शिमला। पूर्व मुख्य मंत्री प्रेम कुमार धूमल के बेहद करीबी पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन ने पिछल्ली वीरभद्र सिंह सरकार के कार्याकाल में हुई धांधलियों का खुलासा करते हुए जयराम ठाकुर सरकार इन मामलों में एफआइआर कर विजीलेंस विभाग विभाग से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने अपने मित्र व मुख्य सचिव विनीत चौधरी को मई में एक चिटठी लिखकर इन मामलों का की जांच कराने की मांग की थी। सानन जिन मामलों को चिटठी में उठाया है, उनमें वीरभद्र सिंह, पूर्व मुख्य सचिव वी सी फारका व भारत सरकार में सचिव तरुण श्रीधर फंसते हैं। ये तीनों की सानन की तरह चौधरी की भी दुश्मन सूची में है। लेकिन चौधरी ने मई से अब तक इन मामलों में कुछ नहीं किया है। ऐसे में सानन ने इन मामलों को मीडिया के जरिए आज सार्वजनिक किया। समझा जा रहा है कि यह जयराम ठाकुर सरकार पर दबाव बनाने के लिए तो है ही साथ ही वीरभद्र सिंह को भी दबाव लाने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
सानन ,पूर्व मुख्यमंत्री धूमल व उनके सांसद पुत्र अनुराग ठाकुर की एचपीसीए कांड में दर्ज मामले में आरोपी है व इसका चालान धर्मशाला की अदालत में दायर हो चुका था। लेकिन इसे अनुराग ठाकुर ने हाईकोर्ट मे चुनौती दे दी थी। इस चुनौती को न्यायमूर्ति त्रिलोक चौहान ने खारिज कर दिया था । अब मामला सुप्रीम कोर्ट में है। पेंच यह हैं कि सुप्रीम कोर्ट में अनुराग ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी पार्टी बनाया था और उनकी ओर से पिछल्ले दिनों सुप्रीम कोर्ट मे ंहुई सुनवाई के दौरन पी चिंदबंरम ने इस मामले को वापस लेने की अनुराग ठाकुर व जयराम ठाकुर सरकार की दलीलों का विरोध कर दिया। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
वीरभद्र सिंह व उनके करीबियों अधिकारियों के कारनामें को लेकर लिखी सानन की चिटठी का इस मामले से रणनीतिक संबंध जोड़ा जा रहा है। कहा जा रहा है कि वीरभद्र मनी लांड्रिग व आय से अधिक मामले में केंद्र की मोदी सरकार के चंगुल से बाहर आ चुके है। चूंकि मामला अदालत में है तो अब मोदी सरकार कुछ ज्यादा नहीं कर सकती। मोदी सरकार ने वैसे भी वीरभद्र सिंह की पुत्री व मणिपुर हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश अभिलाषा कुमारी को गुजरात मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाकर कई कुछ साफ कर दिया व वित मंत्री अरुण जेटली और धूमल परिवार को संदेश भी दे दिया है। ऐसे में सानन या कहें कि धूमल परिवार के पास इन मामलों को आगे लाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था।
यह सनसनीखेज इल्जाम लगाए सानन ने
यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दीपक सानन ने करोड़ों रुपयों के घोटालों से जुड़े कागजात मीडिया को जारी किए । उन्होंने कहा कि इन मामलों में शामिल मंत्रिमंडल के सदस्यों व संबंधित अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामले दर्ज किए जाए। इन मामलों को उजागर कर सानन ने सानन ने कहा कि पिछल्ली वीरभद्र सिंह सरकार ने सारे कायदे कानूनों को ताक पर रख कर जिला सोलन के बड़ोग में एक होटल को जिसे सुपी्रम कोर्ट के आदेशों के बाद सरकार में शामिल कर दिया था, को होटल मालिकों को लौटा दिया। वीरभद्र मंत्रिमंडल ने यह फैसला 4 सितंबर 2013 को लिया । जिला उपायुक्त सोलन ने बाद में पूछा कि यह जमीन पहले ही सरकार में शामिल हो चुकी है तो वह फैसला कैसे लागू करे। सानन ने कहा कि यह मामला वितायुक्त राजस्व को जाना था लेकिन तत्कालीन प्रधान सचिव राजस्व ने अपने दम पर ही फैसला दे दिया कि मंत्रिमंडल के फैसले को लागू किया जाए। सानन ने कहा कि इस गैरकानूनी फैसले से निजी होटलियर को करोड़ों का लाभ पहुंचा जबकि सरकार के खाते को चपत लगी। उन्होेंने कहा कि इसमें तत्कालीन राजस्व सचिव के अलावा तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रधान निजी सचिव की भूमिका की भी जांच की जाए।
दीपक सानन ने राजधानी के पंथाघाटी में तेनजिन अस्पताल को धारा 118 के तहत दी मंजूरियों को भी अवैध करार दिया। उन्होंने कहा कि तेनजिन ठेकेदार को 7 जून 2002 कंपनी कार्यालय व कालोनी बनाने के लिए 471.55 वर्गमीटर जमीन खरीदने की इजाजत दी गई थी। लेकिन तेनजिन ने यहां पर अस्पताल बना दिया। नियमों का उल्लंघन करने के लिए 16 जनवरी 2012 को जिला उपायुक्त शिमला ने इस जमीन को सरकार में शामिल कर दिया।
याद रहे तेनजिन ठेकेदार ने जब यह जमीन खरीदी व जब इसे सरकार में शामिल किया तब सता में धूमल सरकार थी।
सानन ने कहा कि कंपनी ने वीरभद्र सिंह सरकार को अर्जी दी कि जमीन की किस्म को अस्पताल बन जाने के बाद बदलने की इजाजत दी जाए। यह संभव नहीं था। लेकिन बिना विधि विभाग की राय लिए तत्कालीन प्रधान सचिव राजस्व ने इस जनहित में बताकर मुख्यमंत्री के लिए भेज दिया व यह बदलाव कर दिया गया। इस तरह निजी व्यक्ति को लाभ दे दिया गया। उन्होंने कहा कि इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री व पूर्व प्रधान सचिव राजस्व के अलावा तेनजिन कंपनी के कर्ताधर्ताओें के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए। यहां यह गौरतलब है कि एचपीसीए मामले में विजीलेंस के चालान में सानन के खिलाफ भी यही इल्जाम है कि उन्होंने मंत्रिमंडल में ले जाए बगैर एचपीसीए को जमीन दे दी थी। जबकि कानूनों में प्रावधान नहीं था।
इसके अलावा उन्होेंन रोहतांग रोपवे का मसला उठाया व कहा कि रोहताग में तत्कालीन धूमल सरकार के कार्यकाल के दौरान 2012 में रोपवे बनाने का इजाजत दी गई थी लेकिन उसी सरकार में इसे वापस भ्ज्ञी ले लिया था। इसके बाद 2013 में वीरभद्र सिेह सरकार सता में आई व उसने भी मंत्रिमंडल की बैठक में इस फैसले को सही करार दिया। लेकिन फरवरी 2015 में वीरभद्र सिंह सरकार ने उसी कंपनी को यहां रोपवे बनाने का ठेका दे दिया । कंपनी ने सरकार को सालाना डेढ़ करोड़ भुगतान करने की बात मानी। यही नहीं सरकार ने कंपनी की ओर से गठित स्पेशल पर्पज व्हीकल को इसके 70 फसद शेयर
बेचने की अनुमति महज तीन महीने के भीतर दे दी। जबकि ऐसा नहीं हो सकता था। सानन ने कहा कि इसी सरकार ने दस महीने बाद कुल्लू जिला में ही बिजली महादेव को रोपवे लगाने का ठेका दिया व लेकिन यहां पर कंपनी से सालाना दस करोड़ रुपए से ज्यादा का करार हुआ।
इसके अलावा उन्होेंने इल्जाम लगाया कि तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने रामपुर के चतरखंड पंचबीर देवता मंदिर के जीणोद्वार के लिए 20 लाख 50 हजार रुपए का अनुदान दे दिया जबकि इस तरह के काम के लिए 50 हजार रुपए देने का ही प्रावधान है। इस बावत ने विभाग ने भी आपति जताई थी लेकिन बावजूद इसके यह अनुदान मंजूर किया गया। इस मामले में भी भ्रष्आचार निरेधक
अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।
सानन से यह पूछे जाने पर कि उनके खिलाफ एचपीसीए मामले में एफआआर दर्ज है। तो उन्होंने कहा कि उसमें अभियोजन की मंजूरी नहीं है। फिर भी उनका नाम मामले से जोड़ा गया। यह पूछे जाने पर कि सारे इल्जाम उन्होेंने वीरभद्र सिंह सरकार पर ही लगाए है तो उन्होंने कहा कि अगर धूमल सरकार का भी कुछ सामने आएगा तो वह आगे बढ़ेंगे । वह इन मामलों को अदालत में ले जाएगें, इस बावत उन्होंने कहा कि वह तैयार है ।
(0)