शिमला। प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में पार्किंग व्यवस्था न होने पर प्रदेश हईकोर्ट ने मुख्य सचिव से व्यक्तिगत तौर पर हलफनामा अदालत में पेश करने के निर्देश दिए है। अदालत ने कहा कि अगर हलफनामा दायर नहीं हुआ तो मुख्य सचिव खुद अदालत में हाजिर रहे।
कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश संजय करोल और जस्टिस संदीप शर्मा की खंडपीठ ने मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि वह हलफनामे में यह जरूर बताएं कि अमृुत परियोजना के तहत बनने वाली यह पाकिंग कितने दिनों में शुरू हो जाएंगी। अदालत ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है।
खंडपीठ ने कहा अब तक सता में रही सरकारों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि पिछल्ले चार दशकों में आज तक किसी भी सरकार ने यहां पर पार्किंग की व्यवस्था में सुधार के लिए कोई काम नहीं नहीं किया।
अदालत ने कहा कि नगर निगम के आयुक्त ने य्अपने हलफनामे में यह तो बता दिया है कि यहा पर बहुमंजिली पार्किंग बनेगी लेकिन यह कितने समय में बन कर तैयार हो जाएगी ,इस बावत चुप्पी साथ ली है।
अदालत की ओर से इस मामले पर सुनवाई एक वकील की ओर से दायर याचिका पर की जा रही है।
अदालत ने कहा कि बेशक इस तरह के नीतिगत काम करना अदालत के क्षेत्राधिकार में नहीं है लेकिन अस्पताल में पार्किंग न होने की समस्या व इस बावत अधिकारियों की ओर से कोई कार्रवाई न करने दपर अदालत अपनी आंखे बंद नहीं कर सकती।
खंडपीठ ने कहा कि हम इस बावत योजनाकारों और अधिकारियों का संवेदनहीन, कठोर, रूखा रवैया नोटिस कर रहे हैं। ऐसे में अदालत ये निष्कर्ष निकालने में कतई हिचक नहीं रख रही है कि आम लोगों को सुविधाएं मुहैश कराने को लेकर अधिकारियों के पास या तो कोई दूरदृष्टि नहीं या उन्हें कोई परवाह नहीं है। अदालत ने याद दिलाया कि एक दिन ये अधिकारी खुद इसी का शिकार हो जाएंगे।
अदालत ने कहा कि राज्य आम जनता के फायदे के लिए कारगर नीति बनाने के बजाय क्रूर राजनीति का शिकार हो रहा है। जिसकी वजह से आम लोगों को परेशान होना पड़ता है।
पिछल्ले चार दशकों को हम इस तरह की सुविधाएं मुहैया कराने में विफल रहे हैं जबकि यह राज्य का उतरदायित्व बनता है।
खंछपीठ ने कहा पिछल्ली सुनवाई पर अतिरिक्त महाधिवक्ता और लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर इन चीफ के साथ हुई चर्चा के बाद अदालत ने सुझाव दिया था कि नई बनी बहुमंजिली इमारत की सबसे ऊपर वाली मंजिल पर डाक्टरों, कर्मचारियों, रोगियों व बाकी लोगों के लिए पार्किंग बना दी जाए। लगता है कि यह सुझाव बहरे कानों तक ही पहुंचा ।
संजौली रोड़ पर गाड़ियां खड़ी करने से समस्या का हल होने वाला नहीं है। अदालत ने कहा कि इंदिरा गांधी अस्पताल परिसर में कई इमारतें बन गई है लेकिन किसी ने भी पार्किंग को लेकर कोई फैसला नहीं लिया।
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