शिमला। परिवारवाद भाजपा व कांग्रेस में ही नहीं वामपंथियों पर भी हावी है। वामपंथयों की पार्टी माकपा व वामपंथियों की महिला विंग अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति में पति व पत्नी सबसे ज्यादा सक्रिय है। यूं हिमाचल माकपा के मुखिया पीएचडी डिग्री होल्डर ओंकार शाद है लेकिन सक्रियता के मामले में पूर्व महापौर व माकपा के राज्य सचिवालय के सदस्य संजय चौहान सबसे ज्यादा मुखर है।
अगर महिला विंग में से देखा जाए तो संजय चौहान की नेता पत्नी व अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की प्रदेश की सचिव फालमा चौहान सबसे ज्यादा सक्रिय है।
बस किराए में बढ़ोतरी के फैसले को लेकर कायदे से प्रतिक्रिया ओंकार शाद की ओर से आनी चाहिए थी। उनकी प्रतिक्रिया का वजन भी होता लेकिन संजय चौहान ने कोई चूक नहीं की और तुरंत प्रतिक्रिया दे डाली।उसी के साथ अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की ओर से उनकी पत्नी फालता चौहान की भी प्रतिक्रिया भी साथ ही वाटसएप ग्रुप पर पहुंच गई।दिलचस्प यह है कि दोनों की प्रतिक्रिया में ज्यादा अंतर नहीं है।
वामपंथ की ओर से शिमला में विजेंद्र चौहान भी बडे नेता बन गए है तो उन्होंने सीटू की ओर से प्रतिक्रिया दे डाली।
संजय चौहान ने ये कहा बस किराए बढ़ोतरी पर
माकपा जयराम सरकार की ओर से 25 प्रतिशत बस किराया में की गई वृद्धि को लागू करने के फैसले का विरोध करती है व प्रदेश सरकार से मांग करती है कि इस जनता पर आर्थिक बोझ लादने के निर्णय को तुरन्त वापस ले। अन्यथा पार्टी इस जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध प्रदेशव्यापी जनांदोलन करेगी। उन्होंने कहा कि आज कैबिनेट के इस बस किराया वृद्धि के फैसले ने प्रदेश की बीजेपी सरकार व इनके मंत्रियों के दोहरे चरित्र को भी उजागर किया है। पिछले कैबिनेट की बैठक के बाद भी बस किराया वृद्धि को लेकर जब विरोद्ध हुआ था तो सरकार में मुख्यमंत्री, परिवहन मंत्री व अन्य मंत्री सभी निरन्तर यही बयान दे रहे थे कि प्रदेश में बस किराया नहीं बढ़ाया जाएगा परन्तु गुपचुप तरीके से चन्द लोगों के दबाव में आकर बस किराया वृद्धि को अंजाम देकर प्रदेशवासियों के साथ इस संकट की घड़ी में बड़ा धोखा किया है। सरकार ने जब 100 प्रतिशत सवारियों को लेकर बसे चलाने की इजाज़त दे दी है तो यह बस किराया वृद्धि का निर्णय बिल्कुल भी तर्कसंगत व न्यायसंगत नहीं है। इस निर्णय से सरकार का जनविरोधी चरित्र स्पष्ट हुआ है और चन्द लोगों को लाभ देने के जनता पर महंगाई की मार की जा रही है।
कोविड-19 के चलते सरकार की ओर से लॉकडाउन व कर्फ्यू के कारण आज देश व प्रदेश में करीब चार महीने पूरे होने जा रहे है और इस दौरान लगभग हर क्षेत्र प्रभावित हुए हैं जिसके चलते बड़े पैमाने पर रोजगार समाप्त हुआ है। प्रदेश में लगभग सभी क्षेत्र जिनमें उद्योग, पर्यटन, कृषि, ट्रांसपोर्ट, कारोबार, वाणिज्य, दुकानदार आदि सभी बुरी तरह से इससे प्रभावित हुए है और सरकार से राहत की दरकार में है। इस दौरान प्रदेश में भी लाखों लोगों को रोजगार से वंचित होना पड़ा है और इनके समक्ष रोजी रोटी का बड़ा संकट हो गया है। इस विषम परिस्थिति में जनता सरकार से राहत की दरकार कर रही है। लेकिन ऐसे निर्णयों से राहत तो दूर सरकार ने लॉकडाउन के दौर में भी राशन, पानी, बिजली, डीज़ल, पेट्रोल, प्रॉपर्टी टैक्स, मालभाड़ा, कूड़ा उठाने की फीस आदि में वृद्धि कर जनता पर आर्थिक बोझ डालने का काम ही किया है। सरकार ने राशन में दिया जा रहा 80 करोड़ व बिजली में 100 करोड़ रुपये के उपदान को समाप्त कर दिया है। डीज़ल व पेट्रोल की कीमतों में 20 फीसद से अधिक की वृद्धि की है। जिससे मालभाड़े में 20 से 25 फीसद तक की वृद्धि मालवाहकों के द्वारा की गई है। इससे महंगाई की मार जनता पर पड़ी है। ऐसे में जनता का जब रोजगार चला गया है और कारोबार बिल्कुल बन्द रहा है तो इस विषम परिस्थिति में सरकार राहत देने के बजाय सेवाओं की दरों में वृद्धि कर जनता पर महंगाई बड़ा कर आर्थिक बोझ और अधिक बड़ा रही है।
चौहान ने माकपा के हवाले से सरकार से की कि इस बस किराया वृद्धि को तुरंत वापिस ले । राशन व बिजली में दिए जा रहे उपदान की कटौती व पानी, प्रॉपर्टी टैक्स, कूड़े आदि की फीस में की गई वृद्धि को वापस ले। यदि सरकार इन जनता पर आर्थिक बोझ लादने वाले निर्णयों को वापस लेकर राहत प्रदान नहीं करती तो माकपा इस जनविरोधी निर्णय के विरुद्ध प्रदेशव्यापी आंदोलन तब तक चलायेगी जब तक सरकार इस निर्णय को वापस नहीं लेती।
पत्नी फालमा चौहान की प्रतिक्रिया
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति हिमाचल प्रदेश आज हिमाचल प्रदेश सरकार के मंत्रिमंडल की ओर से बस किराये में 25 प्रतिशत की वृद्धि की कड़ी निंदा करती है। हिमाचल प्रदेश में अभी कोविड महामारी ने अपनी दस्तक जोरों पर दी है और प्रदेश में भाजपा सरकार ने लोगों की जेबों में एक बार फिर से डाका डाला है ।सरकार निजी बस संचालकों के आगे नतमस्तक हो गई है। सरकार और निजी बस संचालको की सांठ गाँठ प्रदेश की महिलाओं के ऊपर एक बार फिर से भारी पड़ी है।
फालमा चौहान ने कहा कि इस कोविड महामारी के चलते प्रदेश में कई हजार लोगों का रोजगार चला गया है और फसलों के ऊपर महामारी का साया है ऐसे में प्रदेश में लोगो के पास अपना घर का खर्चा चलना मुश्किल हो गया है और महँगाई की कोई सीमा नहीं है ।ऐसे में सरकार का प्राइवेट बस ऑपरेटरों के सामने नतमस्तक होना प्रदेश की जनता और खासकर महिलाओं के साथ धोखा है। आज महिलाओ को अपना खर्च चलाना मुश्किल हो गया है घर मे गैस ,बिजली पानी ,कूड़ा महंगा और बाहर निकलो तो तेल ,किराया महँगा।
इससे सरकार की मंशा साफ जाहिर होती है कि सरकार प्रदेश में आमजन को जो इन्हें शासन करने के लिए सता में भेजता है उसे सिर्फ वोट बैंक तक सीमित रखना चाहता है।
किराये बढ़ने से प्रदेश में प्रत्येक वस्तु महँगी हो जाएगी जिसका आर्थिक बोझ प्रदेश मे इस महामारी के चलते जनता को भुगतना पड़ेगा सरकार की गलत नीतियों के चलते आज प्रदेश को कर्ज के नीचे डूबना पड़ा है।
महिला समिति हिमाचल प्रदेश माँग करती है कि सरकार इस किराया वृद्धि के निर्णय की समीक्षा करें और इस निर्णय को वापस ले ताकि प्रदेश की जनता को राहत मिल सके।
वामपंथ की ओर से तीसरी प्रतिक्रिया विजेंद्र मेहरा की ओर से आई है।वह सीटू के नेता है।
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