शिमला। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व उनके बेटों के भाजपा पर कब्जा कर देने से आहत होकर हिमाचल लोकहित पार्टी का गठन कर प्रदेश में तीसरा विकल्प खड़ा करने का झंडा खड़ा करने का दम भरने वाले महेश्वर सिंह ने घर वापसी का एलान करते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी धूमल व उनके बेटों के खिलाफ व्यक्तिगत तौर भ्रष्टाचार के आरोप नहीं लगाए। महेश्वर सिंह ने 2012 में आरोप लगाए थे कि धूमल शासन में हिमाचल ऑन सेल है।भ्रश्टाचार के कई आरोपों को लेकर वो उस समय भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष नितीन गडकरी के दरबाार में भी गए थे। जब आलाकमान ने धूमल के खिलाफ कुछ नहीं किया तो उन्होंने कई बागी भाजपाइयों समेत हिलोपा खड़ी कर ली थी।
मीडिया से रूबरू हुए महेश्वर सिंह ने ये भी दावा किया कि विलय के लिए उन्हें भाजपा से ऑफर मिला था। महेश्वर सिंह ने कहा कि उनकी धूमल से कोई रंजिश नहीं है अौर14 अगस्त को जब कुल्लू में हिलोपा का बीजेपी में विलय होगा तो वहां पर पार्टी के बड़े नेता शांता कुमार व जगत प्रकाश नडडा भी होंगे। धूमल होंगे या नहीं इस पर महेश्वर सिंह ने कहा कि न्यौता तो दिया है। जब किसी की शादी होती है तो बहुत से लोगों को न्यौता दिया गया होता है,सब थोड़े ही आते है।
14 अगस्त को भाजपा में विलय कर रहे महेश्वर सिंह ने हास्यस्पद से कदम भी उठाए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हिलोपा का भाजपा के आधिकारिक तौर पर विलय नहीं हुआ है,ऐसे में वो अभी भी हिलोपा के अध्यक्ष है।अध्यक्ष होने के नाते पार्टी के जो नेता समांंनांतर तौर पर पार्टी चला रहे है उन्हें उन्होंने नोटिस जारी किया है कि क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनहीनता को लेकर कार्रवााई चलाई जाए।
सोलन से महेंद्र नाथ सोफ्त और धर्मचंद गुलेरिया ने महेश्वर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है व हिलोपा पर अपना दावा पेश कर दिया हे। महेश्वर सिंह ने इस बावत कहा कि उन्होंने सारेे दस्तावेजों समेत चुनाव आयोग को भी अवगत करा दिया है कि जो नेता हिलोपा पर दावा पेश कर रहे हैं,उनके पास ऐसा करने का कोईअधिकार नहीं हैं। हिलोपा का बीजेपी में विलय का फैसला बहुमत से लिया गया है, और जो पार्टी पर दावाकर रहे है उनके भी उन प्रस्तावों में दस्तख्त है,जिसमें विलय के प्रस्ताव को पारित किया गया है। ऐसे में हिलोपा के नाम पर कोई बखेड़ा खड़ा करना सही नहीं है।उन्होंने दावा किया कि पार्टी के नेताओंं ने तय किया था हिलोपा को राषट्रीय पार्टी में विलय करना चाहिए। सोलन के कुछ नेता आम आदमी पार्टी का ऑफर लाए थे लेकिन एक महीने तक कुछ नहीं तो फिर बीजेपी की ओर रूख किया गया।
उन्होंने कहा कि विलय एक दिन पहले 13 तारीख को सभी हिलोपा के नेता बैठक करेंगे ।
उन्होंने माना कि वो प्रदेश में तीसरा विकल्प खड़ा करने में नाकाम रहे।ये पूछे जाने पर कि क्या वो अवसरवादी नहीं है।उन्होंने कहा कि राजनीति में एडजस्टमेंट होती है ।ये पूछे जाने पर कि वो भाजपा से जब बागी हुए थे तो भ्रश्टाचार के आरोप लगाकर बाहर हुए थे,क्या अब बीजेपी भ्रष्ट नहीं है।उन्होंने जवाब दिया कि तुलनात्मक दृश्टि से बीजेपी में भ्रष्टाचार कम है।दिल्ली में नेतृत्व परिवर्तन हुआ हैै।उन्होंनेे कहा कि प्रदेश कांग्रेस की बुरी हालात है। अगर कांग्रेस ठीक होती तो ये नौबत नहीं आती।
महेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर सीधा हमला नहीं किया व कहा किउनके सलाहकार सही नहीं है।
रघुनाथ मंदिर को सरकार के कब्जे में लाने के वीरभद्र सिंह सरकार के कदमों को लेकर महेश्वर सिंह नेकहा किवो उनकी निजी संपति है।वीरभद्र सिंह सरकार में मंत्री उनके छोटे भाई कर्ण सिंह मंदिर को सरकार के कब्जे में लाने के पक्ष में है। इस पर महेश्वर सिंह ने कहा कि कर्ण सिंह पर दबाव भी हो सकता है। कर्ण सिंह का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा जो धर्म में राजनीति घुसेड़ते है वो घटिया होते है।
(0)