शिमला। अगर नीलू दोषी है तो उसे या तो गोली से मार दो या फिर उसे फांसी दे दो। आजीवन कारावास तो कोई सजा ही नहीं है। हिमाचल में अभी तक किसी को फांसी नहीं दी गई है। इस मामले में दी जानी चाहिए। सीबीआइ जांच से असंतुष्ट गुडिया के पिता केशव ने यह कहते हुए दावा किया कि यह असली गुनहगार नहीं है। उन्होंने कहा कि असली गुनाहगार तो खुलेआम घूम रहे है। उन्होंने दावा किया कि सीबीआइ भी उनसे कहती थी कि यह एक आदमी का काम नहीं है। यह तीन चार लोगों का काम है। गुडिया के पिता ने कहा कि आप खुद ही सोचो की एक आदमी इस तरह का काम अकेले कर सकता है। असली अपराधी कोई और है।
उन्होंने कहा तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के फेसबुक पेज पर तस्वीरें किसने अपलोड की थी।सीबीआइ ने उसे पकडकर क्यों पूछताछ नहीं की।
ऐसे ही कोई हर किसी की तस्वीरें अपलोड कर सकता है। सीबीआइ ने सही जांच नहीं की। असली दोषी बचा दिए गए है। उन्होंने कहा कि इस असली अपराधियों को बचा लिया गया है। यह पूछे जाने पर कि किसी अन्य के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिले है। गुडिया के पिता छूटते ही कहा कि जिन पर आरोप थे उन्हें गिरफतार तो किया जा सकता था। पूछताछ में तब पता चलना था। सीबीआइ ने तो किसी को पूछताछ के लिए गिरफतार ही नहीं किया।
गुडिया के पिता की तरह ही इस सीबीआइ की जांच को लेकर बहुत से लोग इस सीबीआइ जांच से असंतुष्ट है। सभी का मानना है कि यह नीलू अकेले इस अपराध को अंजाम नहीं दे सकता। उसके साथ जरूर कोई और थे । इस अकेले को फंसा कर सीबीआइ ने बाकियों को छोड दिया है।
उन्होंने कहा कि असली अपराधियों को सलाखों को पीछे पहुंचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक जा चुके है। अब मामला हाईकोर्ट में है लेकिन अभी सुनवाई ही नहीं हुई है। असली अपराधियों के न पकडने से गुडिया के पिता व अन्य परिजन बुरी तरह से आहत है।
उधर, राजधानी की सीबीआइ अदालत ने 2017 में ऊपरी शिमला में एक 17 साल की नाबालिग युवती गुडिया के साथ हुए बलात्कार व जघन्य हत्या के मामले दोषी नीलू चिरानी को आजीवन कारावास की सजा सुना दी है। इसके अलावा दस हजार का जुर्माना भी लगाया गया है। सीबीआइ जज राजीव भारदवाज ने आज अपना फैसला सुनाया। जज ने अपने फैसले में कहा कि दोषी नीलू अपने जीवन काल के आखिर तक जेल में रहेगा। अदालत की ओर से फैसला सुनाए जाने के समय नीलू अदलात में मौजूद था।
इसके बाद पुलिस उसे कंडा जेल ले गई। इस मामले में सीबीआइ अदालत ने नीलू को 28 अप्रैल को पहले ही दोषी करार दे दिया था।
अदालत ने मृतका के शरीर में मिले बाहरी डीएनए के नीलू चिरानी के डीएनए से हुए मिलान को अकाटय सबूत माना और नीलू को दोषी करार दे दिया।
याद रहे 4 जुलाई 2017 को कोटखाई के हिलाइला में स्कूल से घर जा रही दसवीं की छात्रा गायब हो गई। छह जुलाई को स्कूल के पास ही खाई में बेहद बुरी हालात में उसकी लाश मिली थी। इसके बाद इस इलाके में जनता सडकों पर उतर आई थी।
सीबीआइ ने प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश पर इस मामले में 22 जुलाई 2017 को स्थानीय पुलिस की ओर से दर्ज एफआइआर नंब97/ 2017 के तहत भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376 और पोक्सो अधिनियम की धारा चार के तहत दर्जएफआइ आर को अपने अधीन लिया व जांच शुरू कर दी। एक लंबे समय तक सीबीआइ के हाथ में कुछ भी सुराग नहीं मिला।
आखिर में मोबाइल फोन की काल्ज की विवरण के बाद सीबीआइ ने नीलू पर अपनी जांच केंद्रिंत की और मौके पर से मिले डीएनए का मिलान नीलू चिरानी के रिश्तेदारों से कर दिया।इस डीएनए का मिलान हो गया। इसके बाद सीबीआइ ने अपनी पूरी जांच नीलू पर ही केंद्रित कर दी।
इस अपराध को अंजाम देने के बाद नीलू मौके से फरार हो गया था व उसने अपना मोबाइल बंद कर दिया था।सीबीआइ ने उसके फोन को लगातर निगरानी में रखा में आखिर में जब उसने कोटखाई के ही किसी गांव से कहीं फोन किया तो सीबीआइ ने अपना जाल बिछाया और उसे एक बागवान के घर से रफतार कर लिया।उसके बाद सीबीआइ ने मौके पर मिले डीएनए का नीलू के डीएनए से मिलान किया । डीएनए से मिलान होने के बाद सीबीआइ ने इस मामले को सुलझा लेने का दावा कर दिया था।सीबीआइ की पूरी जांच प्रदेश हाईकोर्ट के निगरानी में हुई।
सीबीआइ के लिए यह मामले बेहद पेचिदा व चुनौतीपूर्ण था। इस मामले में कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं था। अपराध घने जंगल में हुआ था। आरोपी उस इलाके का न होकर बाहर का था।अपराध करने के बाद नीलू लगातार अपने ठिकाने बदलता रहा था।
इससे पहले इस मामले ने प्रदेश पुलिस ने छह प्रवासी मजदूरों को गिरफतार कर इस मामले को सुलझा लेने का दावा किया था लेकिन जनता ने पुलिस के दावे को नकार दिया था और असल दोषियों को पकडने के लिए उग्र आंदोलन चला था। इस बीच पुलिस हिरासत में गिरफतार किए गए एक आरोपी सूरज की हत्या हो गई थी।
इसके बाद प्रदेश हाईकोर्ट ने इस मामले को सीबीआइ के सुपुर्द कर दिया । सीबीआइ ने स्थानीय पुलिस की ओर से पकडे गए तमाम आरोपियों को निर्दोष मानते हुए छोड दिया था और पुलिस हिरासत में एक आरोपी सूरज की पुलिस हिरासत में हत्या हो कर देने के मामले में
आइजी समेत नौ पुलिस कर्मियों को आरोपी बनाकर गिरफतार कर दिया था। इनमें से एक आरोपी आइजी जहूर हेदर जैदी को आज भी जेल में है।
उस पर महिला आइपीएस अफसर पर बयान बदलने के लिए दबाव डालने का इल्जाम भी लगा है। कुछ दिन पहले ही जैदी की जमानत याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था।
उधर, शिमला ग्रामीण से कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने भी सीबीाआइ को कटघरे में खडा किया है।उन्होंने टिवट किया है कि गरीब पर मार, असली गुनाहगार है फरार, सीबीआइ से अच्छी तफतीश तो कोटखाई पुलिस कर लेती। उन्होंने लिखा कि वीरभद्र सिंह सरकार ने गुडिया को न्याय दिलाने के सीबीआइ को जांच सौंपी लेकिन सीबीआइ गलत तफतीयर करते हुए गरीब चिरानी को फंसा गई। उन्होंने लिख कि असली आरोपी बिना कानून के डर क अभी भी घूम रहे है।
याद रहे इस मामले को लेकर तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार पूरी तरह से कटघरे में खडी हो गए थे। इस मामले में वीरभद्र सिंह के सबसे चहेते पुलिस अधिकारी तत्कालीन एसपी शिमला डोडुंप वांग्याल नेगी को सीबीआइ ने पुलिस हिरासत में मारे गए आरोपी की हत्या के मामले में गिरफतार किसा था। इसके अलावा आठ अन्य पुलिस अधिकारी और कर्मी गिरफतार हुए थे। उनके खिलाफ चंडीगढ में सीबीआइ अदालत में मामला चल रहा उधर, दोषी नीलू ने भी आज कहा कि उसे सीबीआइ ने फंसाया है व हाईकोर्ट में अपील करेगा।
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