शिमला। भ्रष्टाचार के मसले पर सीबीआई और इडी के शिकंजे में घिरे मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश विवि में पिछले साढ़े तीन महीनों से आंदोलन कर रहे वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई के आंदोलन को समाप्त करने के बजाय अपने विवादास्पद बयानबाजी से और भड़का दिया हैं।इस मामले में वीरभद्र सिंह मोदी सरकार के नक्शे कदम में चल पड़े हैं। जेएनयू कांड में जब मोदी सरकार ने छात्रों पर हमला किया था तो कांग्रेस पार्टी के युवराज व मुख्यमंत्री के अपने आका राहुल गांधी व आनंद शर्मा जेएनयू पहुंच गए थें लेकिन हिमाचल के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह विवि तो पहुंचे लेकिन लेकिन किया बिलकुल उल्ट। छात्रों से बातचीत करने व उन्हें समझाने के बजाय आंदोलन करने वाले छात्र संगठन के खिलाफ तल्ख टिप्पणी कर गए।
एसएफआई का नाम लिए बगैर इसे असामाजिक तत्वों की केटेगरी में खड़ा कर दिया विश्वविद्यालय प्रशासन को असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने को कहा। प्रदेश के छठी बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह किसी छात्र संगठन को इस तरह लांछित करने हैरान करने वाला है। चूंकि मुख्यमंत्री खुद भ्रष्टाचार के मामलों में घिरे है व उन पर अकूत संपति एकत्रित करने को लेकर अरेस्ट का साया छाया हुआ है,ऐसे में ये अपने आप हैरान करने वाला है।
विश्वविद्यालय के 47वें स्थापना दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय प्रशासन को असामाजिक तत्वों से सख्ती से निपटने को कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि छुट्टियों के बाद जब विश्वविद्यालय में नई प्रवेश प्रक्रिया आरम्भ होती है तो राजनीतिक दलों से जुड़े कुछ कुछ विद्यार्थी नए प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों को बहकाने के लिए विश्वविद्यालय परिसर में अपने टैंट लगा देते हैं और उनका एकमात्र उद्देश्य पूरे सत्र के शैक्षिक माहौल को प्रभावित करना होता है। ऐसे लोग न तो स्वयं पढ़ना चाहते हैं और न ही दूसरों को अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना देते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि ऐसे शरारती तत्वों को विश्वविद्यालय से बाहर का रास्ता दिखाया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों में राजनीतिक व वैचारिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वे नए विद्यार्थियों को उनकी हिदायतें मानने के लिए विवश कर शैक्षणिक वातावरण को प्रभावित करें। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से ऐसे असमाजिक तत्वों से कानून के अनुसार कड़ाई से निपटने को कहा।
उन्होंने कहा कि ऐसे विद्यार्थी एक तरह के प्रोफेशनल आन्दोलनकारी हैे और ऐसे लोग केवल विश्वविद्यालय में अशांति व आन्दोलन करने के लिए ही प्रवेश लेते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे विद्यार्थी सोचते हैं कि इस तरह के कार्य.कलापों व हरकतों से वे राजनीति में आसानी से प्रवेश पा सकते हैं, लेकिन यह उनकी भूल है।
वीरभद्र सिंह ने ऐसे तत्वों को खुले तौर पर विधानसभा चुनाव लड़ने की खुली चुनौती दी ताकि उन्हें अपने अस्तित्व का पता चल सके। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में धरनों के आयोजन व नारेबाजी इत्यादि से शैक्षणिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में नारे लगाना व अध्यापकों से दुव्यर्वहार करना किसी भी हालत में सहन नहीं किया जाएगा और ऐसे कार्यों में संलिप्त लोंगों से सख्ती से निपटा जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय में धरनों आदि में शामिल राजनीतिक दलों के नेता उनके पास भी आते हैं और उनकी सलाह को भी सुनते हैं, परन्तु जैसे ही वह उनके कमरे से बाहर निकलते हैं, तो सारी बातों को भूल जाते हैं।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश विश्वविद्यालय राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान रूसा को आरम्भ करने व समय पर परिणाम घोषत करने वाला पहला विश्वविद्यालय है।
उधर, वीरभद्र सिंह की इन बयानबाजियों पर एसएफआई ने कड़ा रूख अपना दिया है व एलान किया है कि सीएम के के कारनामों को एसएफआई जहां से भी वो चुनाव लड़ेंगे, वहां जनता के बीच ले जाएंगी। सीएम की शह पर ही वीसी एडीएन वाजपेयी विवि में कोहराम मचाए हुए है। विवि में 255 टीचरों के पद खाली हैए उन्हें कोई नहीं भर रहा हैं रूसा ने पद्रेश के छात्रों का भविष्य तबाह कर दिया हैं व सीएम रूसा के यशगाथा गा रहे हैं।
उधर, कहते हैं कि वीसी वाजपेयी नेे एसएफआई को खुद सेदूर कर पहले ही मुश्किलों में घिरे सीएम के खिलाफ कर दिया है।इसमें वीरभद्र सिंह के अपने चहेते जो इसी के मेंबर भी है, वो शामिल हो गए हैं। अगर एसएफआई राहुल गांधी तक पहुंच गई और जेएनयू की याद दिला दी तो क्या होगा, ये कोई नहीं जानता
धूमल की छत्रछाया में बीजेपी पहले सीएम के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं अब एक बड़े छात्र संगठन को भी सीएम ने व्यक्तितौर पर अपने खिलाफ कर लिया है।
एसएफआई के कैंपस उपाध्यक्ष प्रेम जसवाल ने कहा कि एसएफआई सीएम के खिलाफ सीधी मुहिम छेड़ेंगी और उन्हें छात्रहितों के लिए लड़े जा रहे आंदोलन को कुचलने की इजाजत नहीं दी जाएगी।
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