शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट के 12 अप्रैल के एकल जज के फैसले के तहत आज से प्रदेश की जयराम सरकार की ओर से अदाणी पावर को अपफ्रंट मनी के 280 करोड रुपए के साथ उस पर नौ फीसद ब्यारज भी देय हो गया है। लेकिन प्रदेश के हितों की रखवाली करने का जिम्मा लिए जयराम सरकार ने इस मामले में न तो अभी तक एकल जज के फैसले के खिलाफ अपील कर रखी है और न ही पैसे देने है या नहीं इस बावत कोई फैसला लिया है। चूंकि अपील नहीं कर रखी है तो एकल जज की पीठ के फैसले पर स्टे भी नहीं मिला है।
कानून के मुताबिक सरकार को अपील एक महीने की समयावधि के भीतर करनी थी । यह समयावधि 12 मई को पूरी हो चुकी है। जयराम सरकार एक महीने में कुछ नहीं कर पाई।सरकार इस मामले में पूरी तरह से कछुआ चाल में चली हुई है। सूत्रों के मुताबिक मामला अभी कानून विभाग के अधीन है और अभी तक कानून विभग की राय आई नहीं है। अपील करनी है या नहीं करनी है यह कानून विभाग की राय पर निर्भर करेगा।
इस महत्वपूर्ण मामले में जयराम सरकार की कछुआ गति को लेकर सवाल उठाए जाने लगे है कि आखिर अपील करने में देरी क्यों जा रही है। उधर दूसरी सूत्रों से जानकारी मिली है कि अदाणी पावर ने हाईकोर्ट में पहले ही केविएट दायर कर दी है व अदालत से आग्रह किया है कि अगर सरकार की ओर से अपील आती है तो उस पर कोई भी फैसला लेने से पहले अदाणी पावर का भी पक्ष सुन लिया जाए। अदाणी पावर की ओर से कोई देरी नहीं की गई है।
याद रहे पूर्व की वीरभद्र सिंह सरकार के कार्याकाल में 2006 में जिला किन्नौर में 960 मेगावाट का बिजली का प्रोजेक्ट नीदरलैंड की कंपनी ब्रेकल कारपोरेशन एनवी को आवंटित किया गया गया था।यह कंपनी निर्धारित समय में अप फ्रंट मनी जमा नहीं करा पाई थी और मामला अदालत में चला गया था। इस दिसंबर 2007 में प्रदेश में सता बदली और धूमल सरकार ने सता संभाली। अदालत में सुनवाई के दौरान ब्रेकल की ओर से अदाणी समूह की कंपनियों ने जुर्माने सहित 280 करोड रुपए बतौर अप फ्रंट जमा कराया था। लेकिन बाद में 2009 में हाईकोर्ट की खंडपीठ ने इस आवंटन को रदद कर दिया था।इसके बाद में 2019 तक इस मामले में कई कुछ हुआ और बीच में 2015 में वीरभद्र सिंह सरकार ने इस प्रोजेक्ट को रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर को देने व रिलायंस से मिलने वाले अप फ्रंट मनी की रकम से अदाणी के पैसे हटाने का विवादास्पफद फैसला ले लिया था। लेकिन दिसंबर 2017 में वीरभद्र सिंह सरकार के सता से पदच्यूत होने से पहले उसने इस फैसले को वापस ले लिया था।
2019 में अदाणी पावर ने इस रकम को लेने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कर दी लेकिन ब्रेकल कारपोरेशन एनवी के को पार्टी नहीं बनाया। जयराम सरकार ने इस मामले पर मंत्रिमंडल में मंथन किया और फैसला लिया सरकार इस रकम को नहीं लौटाएगी । चूंकि इस रकम को ठेके की विभिन्नन उपबंधों के तहत जब्त कर लिया गया था।
लेकिन प्रदेश हाईकोर्ट की न्याएयमूर्ति संदीप शर्मा की एकल पीठ ने 12 अप्रैल को जयराम सरकार को आदेश दिए कि वह अदाणी पावर को दो महीने के भीतर इस रकम को लौटाए और दो महीने बाद सरकार को नौ फीसद ब्यापज के साथ इस रकम को लौटाना होगा।
तब से लेकर इस मामले में न तो सरकार ने अपील की है और न ही इस फैसले पर स्टे ले रखा है। जयराम सरकार पूरी तरह से चुनाव मोड में आई हुई है।
उधर, इस बावत बिजली मंत्री सुखराम चौधरी ने पहले तो कहा कि उन्हें इस मामले में क्या फैसला हुआ है इस बावत कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि वह पांच मिनट में बताते है। बाद में उन्हों ने कहा कि मामला अभी कानून विभाग को राय के लिए भेजा है और सरकार ने इस मामले में अपील करने का फैसला लिया है। यह पूछे जाने पर की अपील करने का समय तो पूरा हो चुका है। चौधरी ने कहा कि अभी समय है।
कांग्रेस,माकपा मौन, आप से उम्मीद
इस मसले पर विपक्षी पार्टी कांग्रेस और वामपंथी पार्टी अपने –अपने कारणों से खामोश है । अब आम आदमी पार्टी से ही कुछ उम्मीहद बची है कि वह इस मसले पर विपक्ष की ओर से कोई आवाज उठाएंगी व सरकार की ओर से कानूनी लडाई लडने में रखी गई कमी को उजागर करेगी। आम आदमी पार्टी अभी प्रदेश में दाखिल ही हुई है। लेकिन इस मसले की गहराई तक गई तो उसे प्रदेश में अब तक किस तरह का खेल खेला जाता रहा इसका ईल्मब हो जाएगा। जनता की गाढी कमाई के दम पर कौन –कौन कैसे –कैसे अमीर होता गया है इसका भी अंदाजा लग जाएगा।
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