शिमला। राजधानी की एक अदालत ने राज्य पर्यटन विकास निगम के पूर्व महाप्रबंधक रमेश कपूर को नौकरी के दस्ताीवेजों में छेड़छाड़ कर जन्मतिथि बदलने के मामले में धारा 420 के तहत दोषी ठहराते हुए एक साल की कैद और 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अदालत ने जुर्माना अदा न करने की स्थिति में तीन महीने की और सजा भुगतने का आदेश दिया है।सीजेएम परविदंर सिंह अरोड़ा ने अपने फैसले में कहा कि अगर सर्विस रिकार्ड से दसवीं का प्रमाण पत्र गायब हो गया है तो मूल प्रमाण पत्र तो आरोपी के पास ही था। वह इसे अदालत या निगम में कभी भी जमा करा सकता था।
दस्तावेजों में छेड़छाड़ कर जन्मतिथि बदलने व दसवीं का प्रमाण पत्र दस्ताेवेजों से गायब कर देने के मामले को लेकर पर्यटन विकास निगम कर्मचारी संघ के पूर्व महासचिव ओम प्रकाश गोयल ने तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार में निगम प्रबंधन से इस मामले में एफआइआर दर्ज करने की मांग की थी। लेकिन नौकरशाहों व नेताओं की सांठगांठ की वजह से इस मामले में एफआइआर दर्ज नहीं की गई।बाद में एफआइआर दर्ज करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर तत्कासलीन डीजीपी को शिकायत की तब जाकर इस मामले में सदर थाने में एफआइआर दर्ज की गई।
शिकायत में कहा गया था रमेश कपूर की सर्विस बुक में उनकी जनमतिथि को 22 फरवरी1944 की जगह 22 फरवरी 1948 कर दिया गया है। इसकेअलावा रिकार्ड में से दसवीं का प्रमाणपत्र भी निकाल दिया गया है।है।शिकायत में यह भी कहा गया कि मामलासामने आने के बाद पर्यटन निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक तरुण श्रीधर ने इस मामले में एफआइआर दर्ज करने के बजाय कपूर को सेवानिवृति के बाद मिलने वाले लाभों को रोक दिया व कपूर को बिना दसवीं का प्रमाण पत्र लिए तमाम लाभ अदा कर दिए ।
शिकायत में कहा गया कि बाद में सरकार के स्तर पर इस मामले में जांच की गई और कपूर की जनमतिथि से छेड़छाड़ पाई गई व दसवीं का प्रमाण पत्र गायब पाया गया।इस बीच तत्काालीन प्रधान सचिव पर्यटन ने निगम के तत्काालीन प्रबंध निदेशक तरुण श्रीधर को कपूर को सेवानिवृति के बाद मिले लाभों की रिकवरी के आदेश दिए लेकिन तरुण श्रीधर ने जानबूझ कर इन आदेशों की अवहेलना की और इस बीच कपूर राज्य प्रशासनिक पंचाट से प्रधान सचिव पर्यटन के आदेशों के खिलाफ स्टे लेने में कामयाब हो गए।
इस बीच गोयल ने आरटीआइ के जरिए कपूर के दसवीं और अन्य प्रमाणपत्रों को लेकर तमाम जानकारी जुटा ली व इन प्रमाणपत्रों में पाया गया कि कपूर की असल जन्मातिथि 22 फरवरी 1944 है।
पुलिस के डीएसपी आनंद कुमार धीमान की जांच में पाया गया कि रमेश कपूर ने 1973 में नगम में क्ल र्क –गाइड के तौर पर नौकरी शुरू की थी।जांच में सामने आए दस्ताीवेजों के मुताबिक उनकी जन्म तिथि 1944 ही पाई गई।निगम के दस्ताीवेजों में जारी वरिष्ठ ता सूची में जन्म1तिथि का कॉलम खाली छोड़ा गया था ।।जांच अधिकारी ने पाया कि सर्विस रिकार्ड में से आरोपी की ओर से दसवीं का प्रमाणपत्र जानबूझ कर निकाला गया है।जांच में यह सामने आया कि कपूर निगम में सबसे ऊंचे ओहदे पर पहुंच गए थे व उसने अपने पद का दुरुपयोग कर ये सब किया होगा। आखिर में जांच में पाया गया कि अपनी नौकरी की अवधि लंबी करने और निगम से गैर कानूनी तौर पर लाभ अर्जित करने के लिए के कपूर ने धोखधड़ी करते हुए दस्तारवेजों में ये छेड़छाड़ की।
सीजेएम ने पाया कि आरोपी ने अपनी नौकरी की अवधि चार साल तक बढ़ाने की मंशा से सब किया इसलिए उसे णारा 420 के तहत दोषी ठहराया जाता है।
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