शिमला। प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार को अस्थिर करने मंशा से कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य बने चार विधायकों को दल बदलू कानून के चपेट में लाकर अयोग्य ठहराने का भाजपा का कारनामा आखिर में ये रंग लेगा किसी न सोचा भी नहीं था। चाल , चरित्र व चेहरे का डंका पीटने वाली पार्टी ने जिन चार निर्दलीय विधायकों को दल बदलू कानून का उल्ल्ंघन कर कांग्रेस का साथ देने पर उनके खिलाफ स्पीकर के समक्ष याचिका दायर की थी स्पीकर का फैसला आने से पहले ही इन चार विधायकों मे से दो को भाजपा अपनी गोद में बिठा चुकी थी।
प्रदेश विधानसभा में दिसंबर 2012 में बतौर निर्दलीय जीत कर आए चार विधायकों को कांग्रेस का एसोसिएट मेंबर बनने के खिलाफ भाजपा ने विधानसभा स्पीकर बृज बिहारी बुटेल के समक्ष 2014 में एक याचिका दायर की थी। मजे की बात है कि जब स्पीकर इस याचिका पर फैसला लिख रहे थे तो चार में से दो विधायक भाजपा के ही पाले में जा चुके थे। इतना हो जाने पर भी स्पीकर के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा विधायक व याचिका कर्ता सुरेश भारद्वाज दावा करते हैं कि उन्हं बिना सुने ही स्पीकर ने फैसला दे दिया।
देश की राजनेता भी गजब है और लोकतंत्र का कत्लेआम करने वाले भी गजब।
हैरानजनक ये है कि 23 सितंबर 2017 को स्पीकर बृज बिहारी बुटेल ने सुरेश भारद्वाज की याचिका को खारिज कर दिया लेकिन इस फैसले की किसी को भनक तक नहीं लगी हैं। न कांग्रेस ने और न ही भाजपा ने अब तक जुबान खोली हैं।संभवत: इसकी राजनीतिक वजह भी रही होगी। जब स्पीकर ये फैसला सुना रहे थे उस समय चार में से दो निर्दलीय विधायक सार्वजनि तौर पर भाजपा में शामिल हो गए थे।जनता के सामने वो अब भाजपा में शामिल हो चुके थे लेकिन सदन के रिकार्ड में वो निर्दलीय ही रहे। ये गजब कारनामा केवज भारत में ही संभव हैं और ऐसा कारनामा दिखाने वाले और कोई नहीं कानून बनाने वाले ही हैं।
यही नहीं जिन चार विधायकों के खिलाफ भाजपा ने दल–बदलू निरोधक कानून के तहत याचिका दायर की थी उनमें से एक विधायक इस बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहा हैं जबकि दो को कांग्रेस पार्टी ने प्रत्याशी बनाया हैं।विधानसभा अध्यक्ष बी बी बुटेल ने इस याचिका को 23 सितंबर को सबूत न होने का हवाला देकर खारिज कर दिया हैं।लेकिन आदेश सार्वजनिक नहीं किया। उन्होंने कहा भी कि उन्होंने फैसले को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं समझी।
याद रहे 2012 के विधानसभा चुनावों में चौपाल हलके से बलबीर वर्मा,पांवटा साहिब से करनेश जंग,कांगड़ा से पवन काजल और इंदौरा हलके से मनोहर धीमान बतौर निर्दलीय जीत कर आए थे। दिसंबर 2012में प्रदेश में वीरभद्र सिंह की सरकार बन जाने पर इन चारों निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस सरकार को समर्थन देने का एलान कर दिया। कांग्रेस ने इन्हें पार्टी का एसोसिएट सदस्य भी बना दिया। पूरे प्रदेश में ये कांग्रेस के एसोसिएट सदस्य बने रहे लेकिन विधानसभा के रिकार्ड में निर्दलीय ही रहे हैं।
ऐसा होने पर भाजपा के विधानसभा में चीफ व्हीप सुरेश भारद्वाज ने 2 सितंबर 2014 को स्पीकर के समक्ष इन चारों विधायकों को दल –बदलू कानून के तहत अयोग्य ठहराने को लेकर याचिका दायर कर दी। याचिका में कहा गया कि ये चारों विधायक निर्दलीय जीत कर आए हैं, व ये कांग्रेस पार्टी के एसोसिएट सदस्य बन गए हैं। इन्होंने संविधान के 10वें शेडयूल के पैरा 2.2 का उल्लंघन किया हैं। ऐसे में इनकी विधानसभा सदस्यता रदद की जाए। याचिका के साथ इन विधायकों की ओर से जारी प्रेस में दिए ब्यान की फोटोकॉपी भी संलग्न की।
स्पीकर ने इन चारों विधायकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा । चारों विधायकों का आठ अक्तूबर 2014 को जवाब दायर किया व कहा कि वो आजाद विधायक हैं व याचिका कर्ता ने जो अपने जिस सूचना के आधार पर हमें कांग्रेस पार्टी एसोसिएट सदस्य माना हैं,इस बाबत कानून के हिसाब को दस्तावेजी सबूत नहीं दिया हैं। साथ ही कहा कि उन्होंने कांग्रेस पार्टी की कोई सदस्यता नहीं ली हैं,ऐसे में याचिका को खारिज कर दिया जाए। ये दावा इन्होंने विधायकों अपने वकीलों के मार्फत सरेआम अपने जवाब में दिया। जबकि पूरा प्रदेश जानता था कि ये कांग्रेस के एसोसिएट मेंबर बन चुके हैं । कांग्रेस व सरकार की विज्ञिपतयों में इन्हें कांग्रेस के एसोसिएट सदस्यों के रूप में मान्यता मिली थी।इसके बाद स्पीकर ने जनवरी व फरवरी में इन चारों विधायकों को व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाया।
स्पीकर ने याचिकाकर्ता भाजपा विधायक सुरेश भारद्वाज को नोटिस भेजा कि वो व्यक्तिगत तौर पर हाजिर होकर लगाए इल्जामों को साबित करने के लिए मूल सबूत पेश करे। 7 मई को सुनवाई नहीं हो पाई तो 18 मई को सुरेश भारद्वाज पेश हुए लेकिन वो मूल कागजात पेश नहीं कर सके। ये मूल सबूत इन चारों विधायकों की ओर से मीडिया को जारी प्रेस बयान की मूल कॉपी व कांग्रेस पार्टी के एसोसिएट सदस्य बनने को कांग्रेस को लिखी कोई लिखित दस्तावेज था। दस्तावेजों के मुताबिक इसके बाद कई रिमाइंडर भेजे गए। मार्च 2016 तक रिमाइंडर भेजे जाते रहे । लेकिन मूल दस्तावेज मुहैया नहीं हो पाए। सुरेश भारद्वाज ने 2 अगस्त2016 को रिज्वाइंडर दिया व साथ में 2014 के लोकसभा चुनावों के दौरान इन विधायकों की ओर से कांग्रेस की रैलियों में की गई शिरकत और कांग्रेस नेताओं संग मंच साझा करने की सीडी पेश की। इसके अलावा अखबारों में छपी खबरों को छायांकित प्रतिया भी पेश की।
स्पीकर बी बी बुटेल सारे सबूतों का अध्ययन करने के बाद 23 सितंबर 2017 को पर्यापत सबूत न होने का हवला देकर ये याचिका खारिज कर दी। स्पीकर ने अपने फैसले में कहा कि इन विधायकों ने औपचारिक तौर पर कभी भी कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली। ये विधायक विधानसभा के दस्तावेजों में आज भी निर्दलीय विधायक ही हैं। इसके अलावा याचिकाकर्ता दल बदलू कानून के तहत बने नियमों के मुताबिक अपने इल्जामों को साबित करने के मूल दस्तावेज पेश नहीं कर पाएं। फैसले में ये भी लिखा गया हैं कि मीडिया की कतरनों को कानूनन सबूत नहीं माना जा सकता। याचिका कर्ता को 1मार्च 2016 को लिखा गया कि वह उस दस्तावेज की मूल प्रति पेश करे जिसमें इन निर्दलीय विधायकों ने कांग्रेस पार्टी को समर्थन देने का एलान कर रखा हैं। फैसले में कहा गया कि ये दस्तावेज आज तक मुहैया नहीं हुए।इस बिंदुओं को ध्यन में रखते हुए स्पीकर ने ये याचिका खारिज कर दी।
मूल दस्तावेजों की बावत याचिकाकर्ता सुरेश भारद्वाज की ओर से याचिका दायर करने वाले वरिष्ठ वकील व पूर्व की धूमल सरकार में अतिरिकता महाधिवक्ता रहे रमाकांत शर्मा ने कहा कि मूल दस्तावेज उनके पास कभी हो ही नहीं सकते थे। उन्होंने कहा कि उनके पास तो फैसले की प्रति नहीं आई हैं। उन्हें मालूम भी नहीं है कि फैसला आ गया हैं। सूत्र बताते हैं कि जब भाजपा ने इस मामले को अंतिम अंजाम तक पहुंचाने का मन ही बदल लिया था। मनोहर धीमान भाजपा के बागी थे और बलबीर वर्मा और पवन काजल भी भाजपा में जाने के लिए पींगे झूला रहे थे। ऐसे भाजपा इस मसले का अंतिम अंजाम तक पहुंचाती भी तो कैसे।
जिस समय स्पीकर बुटेल विधानसभा मे ये फैसला लिख रहे थे उस समय चौपाल से विधायक बलबीर वर्मा व इंदौरा के विधायक मनोहर धीमान सार्वजनिक तौर पर भाजपा में शामिल हो चुके थे। बलबीर वर्मा मार्च 2017 मे चौपाल के नेरवा में एक जनसभा में अपने चौपाल विकास मंच समेत नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व भाजपा अध्यक्ष सतपाल सत्ती की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो चुके थे। जबकि जून 2017 इंदौरा से निर्दलीय विधायक मनोहर धीमान भाजपा की परिवर्तन रथ रैली के दौरान ज्वाली में केंद्रीय मंत्री जगत प्रकाश नडडा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हो गए।धीमान को2012 में भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो वो निर्दलीय खेड़ हो गए व जीत भी गए।
(0)