शिमला।हिमाचल प्रदेश सफेदपोश अपराधियों से लेकर खुंखार कातिलों ,बलात्कारियों और चोरों के लिए मक्का मदीन बना हुआ है। आलम ये है कि पिछले तीन सालों में खाकी विभाग ने विभिन्न धाराओं के तहत 9179 मामले दर्ज किए जिसमें से 4195 मामलों में पुलिस को या तो एफआईआर की कैंसलेशन रिपोर्ट देनी पड़ी या मामला ट्रेस ही नहीं हुआ या फिर अभियुक्त बरी हो गए । इनमें से बाकी मामले अदालतों में कहीं न कहीं लंबित है।लंबित मामलों में कितने मामलों में अभियुक्त बरी हो जाएंगे ये अलग मसला है। स्टेट पुलिस की सजा दर की बहुत बुरी सिथति है और अपराधियों की मौज है।ये आंकड़ें पुलिस विभाग के अफसरों को मिलने वाले पुलिस अवार्डों को भी कटघरे में खड़ा कर देते है।
ये आंकड़ें प्रदेश पुलिस मुख्यालय गृह विभाग व प्रदेश के गृह मंत्री पर कड़ी टिप्पणी करते है। आंकड़ों का ये मायाजाल आज विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सरकार की ओर से दिए गए जवाब में सामने आया।
सबसे बुरी स्थिति चोरियों, सेंध लगाने व अपहरण के मामलों में हैं। पिछले तीन सालों में चोरी व सेंध लगाने के कुल 4038 मामले दर्ज हुए इनमें से 2320 मामलों का प्रदेश की पुलिस पता ही नहीं लगा पाई। 132 मामलों में पुलिस ने अदालत में कैंसलेशन रिपोर्ट फाइल कर दी। जबकि 85 आरोपी बरी हो गए। कुल 81 आरोपियों को सजा हो पाई है। ये आंकड़ें सरकार के अपने आंकड़े है।
अपराधों की ये सजा दर पुलिस की जांच से लेकर अभियोजन प्रक्रिया तक को कटघरे में खड़ा कर दे रही है।बावजूद इसके खाकी वाले बड़े बाबू ,सचिवालय के बाबू और मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद अपनी पीठ थपथपा रहे है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह जो गृहमंत्री भी है ने आज विधानसभा में दावा किया कि प्रदेश में अपराधों में कमी आई है। उन्होंने पुलिस की पीठ थपथपाई।ये आप जनता के लिए खतरनाक है और अपराधियों को प्रोत्साहित करने वाली स्थिति है।
इन आंकड़ों के मुताबिक हत्या के मामलों में भी सिथति अच्छी नहीं है। तीन सालों में हत्या के कुल 342 मामले दर्ज हुए इनमें से केवल 13 मामलों में सजा हुई हैं। 25 आरोपी बरी हो गए। 41 मामलों में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट दायर की जबकि 34 मामलों में पुलिस हत्यारों का पता ही नहीं लगा पाई।बाकी मामले अदालतों में लंबित है।
सदन में रखे गए इन आंकड़ों का आकलन करे तो अपहरण के मामलों में चोरियों के बाद सबसे बुरी सिथति है। हालांकि हिमाचल में अपहरण जैसे अपराध ज्यादा नहीं है।अपहरण के 978 मामलों में से केवल दो मामलों में सजा हुई है।रिकार्ड 621 मामलों में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट दायर की है। ये बहुत बड़ा आंकड़ा है। 68 मामलों में पुलिस कुछ पता नहीं लगा पाई जबकि 16 मामलों में आरोपी अदालत से बरी हो गए। ये भयावह स्थिति है।
इन आंकड़ों के मुताबिक बलात्कार के कुल 779 मामलों में 47 मामलों में ही सजा हुई है जबकि 109 आरोपी बरी हो गए।111 मामलों में पुलिस ने कैंसलेशन रिपोर्ट दायर की।जबकि 6 मामलों का पुलिस पता नहीं लगा पाई।
हत्या के प्रयास के आरोपों से जुड़े 198 मामलों में से केवल 6 मामलों में सजा हुई है,6 में आरोपी बरी हो गए।पिछले तीन सालों में अवैध कटान के 361 मामले दर्ज किए गए।इनमें से केवल पांच मामलों में सजा हुई है।पुलिस 52 मामलों में दोषियों का पता ही नहींद लगा पाई। जबकि 28 मामलों में कैंसलेशन रिपोर्ट फाइल की गई है।
पिछले तीन सालों में अवैध खनन के कुल 23 मामले दर्ज किए गए है जो कई सवाल खड़े करते है। प्रश्नकाल के दौरान नेता प्रतिपक्ष प्रेम कुमार धूमल ने सदन में कहा भी कि ये मामले क्या मिलीभगत की वजह से कम दर्ज हुए है।चरस व मादक द्रव्यों के 1797 मामले दर्ज किए । इनमें से 221 ममलों में आरेपी बरी हो गए।76 मामलों में आरोपियों का पता ही नहीं लग पाया।
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