शिमला। केंद्र की ओर से इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में 45 करोड़ रुपए से बनने वाली टर्शरी कैंसर सेंटर की पांच मंजिला इमारत को बनाने के लिए एनजीटी के आदेशों पर बनी सुपरवाइजरी कमेटी ने हरी झंडी दे दी हैं। कमेटी के तमाम सदस्यों ने एकमत से सिफारिश की कि यह अस्पताल जनकल्याण से जुड़ा हैं ऐसे में इसके निर्माण के लिए सहमति दी जाती हैं। चूंकि यह अस्पमाल कोर एरिया में बनने जा रहा है ऐसे मे कमेटी ने अपनी सहमति के साथ स्वास्थ्य विभाग को इस मामले को पंचाट के समक्ष उठाने की सिफारिश की हैं।
सुपरवाइजरी कमेटी के सदस्य सचिव व टीपीपी निदेशक राजेश्वर गोयल ने कहा कि कोर एरिया में होने की वजह से सुपरवाइजरी कमेटी खुद इस तरह की इजाजत नहीं दे सकती थी। इसलिए इस मामले को अंतिम मंजूरी के लिए एनजीटी के समक्ष ले जाने की सिफारिश की हैं।
प्रधान सचिव नगर नियोजन प्रबोध सक्सेना की अध्यक्षता में आयोजित हुई सुपरवाइजरी कमेटी की बैठक में आखिर इस मामले को ले जाया गया। इससे पहले 2 नवंबर को हुई इंप्लीमेंटेशन कमेटी में यह मामला नहीं ले जाया जा सका था। इस मामले को reporterseye.com ने प्रमुखता से उठाया। इसके बाद इस मामले को इंप्लीमेंटेशन कमेटी को सर्कुलेशन के जरिए भेजा गया। मायने यह कि प्रत्येक सदस्य को इसे उनकी मेल पर भेजा गया ।
इस तरह इंप्लीमेंटेशन कमेटी से मंजूरी ली गई और आज सुपरवाइजरी कमेटी ने भी इस बवत हरी झंडी दे दी हैं। लेकिन अब एनजीटी से मंजूरी लेना जरूरी हैं।
अब यह मामला अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य आर डी धीमान के पाले में चला गया है। याद रहे कि केंद्र से मंजूर यह अस्पताल राजनीतिक व प्रशासनकि नजरअंदाजी की वजह से 2016 से लटका पड़ा था। अधिकारियों ने एनजीटी की ओर से राजधानी शिमला में निर्माण पर पांबदी लगाने के की आड़ में इस मामले को फाइलों में ही दबा दिया था। जबकि पंचाट ने अपने फैसले में साफ लिखा है कि अस्पताल व बाकी आपात सुविधाओं के निर्माण पर पाबंदी नहीं हैं। लेकिन यह निर्माण कानून के मुताबिक और सुपरवाइजरी कमेटी की मंजूरी से किया जा सकता हैं। लेकिन किसी ने इसकी परवाह ही नहीं की।
पंचाट ने राजधानी में किसी भी तरह के निर्माण पर सरकार व बाकी किसी भी संस्थान से मंजूरी लेने पर पाबंदी लगा दी हैं। इसके लिए सुपरवाइजरी कमेटी गठित की गई हैं। जिसमें वाडिया इंस्टीटयूट आफ इंवायरमेंट, राष्टÑीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अलावा प्रदेश के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को शामिल किया गया हैं। अगर सुपरवाइजरी कमेटी को लगे कि उसे पंचाट से कोई निर्देश लेने है कि वह इस बावत सिफारिश कर सकती हैं। कमेटी ने इसी के तहत ये सिफारिश की हैं।
याद रहे कि इस अस्पताल का पैसा 31 मार्च 2019 को लैप्स हो जाना हैं। भवन के निर्माण के लिए 15 करोड़ रुपए इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल के पास पहुंच भी चुका हैं। अब उम्मीद जगी है कि प्रद्रेश के कैंसर मरीजों को उन्नत तकनीक से इलाज करने की सुविधा मुहैया हो सकेगी।
क्षेत्रीय कैंसर अस्पताल के प्रमुख मनीष गुप्ता ने कहा कि चूंकि पांच मंजिलों का नक्शा मंजूरी के लिए गया था । अगर एनजीटी ने पांच मंजिलों की मंजूरी दे दी तो उनका काम हो गया। अगर तीन या अढाई मंजिलों की मंजूरी मिली तो मरीजों के वार्ड के लिए वह अलग से इंतजाम कर लेंगे।
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