शिमला। हिमाचल के दामाद लेफिटनेंट जनरल देवेंद्र प्रताप पांडे को घाटी में पाकिस्तान के साथ लगती एलओसी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली श्रीनगर स्थित सेना की पंद्रहवीं कोर की कमान की जिम्मेदारी मिली है। इस कोर को चिनार कोर के नाम से भी जाना जाता है जो घाटी में एलओसी की सुरक्षा देखती है। इसके अलावा इस कोर ने पाकिस्तान और चीन के साथ अब तक हुई तमाम सैन्य जंगों में मोर्चा संभाला है।यह कोर सीमा के भीतर भी सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है।
सेना में उच्च स्तर पर हुए फेरबदल के दौरान पांडे को यह जिम्मेदारी दी गई है। चूंकि जम्मू कश्मीर में वह कई अहम पदों पर रहे हैं ऐसे में उनके अनुभवों को देखते हुए उन्हें यह तैनीती मिली है।
इस जिम्मेदारी को अब तक लेफिटनेंट जनरल बीएस राजू संभाल रहे थे। उन्हें अब सैन्य संचालन के महानिदेशक की जिम्मेदारी दी गई है जनरल राजू लेफिटनेंट जनरल पीएस सांघा की जगह पर तैनात किए गए है। जनरल सांघा को उप प्रमुख रणनीति के पद पर ताजपोशी दी गई है।
अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजे गए लेफिटनेंट जनरल पांडे की शादी हमीरपुर के छोटे से गांव सकंद में हुई है। उनके ससुर कर्नल पंजाब सिंह भी सेना में थे व 1971 की जंग में उन्हें वीर चक्र मिला था।
उनकी पत्नी ऊषा पांडे ने कहा कि यह चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी है और परिवार का उनको पूरा सहयोग रहेगा। सेना चुनौतियां लेकर तो आती ही हैं।अभी तक का उनका सफर शानदार रहा है और ईश्वर की कृपा से आगे का सफर भी बेहतर रहेगा। पांडे मूल रूप से उतरप्रदेश के गोरखपुर से है।
अपने दामाद की इस चुनौतीपूर्ण तैनाती को लेकर कर्नल पंजाब सिंह का कहना है कि उनका जम्मू कश्मीर में काम करने का लंबा अनुभव रहा है।इसलिए वह इस चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी को बाखूबी संभालेंगे। वह पहले भी कई चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारियां निभा चुके है।
मौजूदा समय में पांडे टेरिटोरियल सेना के कमांडर है। इसे पहले उन्होंने सियाचिन ग्लेशियर और चुशल सेक्टर में अपनी बटालियनों का नेतृत्व किया है।उन्होंने कश्मीर घाटी में घुसपैठ निरोधक बल का भी नेतृत्व किया है। इसके अलावा भी वह कई अहम और चुनौतीपूर्ण पदों पर रहे हैं।वह इंडियन मिलिट्री अकादमी देहरादून से 1985 में पास आउट हुए व उन्हें सिख लाइट इंफेंटरी रेजीमेंट में कमिशन मिला।
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