शिमला। चुनावों के नजदीक आते ही प्रदेश के लाखों लोगों की ओर से वनभूमि पर किए अवैध कब्जों को रेगुलर करने के लिए रास्ते निकालने केे लिए वीरभद्र सरकार रॉकेट स्पीड में काम करने पर आ गई हैं। राजस्व मंत्री कौल सिंह ने पिछले महीने ही उच्च स्तरीय कमेटी की बैठक की थी व अाज शनिवार को एक और बैठक कर दी। यही नहीं 7 फरवरी को एक और बैठक बुलाई गई हैंं। चुनावों को नजदीक आता देख सब कुछ बड़ी तेजी से हाेे रहा हैं।
इससेे पहले अवैध मकानों को नियमित करने के लिए पूरी सरकार टीसीपी बिल को पास कराने के लिए राजभवन की चौखट पर माथा टेकती नजर आई थी। इस मामले में भाजपा भी उसके साथ खड़ी हो गई थी। आखिर में गवर्नर ने बिल पर दस्तख्त कर दिए। अगर मामला हाईकोर्ट गया तो इस पर क्या होगा किसी को पता नहींं हैं। इसी तरह प्रदेश भर में लोगोंं की ओर से सरकारी व वन भूूमि पर अवैध कब्जे कर रखे हैं ,इन्हें नियमित करने को लेकर सरकार हाईकोर्ट से राहत चाहती हैं। उधर,हाईकोर्ट ने पहले ही सरकार को सरकारी जमीन से कब्जों को हटाने केे निर्देश दिए हैं। सरकार इन निर्देशों पर अमलीजामा भी पहना रही हैंं।
दूसरी ओर अब सरकार ने छोटे व मझोले किसानों के नाम पर हाईकोर्ट में स्टैंड लेने का मन बनाया हैं।
मंत्री कौल सिंह के हवाले से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि सरकार छोटे व मंझोले किसानों और समाज के गरीब वर्गों, जिन्होंने सरकारी भूमि पर नाजायज कब्ज़े किए है, को राहत दिलाने के उद्देश्य से उच्च न्यायालय के समक्ष अंतरिम नीति प्रस्तुत करेगी। वन अधिकार अधिनियम के अंतर्गत प्रावधानों की भी जांच की जाएगी, ताकि स्थाई हिमाचली वन वासियों को चिन्हित कर उनके अधिकारों को निर्धारित किया जा सके।
राजस्व मंत्री कौल सिंह ठाकुर ने आज यहां सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ों को लेकर प्रदेश सरकार द्वारा गठित उच्च स्तरीय समिति की बैठक की अध्यक्षता करने क बाद यह कहा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़ों के विरूद्ध है। लेकिन किसी विवशता के कारण जिन छोटे व मंझोले किसानों ने सरकारी भूमि पर भवनों का निर्माण अथवा कब्ज़े किए हैं, उनको राहत देना चाहती है। मानवीय आधार पर प्रदेश विधानसभा में अवैध कब्ज़ों के नियमितीकरण के लिए प्रस्ताव पारित किया गया है, परन्तु उच्च न्यायालय ने सरकारी भूमि पर अवैध कब्ज़े को हटाने के लिए विभिन्न आदेश दिए हैं। प्रदेश सरकार शीघ्र ही उच्च न्यायालय के समक्ष कानून के निर्धारित मापदंडों के आधार पर नीति बनाकर पेश करेगी, ताकि प्रदेश के छोटे व मंझोले किसानों व गरीब लोगों को राहत दिलाई जा सके।
कौल सिंह ठाकुर ने 7 फरवरी को निर्धारित अगली बैठक तक समिति के सदस्यों को नीति व योजना का प्रारूप प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए। कानून की व्यवस्था बनाए रखने के प्रति प्रदेश सरकार की वचनबद्धता को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि बड़े व प्रभावशाली अवैध कब्ज़ाधारकों के साथ सख्ती से निपटा जाएगा।
उच्च स्तरीय समिति के सदस्य वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी, आयुर्वेद मंत्री कर्ण सिंह, विधानसभा उपाध्यक्ष जगत सिंह नेगी, मुख्य संसदीय सचिव रोहित ठाकुर व नंद लाल, विधायक मोहन लाल बराकटा, अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व तरूण श्रीधर प्रधान सचिव आर धीमान, सचिव मोहन चौहान, कानून सचिव बलदेव सिंह और विभिन्न विभागों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
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