शिमला। रामपुर में सतलुज के किनारे जोगनी बाग स्थित शाही परिवार के शमशान घाट में हजारों की संख्या में एकत्रित हुए लोगों की अश्रुपूर्ण व भावभीनी श्रद्धाजंलि के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का राजसी परंपराओं और राजकीय सम्मान के साथ आज दोपहर बाद अंतिम संस्कार कर दिया गया । उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह ने गमगीन महौल के बीच अपने पिता वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह को मुखाग्नि दी । इस दौरान शमशान घाट में शंख ध्वनि और वीरभद्र सिंह के नाम के नारों की गूंज रही। दोपहर को डेढ बजे के करीब वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर को रामपुर में पदम महल से बाहर लाकर लोगों के लिए दर्शनों के लिए रखा गया ।
इसके बाद ढाई बजे के करीब पदम महल से शवयात्रा निकली और तीन बजे के करीब जोगनी बाग पहुंच गई। शवयात्रा में हजारों की संख्या मे लोग शामिल हुए और बाजार से होकर जब शवयात्रा निकली तो तिल धरने तक को कहीं जगह नहीं थी। शमशान घाट में पुलिस की टुकडी ने वीरभद्र सिंह के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी।
अंतिम संस्कार के मौके पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, वन मंत्री राकेश पठानिया, शहरी विकास मंत्री सुरेश भारदवाज के अलावा अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी की ओर से नामित किए गए छतीस गढ के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह बघेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री आनंद शर्मा , पूर्व मंत्री पवन कुमार बंसल और प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला ने वीरभ्ज्ञद्र सिंह को श्रद्धाजंलि दी। इस मौके पर पंजाब से सांसद परनीत कौर, पंजाब के शिक्षा मंत्री बिजेंदर सिंह, प्रदेश कांग्रेस के विधायक व नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सुखविंदर सिंह सुक्खू,कौल सिंह ठाकुर, राजेंद्र राणा, किन्नौर से कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी समेत विभिन्न दलों के दर्जनों नेता कार्यकर्ता व आज जनता शामिल हुई ।
आजीवन पिता के दिखाए रास्ते चलूंगा
इस मौके पर गमगीन विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि उनके पिता ने पूरे हिमाचल को एकसूत्र में बांधा। ऊपर व नीचे के भेद तोडा । वह ताउम्र उनके दिखाए रास्ते पर चलेंगे विक्रमादित्य सिंह का ने कहा कि उनके पिता का देवताओें व देवसमाज के प्रति अटूट विश्वास था। अगर हिमाचल को आगे ले जाना होगा तो हम सबको उनके दिखाए रास्ते पर चलना होगा। कांग्रेस के तमाम नेताओं ने कहा कि वीरद्र सिंह के जाने से प्रदेश कांग्रेस व हिमाचल को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है।
इससे पहले सुबह पर्दे में विक्रमादित्य सिंह का राजतिलक कर उन्हें गददी पर बिठा दिया गया । वह रामपुर बुशैहर के123वें राजा बन गए है। इस पूरे समारोह को सांकेतिक तौर किया गया व जरूरी रस्में ही निभाई गई।
याद रहे लंबी बीमारी के बाद आठ जुलाई को सुबह तीन बज कर 40 मिनट पर वीरभद्र सिंह का राजधानी के इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में निधन हो गया था।
इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कहा कि वीरभद्र सिंह ने अपने 50 वर्षों से अधिक लम्बे राजनीतिक जीवन में हिमाचल प्रदेश के विकास और राज्य के लोगों के कल्याण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने छह बार मुख्यमंत्री के रूप में प्रदेश का नेतृत्व किया और कई बार केन्द्रीय मंत्री के रूप में भी अपनी बहुमूल्य सेवाएं दीं। उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह के दिए योगदान को राज्य के लोग सदैव याद रखेंगे।
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