शिमला। सालों से नियमितकरण की राह देख रहे हजारों पीटीए शिक्षकों को नियमित करने के लिए जयराम सरकार सदन में कानून बनाने पर विचार कर रही हैं। यह खुलासा शिक्षा मंत्री सुरेश भारद्वाज ने राजधानी में सोमवार को मीट द प्रेस कार्यक्रम के दौरान किया ।
उन्होंने कहा कि पिछल्ली सरकारों में पीटीए, पैरा, पैट व एसएमसी शिक्षकों को सही तरीके से नियुक्ति नहीं की गई। अब सरकार की प्राथमिकता हैं इन शिक्षकों की नियुक्ति को दुरुस्त कर इन्हें नियमितिकरण् ा के रास्ते मपर लाया जाए। उन्होंने कहा पीटीए को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, सुप्रीम कोर्ट ने इन शिक्षकों की नियमितकरण पर पाबंदी लगाई हुई। अदालत ने कहा कि इन पदों के लिए विज्ञापन निकाल कर इन्हें दोबारा से इनकी नियमित नियुक्ति की जा सकती हैं। भारद्वाज ने कहा कि इस बावत विधि विभाग से भी राय ली जा रही हैं और विधानसभा में कानून बनाकर इन्हें नियमित किया जा सकता हैं या कोई और और विकल्प हैं,इस बावत मामला महाधिवक्ता को भेजा गय हैं। महाधिवक्ता से राय का इंतजार हैं।
निजी शिक्षण संस्थानों की ओर से की जा रही लूट को लेकर शिक्षामंत्री ने कहा कि सरकार इन संस्थानों को रेगुलेट करने के कानून लाई थी। उसे प्रदेश हाईकोर्ट ने निरस्त कर दिया था। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। स्कूलों की फीस का ढांचा तैयार करने के लिए शिक्षा उप निदेशकों की सहमति जरूरी हैं। इसके बावजूद इन संस्थानों को कैसे नियंत्रित किया जाए इस बावत मामले पर विचार किया जा रहा हैं। आरटीइ के तहत अगर कोई स्कूल मुनाफे के लिए स्कूल चला रहा हैं तो सरकार के पास उसके खिलाफ कार्रवाई करने का अधिकार हैं।अगर कहीं से किसी तरह की शिकायत आई तो कार्रवाई की जाएगी।
स्कूली बच्चों को वर्दी मुहैया कराने के मामले में शिक्षा मंत्री ने माना की इस बावत देरी हुई हैं। लेकिन नए साल में बच्चें को वर्दी मुहैया करवा दी जाएगी।
पांच हजार शिक्षकों की हो रही नियुक्ति
शिक्षा मंत्री ने कहा कि सीधी व बैचवाइज भर्ती के तहत सरकार पांच हजार शिक्षकों की नियुक्ति कर रही हैं। इसमें से एक साल में अधिकांश भर्ती हो भी चुकी हैं। प्राथमिक स्कूलों में दाखिले गिरने की समस्या को हल करने के लिए 3391 स्कूलों में प्री नर्सरी शुरू कर दी हैं। अब आंगनवाड़ियों को भी प्राथमिक स्कूलों के साथ मिला रहे हैं। उन्होंने कालेजों में 645 सह प्राचार्यों की नियुक्तियां की हैं। अगले सत्र से कोई भी स्कूल बगैर के शिक्षक के नहीं होगा।
उन्होंने पूर्व की वीरभद्र सिंह को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि आचार संहिता लगने से दो दिन पहले पूर्व सरकार 21 कालेजों को बिना बजट के खोल दिए। इनमें से केवल पांच कालेजों को इस सरकार ने नहीं चलने दिया। क्यों न तो जमीन थी और न हीं छात्र थे।
उन्होंने माना कि वह यह नहीं कहते है कि उन्होंने सब कुछ कर दिया हैं । कई खामियां भी रही होंगी। लेकिन ईमानदार प्रयास किया हैं।
यह पूछने पर कि ओंकार शर्मा समिति की सिफारिशों को दरकिनार कर शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष के पद पर गैर प्रशासनिक अधिकारी की नियुक्ति क्यों की। भारद्वाज ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी समिति की जानकारी नहीं हैं। अधिनियम के मुताबिक बोर्ड का अध्यक्ष की नियुक्ति के लिए शिक्षाविद व प्रशासक की योग्यता होनी चाहिए। उनकी राय में शिक्षाविद इस पद पर नियुक्त होना चाहिए।
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