शिमला। बेटे आश्रय शर्मा को कांग्रेस पार्टी से टिकट मिलने के बाद कई दिनों तक मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर व भाजपा को असहज स्थिति में रखने के बाद प्रदेश के ऊर्जा मंत्री अनिल शर्मा ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने आज सुबह अपने स्टाफ के जरिए मुख्यमंत्री कार्यालय को अपना इस्तीफा भेज दिया और साथ ही मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को भी कटघरे में खड़ा कर गए और स्वास्थ्य मंत्री विपिनपरमार को भी लपेट लिया।
मुख्यमंत्री की ओर से विभिन्न जनसभाओं में उनके व सुखराम के बारे में कही बातों का जवाब दिया और कहा कि मुख्यमंत्री कह रहे है कि उनके पास कई राज है। “मन में तो हमारे भी बहुत कुछ दफन है जब मौका आएगा को सब सामने आएगा”।
अनिल शर्मा ने जयराम के उस दावे को भी गलत ठहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि सरकार बनने पर अनिल शर्मा और सुखराम उनसे बड़े बड़े विभाग मागने आया था। अनिल शर्मा ने जयराम ठाकुर को देवी-देवताओं का वास्ता देकर कहा कि वह सिराज में देवी देवताओं को बहुत मानते है, इन देवी देवताओें का मान रखते हुए वह बताएं कि वह कब उनसे मंत्री पद मांगने अपने पिता के साथ आए थे।
उन्हें तो बाद में पता चला कि उन्हें ऊर्जा विभाग दे दिया गया है।अनिल शर्मा ने कहा कि जयराम एक शरीफ आदमी है। लेकिन जहां वह पहुंच चुके है वहां शराफत ही नहीं विवेक से भी काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अगर जयराम का जिला में डर होता तो मंडी की सड़क ों की हालत बदतर नहीं होती और न ही स्वास्थ्य केंद्र बदहाल होते।उन्होंने जयराम सरकार में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार को नाम लिए बगैर लपेटते हुए कहा कि जब मैंने इन मसलों को मंत्रिमंडल में उठाया तो स्वास्थ्य मंत्री नाराज हो गए व कहने लगे कि आपने इन मसलों पर जनता में क्यों माफी मांगी।
अनिल शर्मा ने कहा कि जयराम ठाकुर जनसभाओं में कहते फिर रहे है कि सुखराम व अनिल ने आश्रय के लिए टिकट मांगों तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। उन्होंने सवाल किया कि क्या टिकट मांगना गुनाह है। उन्होंने इसके पीछे दलीलें दी कि बहुत से नेता जब मंत्री बन जाते है तो वो अपने बेटों के जरिए ठेकेदरी चलाकर पै सा कमाते है। लेकिन न उन्होंने और न ही उनके बेटे ने ठेकेदारी का रास्ता अपनाया है। वह राजनीतिक परिवार से है और आश्रय में राजनीति करने की बहुत क्षमता है।
उनका आर्शीवाद बेटे के साथ है। उन्होंने कहा सुखराम का साथ लेकर आश्रय राजनीति में खुद रास्ता ढूंढ लेगा। अनिल शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने उनके समधि को भी घसीट लिया। अगर वह अपने दामाद के लिए कुछ करते है तो इसमें किसी को क्यों आपति होनी चाहिए। राजनीति में परिवार खड़ा नहीं होगा तो कौन होगा।
उन्होंने कहा जयराम ने अपने मन से बात बना कि मैं उन्हें नेता नहीं मानता । जबकि मैंने कहा था कि मंत्री व मुख्यमंत्री तो कोई भी परिस्थितियों के मुताबिक बनते है लेकिन नेता बनने के लंबा समय चाहिए होता है और संघर्ष करना पड़ता है। जयराम भी एक दिन बड़ा नेता बनेंगे। उन्हें आहत नहीं होना चाहिए था।
उनके इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और भाजपा ने राहत की सांस ली है। अनिल शर्मा ने साफ किया कि उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है और वह अभी भी भाजपा के विधायक और सदस्य है। वह बतौर विधायक जनता की सेवा करते रहेंगे और विधायक पद से इस्तीफा नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि जब मुख्यमंत्री ने विश्वास खे दिया है तो वह उन्हें असहज स्थिति में नहीं रखना चाहते है। मैं कहंी गायब नहीं था। चूंकि मैं न बेटे के लिए और न ही भाजपा के लिए प्रचार कर सकता था। ऐसे में उन्होंने शिमला में रहने का फैसला लिया।
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