शिमला। मणिपुर में आतंकियों से लोहा लेते हुए जिस्म पर 12 गोलियां झेलने के बाद शहीद हुए बिलासपुर के मरूडा गांव के सुबेदार बलदेव शर्मा के बेटे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह तक पहुंची फरियाद अनसुनी हो गई हैं। केवल फाइले इधर से उधर सरका दी जाती रही हें बाकि कुछ नहीं हुआ हैं।
यही नहीं मोदी सरकार ने तो उस वक्त संवेदनाओं की सारी हदें पार कर दी जब शहीद बलदेव शर्मा के एमकॉम व एमबीए पास बेटे विवेक शर्मा की नौकरी की फरियाद पर उन्हें शिलांंंग में हो रही भर्ती में शामिल होने का परचा घर भेज दिया। ये परचा गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भेजी फरियाद के बाद असम राइफल्स निदेशालय से आया था।
ये रही गृह मंत्री राजनाथ सिंह को शहीद के बेटे विवेक शर्मा की ओर से लिखी चिटठी-:
विवेक शर्मा शिलॉंग गए भी और सारे टेस्ट पास भी किए लेकिन नौकरी नहीं मिली। बताया गया कि मेरिट में उनका नाम नहीं हैं।भर्ती की अगली रैली होगी तो वहां एप्लाई करे।
ये रही असम राइफल्ा निदेशालय की चिटठी -:
विवेक शर्मा ने कहा कि अगर नौकरी नहीं देनी थी इतनी दूर शिलॉंग में आखिर बुलाया ही क्यों।
29 आसाम राइफल में सुबेदार बलदेव शर्मा की 22 मई 2016 को मणिपुर के चंदेल जिला के जुपी हंगशाई मे उस वक्त आतंकिंयों से सामना हो गया था जब वहां हुए लैंड स्लाइड का निरीक्षण करने 29 आसाम राइफल की तीन गाडियां मौके की ओर रवाना हो गई थी। आतंकियों ने अचानक से सबसे आगे चल रही जवानों से भरी गाड़ी पर फायरिंग शुरू कर दी व इस हमले में 29 आसाम राइफल के छह जवान मौके पर ही शहीद हो गए। जिन में से दो हिमाचल के थे। एक शहीद सुबेदार बलदेव शर्मा जबकि दूसरे मंडी के मॉबी सेरी गांव के राइफल मैन भूपेंद्र ठाकुर थे। जब आतंकियों ने हमला किया तो ये दोनों एक ही गाड़ी में थे।
ये रही दोनों शहीदों की फाइल तस्वीरें -:
जब कहीं से कुछ नहीं हुआ तो 25 मई 2017 को विवेक शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिटठी लिखी व कहा कि उन्हें नौकरी दी जाए ताकि वो अपने परिवार को संभाल सके। विवेक शर्मा ने लिखा कि उनके पिता शहीद बलदेव शर्मा अकेले परिवार को कमाने वाले थे । उनके बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं हैं।
इस चिटठी में प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार अपने वादे से कैसे मुकर इसको लेकर भी जिक्र किया गया हैं।
ये रही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखी चिटठी-:
विवेक शर्मा ने कहा कि इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ और प्रधानमंत्री कार्यालय से एक चिटठी जरूरआई हैं।
ये रही प्रधानमंत्री कार्यालय की चिटठी-:
लेकिन इसके बाद भी कुछ नहीं हुआ।
पिता 55 वर्षीय सुबेदार बलदेव शर्मा के शहीद होने के बाद नौकरी की तलाश कर रहे है विवेक शर्मा ने कहा कि इस सबके बावजूदभी कुछ नहीं हुआ हैं। वो प्रधानमंत्री मोदी के उन भाषणों का जिक्र करते हैं जिनमें प्रधानमंत्री मोदी देश से कहते है कि सेना और अर्धसैनिक बलों की शहादत में कोई फर्क नहीं सरकार सबको शहीद मानती हैं।
विवेक शर्मा ने कहा 22 अगस्त 2016 को उन्होंने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से चीफ पार्लियामेंटरी सेक्रेटरी के जरिए नौकरी की फरियाद की कि हिमाचल सरकार के उन्हें करुणामूलक आधार पर नौकर दें। सरकार की ओर से जवाब आया है कि पैरा मिलिट्री जवानों के शहीद होने पर करुणामूलक आधार पर नौकरी देने का को ई नियम नहीं हैं। वो मोदी सरकार व वीरभद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए कहते है कि मिलिट्री के जवान शहीद है तो पैरा मिलीट्री के जवानों को करुणामूलक आधार पर नौकरी क्यों नहीं मिल सकती।
यही नहीं विवेक शर्मा ने कहा कि वीरभद्र सिंह के मंत्री धनी राम शांडिल उनके घर सात्ंवना देने आए थे । उन्होंने उस समय भरोसा दिया था कि शहीद बलदेव शर्मा के परिजनों को प्रदेशसरकार पांच लाख रुपए देगी व परिवार के एक सदस्य को नौकरी देगी। इसके अलावा स्थानीय स्कूल का नामकरण शहीद के नाम पर किया जाएगा।
विवेक शर्मा ने कहा कि मंत्री का ये वादा झूठा निकला। उन्हें केवल डेढ लाख रुपया दिया गया। विवेक ने कहा कि वो ये नहीं कहते कि उन्हें ज्यादा पैसे दिए जाए। लेकिन जो वादा किया है उसे तो पूरा करे। वादाखिलाफी कर शहीदों का अपमान न करे।
शहीद बलदेव शर्मा की शहादत के बाद घर की सारी जिम्मेदारी विवेक पर आ गई हैं। विवेक की एक छोटी बहन हैं जो एमकॉम की पढ़ाई कर रही हैं । दोनेां अविवाहित हैं। जबकि मां हाउसवाइफ हैं। विवेक ने कहा कि उनके हिस्से में तीन चार बीघा ही जमीन आएगी।ऐसे में पेंशन के दम पर घर चलाना मुश्किल हैं।
इस बावत मंत्री धनी राम शांडिल से बातचीत करनी चाही तो उनके पीए ने कहा कि वो अभी सभा में व्यस्त हैं। दो बार उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई लेकिन वो अपना पक्ष देने के लिए उपलब्ध नहीं हुए।
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