शिमला।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के लिए आगामी चुनावी सालों को देखते हुए सरकार की टॉप पोस्ट पर तैनाती करना मुश्किल भरा काम हो गया है। सचिवालय के अफसरों का कुनबा ये तय नहीं कर पा रहा है कि इस हॉट सीट पर 1982 बैच के आइएएस अफसर विनीत चौधरी तैनात होंगे या 1983 बैच की अफसर व उनकी बीवी उपमा चौधरी या इसी बैच के वीसी फरका।
फारका आइएएस महिला अफसर उपमा चौधरी से जूनियर है लेकिन फारका मुख्यमंत्री के लाडले है।मेरिट आधार पर स्वच्छ छवि वाली उपमा चौधरी अपने सीनियर व पति विनीत चौधरी व अपने जूनियर वी सी फारका से हर मायने में अव्वल है।लेकिन उनकी लॉबिंग कमजोर है।
इस वक्त मैग्ससे अवार्ड विजेता हरियाणा केडर के आइएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी के निशाने पर चीफ सेक्रेटरी की दौड़ में सबसे आगे 1982 बैच के आईएएस अफसर व मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा के लाडले विनीत चौधरी है तो दूसरी ओर मुख्यमंत्री के अपने लाडले 1983 बैच के आइएएस अफसर वी सी फारका है। मुख्यमंत्री की मुश्किल ये है कि वो विवादों में घिरे विनीत चौधरी को चीफ सेक्रेटरी बनाकर वरिष्ठता को तरजीह दे या लाडले फारका को इस हॉट सीट पर बिठाए।जूनियर फारका को इस हॉट सीट पर बिठाने के अपने खतरे है। फारका धूमल के भी लाडले है।
विनीत चौधरी कई सालों तक दिल्ली में एम्स में तैनात रहे । वहीं पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ कर हरियाणा सरकार की नाक में दम करने वाले संजीव चतुर्वेदी की चीफ विजीलेंस अफसर के पद पर तैनाती हो गई। यही पर चतुर्वेदी व विनीत चौधरी के बीच जंग शुरू हो गई।चतुर्वेदी ने विनीत चौधरी के खिलाफ तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद व बाद में मोदी सरकार में तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन से अलग –अलग मामलों में चार्जशीटें मंजूर करवाई थी।इस बीच हिमाचल से राज्य सभा सांसद जगत प्रकाश नडडा ने संजीव चतुर्वेदी की बतौर सीवीओ नियुक्ति को विवादास्पद बताकर उन्हें इसपद से हटाने कको लेकर गुलाम नबी आजाद से लेकर हर्षवर्धन तक चिटिठयां लिखी थी। इससे नडडा विवादों में आ गए थे। बाद में मोदी व अमितशाह के करीबी नडडा ने हषवर्धन को स्वास्थ्य मंत्रालय से हटवाकर ये पद खुद हथिया लिया था। लेकिन आरटीआइर् जानकारी के मुताबिक वो भी चौधरी के मामले को समाप्त नहीं करवा पाए हैं।ऐसा वो कानूनी कारणों से नहीं कर पाए है या वो चौधरी से अपनी पुरानी रंजिश का हिसाब -किताब पूरा कर रहे है,इसका अंदाजा नहीं लगाया जा पा रहा है।
याद रहे हिमाचल में धूमल सरकार में जब नडडा मंत्री थे तो धूमल ने नडडा को बहुत तंग करवाया था। उस समय चौधरी नडडा के सचिव हुआ करते थे। धूमल ने चौधरी के जरिए नडडा से कई खेल खेले थे।खुद को खतरा समझते हुए धूमल ने नडडा को प्रदेश की राजनीति में टिकने नहीं दिया था।नडडा मोदी की तरह चंचल राजनीति के खिलाड़ी रहे है।प्रदेश में उन्हें कोई भी गंभीर नेता नहीं मानता बल्कि ‘गोली’देने वाला नेता मानता है।वो ऐसे नेता हें या नहीं,लेकिन धूमल खेमे ने ऐसा प्रचारित करने में कभी भी कोई कसर नहीं छोड़ी। वो मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के भी लाडले हैं।हालांकि चौधरी को इसका लाभ मिलता नजर नहीं आ रहा है।
उधर,भ्रष्टाचारियों पर हमला बोलने के लिए देश भर में विख्यात आईएफएस अफसर संजीव चतुर्वेदी ने विनीत चौधरी के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी है।उनके खिलाफ तीन चार्जशीटें मोदी सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय के अधीन है जिन्हें मंत्रालय अभी तक न तो खारिज कर पाया है और न ही चौधरी को क्लीन चिट ही दे पाया है।मार्च तक ये चार्जशीटें मंत्रालय के विचाराधीन रही है। यही नहीं एम्स में हुए कारनामों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में संजीव चतुर्वेदी ने अप्रैल 2016में ही एक हल्फनामा दायर कर रखा है। ऐसे में अकेले चतुर्वेदी ने ही चौधरी की टॉप पोस्ट पर तैनाती सील करने का इंतजाम अपनी ओर से कर रखा है।उन्होंने इस बारे में हिमाचल सरकार को पहले ही एक चिटठी एम्स के सीवीओ रहते हुए भेजी हुई है।
बावजूद इसके अगर चौधरी को मुख्य सचिव बना दिया जाता है तो भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को राजनीतिक तौर पर कई सवालों केजवाब देने पड़ सकते है।
विनीत चौधरी के खिलाफ नडडा के मंत्रालय के पास विचाराधीन चार्जशीटों को लेकर संजीव चतुर्वेदी की ओर से दायर आरटीआई व मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब,जो ये साबित करते हैं कि ये चार्जशीटें अभी भी(मार्च तक) लंबिंत है-:
ये रहा इन आरटीआई का मंत्रालय की ओर से चतुर्वेदी को भेजा गया जवाब-:
ऐसे में वीरभद्र सिंह को टॉप पोस्ट पर चौधरी को बिठाने से पहले कई बार मंथन करना पड़ेगा। हालांकि चौधरी को वो इससे पहले मुख्य सचिव का कार्यभार दे भी चुके है। मौजूदा मुख्य सचिव 1978 बैच के पी मित्रा इस महीने के आखिर में रिटायर हो रहे है।वो नॉन-फंक्शनल चीफ सेके्रटरी साबित हुए हैं।
अब देखना ये है कि चीफ सेक्रेटरी की टॉप पोस्ट चौधरी दंपति में से किसी को मिलती है या फिर फारका नंबर मार ले जाते है।
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