शिमला।अर्की भाजपा में उठी विद्रोह की चिंगारी को प्रदेश भाजपा प्रभारी अविनाश राय खन्ना और भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा भी नहीं बुझा पाए। दो दिन पहले विद्रोह का झंडा उठाने वाले अर्की से दो बार भाजपा के विधायक रहे गोबिंद राम शर्मा और पूर्व मंत्री नगीन चंद्र पाल की बेटी व जिला परिषद सदस्य आशा परिहार मंडल की बैठक से नदारद रहे। मंडल की इस बैठक को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को उपचुनाव में उतारा जाना है इस बावत कोई बात तक नहीं उठी। जबकि अर्की के कई नेता कह रहे थे कि अगर अर्की भाजपा की कलह खत्म करनी है तो धूमल को अर्की से उपचुनाव में उतारा जाना चाहए।
याद रहे दो दिन पहले अर्की से दो बार विधायक रह चुके गोबिंद शर्मा की ओर से विद्रोह कर देने के बाद खन्ना व पवन राणा को अचानक अर्की आना पडा।
आज की मंडल की बैठक में हंगामा होने के पूरे आसार थे लेकिन लेकिन बागी खेमा जब बैठक में नहीं आया तो ज्यादा कुछ नहीं हुआ । जानकारी के मुताबिक अर्की से होने वाले उपचुनाव को लेकर बैठक में चर्चा हुई और कहा गया कि जो लोग बगावत कर रहे है उनकी कांग्रेसियों के साथ सांठ गांठ हो, इससे इंकार नहीं किया जा सकता। इस बावत सोशल मीडिया में डाली जा रही पोस्टों के स्क्रीन शाट भी खन्ना व राणा को दिखाए गए।
याद रहे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद अर्की विधानसभा की सीट की खाली हो गई है। ऐसे में उपचुनावों को लेकर भाजपा की रणनीति क्या हो इससे पहले व्रिदेाह हो गया। गोबिंद शर्मा व भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा के बीच भी छतीस का आंकडा है।
2017 के विधानसभा चुनावों से पहले गोबिंद राम शर्मा बीमार हो गए थे व आलाकमान ने उनका टिकट काट दिया था। भाजपा ने रतन सिंह पाल को टिकट दिया था लेकिन उनका सामना पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से पड गया और वीरभद्र सिंह साढे छह हजार मतों के अंतराल से जीत गए।
2017 के बाद से प्रदेश में सरकार व संगठन पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और संगठन मंत्री पवन राणा का वर्चस्व हो गया । राणा के साथ रतन सिंह पाल की करीबी रही है तो रतन पाल ने अपने राजनीतिक विरोधियों को मंडल की राजनीति में फटकने नहीं दिया।
रतन सिंह पाल और उनके खेमे ने अर्की में नगर परिषद के हुए चुनावों में उन प्रत्याशियों को खडा कर दिया जिनका जमीन पर कोई आधार नहीं था अर्की में नगर परिषद पर कांग्रेस ने कब्जा कर दिया। इसके बाद जिला परिषद के चुनाव हुए तो इन चुनावों में भी जिन लोगों का लोगों के बीच आधार था उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो आशा परिहार व अमर सिंह ठाकुर बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतर गए और जीत गए। भाजपा ने इन बागियों का सहारा लेकर सोलन जिला परिषद के अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया था।
लेकिन अर्की के ये पुराने भाजपाइ रतन सिंह पाल और भाजपा मंडल के खिलाफ हो गए और इन नेताओं को कोई तरजीह नहीं मिली।
ऐसे में इन नेताओं ने पार्टी के उपाध्यक्ष रतन सिंह पाल और बाकियों को सबक सिखाने का मन बना लिया।
दो दिन पहले दाडला घाट में हुआ विद्रोह इसी का हिस्सा था।
उधर भाजपा के कुछ नेताओं ने अर्की के भाजपाइयों के बीच की कलह को दूर करने के लिए उप चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कूमार धूमल को चुनाव मैदान में उतारने की मुहिम भी छेडी । लेकिन कोई भी नेता अपने दावा छोडने के लिए तैयार नहीं हुआ और धूमल का नाम तक लेने की जहमत तक नहीं उठाई गई।आज की मंडल की बैठक में साफ हो गया है कि अर्की भाजपा की जंग शायद ही कम हो।
उधर, भाजपा के मंडलाध्यक्ष डीके शर्मा ने कहा कि आगामी चुनावों को लेकर पूरी रूपरेखा पर विचार किया गया है और मंडल गांवों के प्रवास पर जाएगा। इसके अलावा दिसंबर तक महासंपर्क अभियान को भी तेज करने पर सहमति बनी है।
गोबिंद -आशा अलग से मिले खन्ना से
उधर, मंडल की बैठक के बाद पूर्व विधायक गोबिंद शर्मा व आशा परिहार कुनिहार में भाजपा के प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना और संजय टंडन से अलग से मिले। इन नेताओं ने खुद को भाजपा का सच्चा सिपाही बताते हुए कहा कि वह पार्टी के लिए काम करेंगे। इन विद्रोही नेताओं ने कहा कि वह केंद्र व प्रदेश सरकार की योजनाओं का घर-घर प्रचार करेंगे।
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