शिमला।प्रदेश हाईकोर्ट ने जयराम सरकार को आदेश दिए है कि जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में तैनाती को लेकर दिशानिर्देशों का उल्लंघन कर सरप्लस स्टााफ तैनात कर रखा है , उसे 2016 के दिशानिर्देशों के मुताबिक तैनाती देने के लिए तुरंत कदम उठाए ।अदालत ने सरकार की ओर से दायर हलफनामे का हवाला देते हुए कहा कि 77 डाक्ट रों] 37 चपड़ासियों की तुरंत अन्य जगहों पर तैनाती की जरूरत है। ये सरप्ल स में है। इन्हें जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में पद खाली है वहां भ्रेजने की जरूरत है।
अदालत ने कहा कि युक्तिरकरण के बाद भी अगर स्टाफ बच जाता है तो उन्हें नागिरक अस्पततालों में खाली पदों पर तैनाती दी जाए।
अदालत ने कहा कि सरकार को तुरंत सही कदम उठाने होंगे व सही आदेश जारी करने होंगे कि इन्हें सरकारी खजाने से बिना काम के वेतन कैसे दिया गया है । यह सब तीन सप्ताह के भीतर करना होगा।
अदालत ने सरकार को आदेश दिए कि इन सरप्लस डाक्टरों व कर्मियों के तबादलों के एक-एक के तबादला आदेश के ब्यो रे समेत 1 दिसंबर तक अदालत में अनुपालना रिपोर्ट पेश करे।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति लिंगप्पा नारायण स्वामी और न्यायमूर्ति अनूप चितकारा की खंडपीठ ने घणाहटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में स्टाफ की कमी को लेकर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान ये आदेश जारी किए। याचिका में प्रदेश के तमाम प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और नागिरक अस्पतालों को नियमित स्तंर पर कार्यशील बनाने का आग्रह अदालत से किया था।
खंडपीठ ने कहा कि तैनाती को लेकर 7अप्रैल 2016में अधिसूचना जारी की थी ताकि वितीय स्थिति व मौजूदा स्टाफ का बेहतर इस्तेमाल किया जा सके। इस अधिसूचना के मुताबिक हरेक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डाक्ट र, एक फार्मासिस्ट और एक चतुर्थ श्रेणी का कर्मी तैनात होना चाहिए।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से खंडपीठ के नोटिस में लाया कि 98 पीएचसी में की गई तैनाती में यह अधिसूचना दरकिनार की गई है।
अदालत ने पाया कि एक तरफ सरकार ने 2016 की अधिसूचना का मंजूर कर लिया व दूसरी ओर खुद ही इस अधिसूचना के बिलकुल विपरीत तैनातियां की हैं।
खंडपीठ ने पाया कि डाक्टरों व अन्य कर्मियों की जरूरत के हिसाब से नियुक्ति्यां हुई है लेकिन जो डाक्टर व कर्मी सरप्लस है उन्हें जनता के हित में खाली पदों पर तैनात नहीं किया गया है । इन्हें आकाओं के चहेतों को समायोजित करने की मंशा से बेहतर जगहों पर तैनाती दी गई है जो नियमों के विपरीत है और सरकार के खजाने पर भी बोझ है। जब वह सरप्लस है तो उन्हें दिया जाने वाला वेतन सरकारी खजाने पर बोझ हैं।
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