शिमला। सुलह से विधायक व पूर्व स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार को आज सर्वसम्मति से प्रदेश विधानसभा का 17वां विधानसभा अध्यक्ष चुन लिया गया है। उन्होंने आज विधानसभा अध्यक्ष पद का कार्यभार भी संभाल लिया।
Þआज सदन में प्रश्नकाल समाप्त होने के तुरंत बाद 5 मार्च 1964 को पालमपुर के ननाओं गांव में जन्मे विपिन सिंह परमार को विधानसभा अध्यक्ष बनाए जाने का प्रस्ताव मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में पेश किया व बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ने प्रस्ताव का समर्थन किया। मुख्यमंत्री के अलावा तीन और मंत्रियों ने परमार को विधानसभा अध्यक्ष चयनित किए जाने का प्रस्ताव पेश किया।
चूंकि विपक्षी पार्टी कांग्रेस की ओर से अध्यक्ष पद के लिए किसी ने नाम नहीं भरा था तो मतदान के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज ने विपिन परमार को विधानसभा का नया अध्यक्ष घोषित कर दिया। इसके बाद सदन के नेता मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री परमार को विधानसभा अध्यक्ष के आसन तक ले गए व परमार ने विधानसभा अध्यक्ष पद की कुर्सी संभाल
ली।
विपिन परमार ने सदन को भरोसा दिलाया कि वह विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठकर किसी भी सदस्य की जुबान को चुप नहीं कराएंगे। वह नियमों के तहत सदन को चलाएंगे। उनके विधानसभा अध्यक्ष बनने पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने उन्हें बधाई देते हुए कहा कि स्वास्थ्य मंत्री रहते हुए उन्होंने बेमिसाल काम किया ।
विपक्षी नेताओं ने करार दिया राजनीति का शिकार
भाजपा की आंतरिक जंग की ओर ईशारा करते हुए नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि जिस तरह से मुख्यमंत्री ने उनके बतौर स्वास्थ्य मंत्री किए कामों को बखान किया है उससे तो यह लगता है कि उन्हें मंत्री के पद पर ही रहना चाहिए था। अग्निहोत्री ने कहा कि वह भाजपा के आंतरिक विवाद में नहीं पड़ना चाहते । स्पीकर का पद बेहद प्रतिष्ठा वाला है और इस पद पर विटठल भाई जैसे कदावर नेता बैठ चुके है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जिन मंत्रियों ने इस पद को ठुकराया है, उन्हें अपनी गलती का भान होगा। यह बहुत बड़ा पद है।
अग्निहोत्री ने बिंदल की ओर से इस पद को त्यागने व भाजपा अध्यक्ष बनने को लेकर भी तंज कसा। उन्होंने कहा कि राजीव बिंदल ने इस पद के मुकाबले भाजपा का अध्यक्ष स्वीकारा है। अग्निहोत्री ने उम्मीद जाहिर की कि वह विवेक व न्यायसंगत तरीके से विपक्ष को भी अपनी बात रहने का मौका देंगे।
कांग्रेस विधायक सुखविंदर सुक्खू ने साफ तौर पर ही कह दिया कि वह बतौर स्वास्थ्य मंत्री अच्छा काम कर रहे थे। लगता है कि वह भाजपा की राजनीति का शिकार हो गए है। एकमात्र वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर नहीं चाहते की वह विधानसभा अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठे । इस कुर्सी पर बहुत वरिष्ठ विधायकों को बैठना चाहिए।
याद रहे कि विपिन परमार का नाम विधानसभसा अध्यक्ष के अचानक सामने आया था। कहा जा रहा है कि इसकी जानकारी मुख्यमंत्री जराम ठाकुर व खुद विपिन परमार को भी नहीं थी। 24 तारीख को भाजपा विधयक दल की बैठक के दौरान भाजपा के राष्टÑीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नडडा का फोन आया व उन्होंने परमार व मुख्यमंत्री को आलाकमान के फैसलें से अवगत करा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री व परमार भी अवाक रह गए।
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