शिमला। हिमाचल पथ परिवहन निगम से सेवानिवृत हुए कर्मचारियों ने पैंशन समय पर न मिलने के विरोध में 14 जून को राजधानी में धरना देने का एलान किया है । साथ ही जयराम सरकार को आगाह किया है कि अगर उनकी मांगों को नहीं माना गया तो वह पहले क्रमिक अनशन व उसके बाद आमरण अनशन पर बैठक जाएंगे। हिमाचल पथ परिवहन निगम सेवानिवृत कर्मचारी कल्याण संगठन के अध्यक्ष राजेंद्र पाल ने राजधानी में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि निगम से सेवानिवृत हुए छह हजार पैंशनर निगम की अनदेखी के कारण आर्थिक संकट से गुजर रहे है। लेकिन निगम प्रबंधन उनकी जायज मांगों को लगातार नजरअंदाज करता आ रहा है। पाल ने दावा किया कि सेवा नियमों के मुताबिक सेवानिवृति के मात्र तीन महीने के भीतर पैंशनर को सेवानिवृत बाद की देय राशि का भुगतान हो जाना लेकिन निगम में तीन- तीन साल से निगम से सेवानिवृत हुए कर्मचारियों की देय राशि लटकी हुई है। इसी क विरोध में राजधानी के पुराना बस अड्डा स्थित एचआरटीसी प्रबंध निदेशक कार्यालय के बाहर 14 जून को धरना देंगे।
पाल ने इल्जाम लगाया कि कि सेवानिवृत कर्मचारी पैंशन की मांग को लेकर जब कार्यालय आते हैं तो उन्हें दुत्कार व अपमानित होना पड़ता है। कई सेवानिवृत कर्मचारियों की तो मौत हो भीु हो चुकी है लेकिन उन्हें पैंशन नहीं मिली और न ही उनके परिजनों को कोई राशि मिली है। उन्होंने कहा कि निगम प्रबंधन मई 2013 के बाद आज तक पैंशन अदायगी के लिए एक निश्चित तिथि निर्धारित कर पाया है।
उन्होंने निगम रोजाना तीन करोड़ रुपए की कमाई करती ह इसके अलावा सरकार की ओर से सालाना तीन सौ करोड़ का अनुदान भी मिलता है। हाल ही में परिवहन मंत्री गोबिंद ठाकुर ने दावा किया था कि निगम पिछल्ले सालों के मुकाबला ज्यादा लाभ कमाया है। पाल ने सवाल किया कि अगर ऐसा है तो निगम के सवानिवृत कर्मचाीिरयों को उनको देय लाभ क्यों नहीं दिए जा रहे है। निगम कर्मचारियों को समय पर वर्दियां नहीं मिली, पैंशनरों को समय पर पैंशन व अन्य लाभ क्यों नहीं मिल पा रहे हैं। जबकि निगम की तर्ज पर प्रदेश में कार्य कर रहे विद्युत बोर्ड , नगर निगम और प्रदेश विवि एचपीयू जैसे स्वायत निकायों के कर्मचारियों को ऐसी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। यह सरकार के कुप्रबंधन की वजह से है निगम के सेवानिवृत कर्मचाीिरयों को यह मार झेलनी पड़ रही है।
पाल ने जयराम सरकार को आगाह किया कि वह निगम के सेवानिवृत कर्मचारियों की मांगों पर गौर नहीं किया तो वह आंदोलन का सामना करने को तैयार रहे। बहुत से सेवानिवृत कर्मचारी आर्थिक संकट से इतने तंग आ चुके है कि वह आत्मदाह तक करने के लिए त्तैयार है। उन्होंने कहा कि निगम के सेवानिवृत कर्मचारी किसी भी रुप में सरकार का विरोध नहीं करते हैं, लेकिन जिन हालातों से हम गुजर रहे हैं उसे सरकार और निगम प्रबंधन अनदेखा कर रहा है।
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