है जिसमें मोदी सरकार का नामित अफसर भी हो।लेकिन वीरभद्र सिंह के अफसर नहीं माने।वीरभद्र सिंह के अफसर सारी कसरत पहले से ही करके आए थे।
आंकड़ाें में हेरफेर के खेल का खुलासा करते हुए चौहान ने कहा कि अफसरों ने अंकों व प्रतिशत का खेल खेला।शिमला को 77.5 तो धर्मशाला को 72.5 अंक दिए गए ।लेकिन प्रतिशत के खेल में धर्मशाला को 90.63 व शिमला को 77.50 प्रतिशत देकर स्मार्ट सिटी से बाहर कर दिया।मंथली ई न्यूज लेटर के नंबर भी धर्मशाला को दे दिए जबकि जब स्मार्ट सिटी के लिए कट ऑफ डेट दी गई थी तो धर्मशाला नगर परिषद में ई न्यूज लेटर निकलता ही नहीं था।इसकी साइबर फारेंसिक एजेंसी से जांच होनी चाहिए। मेयर ने कहा कि उन्होंने इस पर अपनी आपति चीफ सेक्रेटरी को दे दी है। ये गंभीर मसला है।
यहीं ही नहीं वहां ऑनलाइन शिकायत निवारण को तंत्र ही नहीं है उसके भी नंबर दे दिए।इसके अलावा नगर निगम की आय व धर्मशाला की आय पर भी शिमला से बेइंसाफी की गई।शिमला बहुत अपने स्त्रोतों से एकत्रित करता है। जबकि धर्मशाला नगर परिषद की कभी बढ़ी तो कभी घटी है।उन्होंने ऐसे बहुत ऐसे बिंदु गिनाए जिन के अंक धर्मशाला को देकर स्मार्ट सिटी की फेहरिस्त में लाने कोशिश की गई है।
डिप्टी मेयर टिकेंद्र पंवर ने दावा किया कि शिमला के 85 अंक बनते है और धर्मशाला के 32.5 अंक बनते है।यही ही नहीं शिमला को सौ में से अंक दिए गए जबकि धर्मशाला को 80 में से दिए गए। डिप्टी मेयर ने कहा कि अगर धर्मशाला को 80 में से भी नंबर दिए जाते है तो भी 40 से ज्यादा नहीं बनते है।
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