शिमला। प्रदेश किसान सभा ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे और अमेरिकी उत्पादों के लिए पोल्ट्री और डेयरी बाजार के होने वाले संभावित व्यापारिक समझौते पर मोदी सरकार की दस्तख्त करने के प्रस्ताव का विरोध करने का एलान किया है।सभा ने कहा कि कल ट्रंप के भारत दौरे के दौरान इस तरह के समझौते पर दस्तख्त न करने के लिए मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए प्रदेश भर में विरोध प्रदर्शन किए जाएंगे।
सभा के प्रदेशाध्यक्ष कुलदीप तंवर ,महासचिव ओंकार शाद ने कहा कि मोदी सरकार ने डेयरी उत्पादों,मूर्गें की टांगों,टर्की और कृषि उत्पादों के आयात की अनुमित देने की जो पेश कश की है, इससे देश के करीब दस करोड़ किसान बुरी तरह से प्रभावित होंगे।यह 42 हजार रुपए के करीब का बाजार है। तंवर व शाद ने कहा कि इस समझौते के होने से डेयरी व मुर्गी पालन से जुड़े मजदूर वकिसान अपनी आजीविका से वंचित हो जाएंगे। इसके अलावा सेब ब्लू बेरी,चेरी,अखरोट ,बादाम के अलावा सोयाबीन,गेंहू, मक्का और धान जैसी फसलों पर भी आयात शुल्क सौ फीसद से घटा कर दस फीसद से भी कम करने की तैयारी की जा रही है। इन दोनों किसान नेताओं ने कहा कि इससे देश के किसानों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि पहले मोदी सरकार ने दावा किया था कि क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी यानि आरसीइपी से किसानोंपर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा व देश भर में किसानों की ओर से विरोध करने के बाद दस्तख्त नहीं किए थे। लेकिनअब अमेरिका से इस तरह के समझौते कर अपने आका अमेरिका को ये सरकार खुश करने की कोशिश कर रही है । यह केवल व केवल विनाश लाएगी।
इन दोनों किसान नेताओं ने कहा कि डेयरी क्षेत्र में दस करोड़ परिवार जुड़े है व दूध की आय 71 फीसद किसान परिवारों के जाती है। अगर भारत अमरिका की मांग के मुताबिक दूध व दूग्ध उतपादों के आयात पर मौजूदा 64 फीसद कर हटाने पर सहमत हो जाता है तो दूध की घरेलू कीमत गिर जाएगी व किसान तबाह हो जाएंगे। इसी तरह मुर्गी पालन में चार करोड़ 80 लाख परिवार लगे है।है।अगर अमेरिका से इन उत्पादों के आयात की मंजूरी मिल गई तो ये भी तबाह हो जाएंगे।
।इन नेताओं ने कहा कि चुनावी साल में ट्रंप अमेरिका में कृषि क्षेत्र का निर्श्यात बढ़ाकर चुनावी बढ़त लेना चाहते है व प्रधानमंत्री मोदी भरतीय बाजार उनकेहवालेकर उनकी मदद करना चाहते है।
(1)