शिमला। सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश की जयराम सरकार को बडी राहत देते हुए वन संरक्षण अधिनियम और वनाधिकार अधिनियम की की वजह से लंबित पडी 393 छोटी- बडी परियोजनाओं के लिए 736 हैक्टेयर वन भूमि को बिना शर्ता व सशर्त वन भूमि हस्तांतरित करने की इजाजत दे दी है।
प्रदेश सरकार की ओर से टीएन गोदावरमन थिरूमुलपाड बनाम भारत सरकार नामक मामले में कई अर्जियां सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई थी वह वन भूमि को लेकर मंजूरियां मांगी गई थी।
आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस ए बोबडे,न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामा सुब्रामनियन की खंड पीठ ने प्रदेश सरकार की इन अर्जियों पर सुनवाई करते हुए कई मामलों में राहत दी है। प्रदेश सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में आज सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता और प्रदेश सरकार के के महाधिवक्ता अशोक शर्मा ने पैरवी की।
अदालत ने कहा कि वन संरक्षण अधिनियम व वनाधिकर अधिनियम के तहत प्रदेश सरकार की कई अर्जियां मंजूरी के लिए अदालत में लंबित है।
ऐसे में अदालत मित्र एडीएन राव ने कहा कि कुछ मामलों में सीधे तौर पर मंजूरयिा दी जा सकती है जबकि कुछ मामलों में शर्तों के साथ मंजूरियां दी जा सकती है।
इस पर तीन जजों की पीठ ने तीन पन बिजली परियोजनाओं के लिए 7.3566 हैक्टेयर,27 सडकों के लिए 64.2176 हैक्टेयर,आइआइटी के निर्माण के लिए 124.61 हैक्टेयर, दो डिग्री कालेजों के लिए,5.9293,मॉडल स्कूल के लिए 2.08,बिजली के दो उप केंद्रों को स्तरोन्नत करने के लिए 0.8529, ट्रांसमिशन लाइन के लिए 36.4344,सौर ऊर्जा परियोजना के लिए 5.5942,नदी के तट से खनिज निकालने के लिए 1.3918 और कार पार्किंग के निर्माण के लिए 0.154863 हैक्टयर वन भूमि को हस्तांरित करने की सीधे तौर पर इजाजत दे दी।
इसके अलावा 191 सडकों,49 स्कूलों, 13 सामुदायिक केंद्रों और 9 डिस्पेंसरियों और अस्पतालों समेत 189 अन्य परियोजनाओं को लेकर पीठ ने कहा कि अगर 11 मार्च 2019 तक मंडल वन अधिकारियों ने मंजूरयिां दे दी है तो इन परियोजनाओ को लागू किया जा सकता है। अगर मंजूरियां नहीं दी गई है तो मंडल वन अधिकारियों को वन भूमि को परियोजना के नाम हसतातंरित करने की प्रक्रिया शुरू करने की इजाजत दी जाती हैं। इसके बाद इन परियोजनाओं को शुरूकिया जा सकता है।
इसी तरह 34 पिरियोजना ऐसी थी जिन्हें केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी थी ,सुप्रीम कोर्ट ने इन परियोजनाओं को शुरू करने को भी हरी झंडी दे दी है।सरकार की ओर से वनाधिकार अधिनियम के तहत 96 परियोजनाओं के लिए मंजूरी मांगी गई थी।
पीठ ने कहा कि संबधित डीएफओ मंजूरी प्रदान करने की प्रक्रिया शुरू करे। अगर कहीं मंजूरी दे दी गई है इन्हें पूरा किया जाए।
सरकार की ओर से एक अन्य अर्जी जिसमें एक हेलीपैड,37 सडकों, पांच पेयजल परियोजनाओं,चार पन बिली परियोंनाओं समेत 59 परियोंनाओं के लिए मंजूरी मांगी गई थी। पीठ ने इन सभी परियोजनाओं के वन भूमि हस्तांतरित करने की इजाजत दे दी।
हरित कारिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग और नए राष्ट्रीय राजमार्ग एनएच 503 जो पहले एनएच 20ए था के लिए मंजूरी का मामला भी अदालत में उठाया गया था। हरित कारिडोर राष्ट्रीय राजमार्ग को केंद्र सरकार की ओर से दी गई मंजूरी को अदालत ने रिकार्ड पर ले लिया और एनएच 503 टू लेन राजमार्ग का को लेकर दी गई मंजूरी को भी अदालत ने रिकार्ड पर लिया और सरकार को काम शुुरू कररने के लिए हरी झंडी दे दी।
इसके अलावा सिलवीकल्चर को लेकर दायर सरकार की अर्जी पर अदालत ने 12 सप्ताह तक सुनवाई स्थगित कर दी और इस बावत पहले गठित समिति को इस मामले की पडताल करने के भी निेर्देश दिए हैं।
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