शिमला।हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष व पूर्व भाजपा विधायक राकेश पठानिया के नाम 26 लाख 53 हजार रुपए की रिकवरी को तीन सदस्यीय कमेटी ने निगम के अफसरों से वसूलने की सिफारिश की है। इसके अलावा इस तीन सदस्यीय कमेटी ने निगम में हुए घोटालों, वितीय अनियमितताओं और चहेतों की नियमों को ताक पर रख कर हुई पदोन्नतियों का खुलासा किया है। कमेटी ने सिफारिश की है कि सरकार के खजाने को सेंध लगाने वाले इन सारे घोटालों की विस्तृत जांच की जाए और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
जांच रिपोर्ट में पूर्व मुख्यमंत्री धूमल के करीबियों और पूर्व विधायक बलदेव शर्मा के रिश्मेदार पर की कारगुजारियों पर भी अंगुली उठाई है।
मजे की बात है कि सरकार में तैनात बड़े अफसरों की ओर जांच रिपोर्ट में इशारा होने पर निगम के अफसरों ने इस रिपोर्ट पर मौन साध लिया है।
जांच रिपोर्ट में हैरतअंगेज कारनामा सामने आया है और इस कारनामें में निगम में तैनात विभिन्न प्रबंध निदेशकों व निगम के बाकी अफसरों की मिलीभगत की ओर इशारा किया गया है।
2006 में पूर्व सरकार ने राकेश पठानिया के नाम 26 लाख रुपए के करीब की रिकवरी निकाली थी और रिकवरी के लिए मामला हाईकोर्ट में भेज दिया । दिसंबर 2007 में प्रदेश में सता बदली और राकेश पठानिया से रिकवरी के मामले में अदालत में चल रहे मुकदमें में करीब आधा दर्जन बार डेटस लगने पर निगम की ओर से दस्तावेज ही पेश नहीं किए गए। निगम ने कभी कहा कि मामला समझौते की दिशा में जा रहा है और कभी और दलील देकर समय लेते रहे है। लेकिन अदालत में निगम की ओर से एकत्रित की गई विभिन्न होटलों की किचन आर्डर टिकटें अदालत के सामने पेश नहीं की।जिससे ये पता चलता कि 1998 से 2003 के बीच अध्यक्ष के नाम लोग निगम के होटलों में किस तरह लाखों रुपए की मौजें उड़ा गए है। अदालत ने अपना फैसला दिया कि निगम ये सबूत पेश नहीं कर पाया कि उसे पठानिया से रिकवरी करनी है। मामला यहीं खत्म हो गया।लेकिन ये 26 लाख रुपए कभी निगम के खजाने में नहीं गए।
इस बीच पर्यटन निगम में हुए घोटालों और सेक्स सकैंडल्स को लेकर पर्यटन निगम कर्मचारी संघ के महासचिव ओपी गोयल ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को एक चिटठी लिखी थी। गोयल इससे पहले भी निगम के घोटालों को लेकर मुखर हुए थे और कई आईएएस अफसरों पर अंगुली उठाई थी। निगम ने उल्टे उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की थी।
मुख्यमंत्री ने गोयल को बोर्ड की जुलाई में हुई बैठक में पक्ष रखने का मौका दिया गया। गोयल ने बैठक में निगम में हुए घोटालों व उनमें सरकार में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरों के कारनामों का खुलासा कर दिया।मुख्यमंत्री ने वहीं पर बोर्ड के निदेशक वीरेंद्र धर्माणी, सुरेंद्र सेठी और निगम के महाप्रबंधक योगेश बहल को शामिल कर तीन सदस्यीय कमेटी बना दी।कमेटी ने अपनी रिपोर्ट बोर्ड को सौंप दी है।
जांच रिपोर्ट में रिकवरी के इस मामले के अलावा चंडीगढ़ में हिमाचल भवन में तैनात रहे एक अफसर के कारनामों को भी उजागर किया। इसके अलावा चहेतों को दी गई पदोन्नतियों का खुलासा भी किया गया है।
कमेटी ने निगम के तमाम घोटालों की विस्तृत जांच करने की सिफारिश कर दी है पर निगम के अफसर इस रिपोर्ट को लेकर मौन हो गए है। जांच कमेटी के सदस्य व निगम के महाप्रबंधक योगेश बहल ने कहा कि निगम के पास एक ही रिपोर्ट है और वो प्रबंध निदेशक के पास है।वह इस पर एक भी लफ्ज नहीं कह सकते। निगम के प्रबंध निदेशक मोहन चौहान गोवा में है। गौरतलब हो कि बहल इस जांच कमेटी के सदस्य थे।
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